ढूंढ़ रहा हूं जगत में, उस मानव का नाम
बाहर से भी राम जो, भीतर से भी राम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बाहर से भी राम जो, भीतर से भी राम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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