Thursday, July 3, 2014

जुल्फ

-ओंम प्रकाश नौटियाल
बंधी जुल्फ़ें देखकर ही, यूं बेहोश हो लेंगें,
क्या होगा हाल हुजूर का, वो जब केश खोलेंगे,
घटायें छायेंगी मुँह पर फिर दमकेगी दामिनी
झटक कर जुल्फ़ चेहरे से जब हृदयेश बोलेंगे !

-ओंम प्रकाश नौटियाल
  
  
 

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