Sunday, June 5, 2011

तजुर्बे की बात है

-ओंम प्रकाश नौटियाल




बयाँ झूठ इस अन्दाज से करना कि सच लगे,
तुमसे कहाँ हो पाएगा , ये तजुर्बे की बात है।

हम तुम मिलें चोरी से किसी को न दें दिखाई,
मुमकिन नहीं इस रात , ये पूनम की रात है।

कहने को तो वो तेरे मेरे दोनों के साथ हैं,
पर असलियत में वो सिर्फ़ कुर्सी के साथ हैं।

क्यों सोचते हो कि चमन में फिर आएगी बहार
ढाक में देखो अब तक भी बस तीन पात हैं।

’ओंम’ कौन समझेगा यहाँ अब आदमी तुम्हे,
सनद जेब में रहे कि तुम्हारी आदम जात है।

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