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कर्म हों पूर्व जन्म के , तभी मिले वह बाप
गद्दी सौंप पुत्रों को , राज सँभाले आप,
राज सँभाले आप , सिसकता रहे कानून
लोकतंत्र का नाम , हो और उसी का खून ,
कहें ’ओंम ’ कविराय , दी बेच बची सब शर्म
देश करें निर्माण , पर नींव अनैतिक कर्म !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कर्म हों पूर्व जन्म के , तभी मिले वह बाप
गद्दी सौंप पुत्रों को , राज सँभाले आप,
राज सँभाले आप , सिसकता रहे कानून
लोकतंत्र का नाम , हो और उसी का खून ,
कहें ’ओंम ’ कविराय , दी बेच बची सब शर्म
देश करें निर्माण , पर नींव अनैतिक कर्म !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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