Friday, November 13, 2015

अनवरत दीप जलें !

दीप दीप्त रहें और अनवरत जलते रहें ,
बातियों में स्वाह अज्ञान तम बहते रहें ,
’ओंम ’ रोम रोम बसी निर्मल स्निग्ध ज्योत हो  ,
निर्बाध उजियार में हम सदा फलते रहें !!! \
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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