-ओंम प्रकाश नौटियाल
आँसू पी पीकर जिसने जिन्दगी गुजारी,
चैन उसको कहाँ अब कुछ देर रोकर हो।
वक्त के थपेडों ने लुढकाया इधर उधर,
अब दर्द नही होता कैसी भी ठोकर हो।
थकान को जिसकी चिर निद्रा की जरूरत,
आराम भला क्योंकर कुछ देर सोकर हो।
तन को साफ़ करना तेरे वश की बात है,
मन का मैल दूर किस पानी से धोकर हो।
प्यार देकर ही करो तुम प्यार की उम्मीद,
फूलों की खेती कैसे काँटों के बोकर हो।
हाल अपना है जमाना के लिए एक दिल्लगी,
इनके लिए तो ’ओंम’ जैसी कोई जोकर हो।
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