कभी सावन के तरसे हैं, कभी भादों के मारे हैं
कभी भाषण ने भरमाए ,कभी वादों ने मारे है
हैं ’ओंम ’ रावण सरमाए हमारे भाग्य के देखो
पापियों के ही ढलकाए कीच , गादों के मारे हैं
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कभी भाषण ने भरमाए ,कभी वादों ने मारे है
हैं ’ओंम ’ रावण सरमाए हमारे भाग्य के देखो
पापियों के ही ढलकाए कीच , गादों के मारे हैं
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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