Thursday, May 28, 2015

धरना

धरना ओल्ड पटरी पर , दिल से नहीं पसंद
जब आए बुलैट  ट्रैक ,  धरना  दे  आनंद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, May 26, 2015

चक्कर " तीन सौ सत्तर " का

26.05.2015

एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री  अमित शाह  ने बयान दिया है कि  राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं  हो सकता ।
चक्कर " तीन सौ सत्तर "  का
हों तीन सौ सत्तर तब , निर्मित मंदिर राम
रहे न  तीन सौ सत्तर , जे के बने सुधाम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Saturday, May 23, 2015

चलते चलते

छूमंतर हों मुश्किले , बनें लोग खुशहाल
देश विदेश एक किया ,  दौडे  पूरे  साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, April 25, 2015

दो दोहे और

लैंड़ बिल के कारण था , पहले ही भूचाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
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क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, April 7, 2015

एक और गौतम बुद्ध

-ओंम प्रकाश नौटियाल
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल  गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के  कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को  दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने  के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में  तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810

Wednesday, March 25, 2015

Friday, March 20, 2015

नकल के लिए कानून बने!!!

हाल ही में टी वी चैनल्स द्वारा   विद्यार्थियों के परीक्षा में नकल किए जाने के विषय में प्रसारित एक विडीयो समाचार देख कर इस बात की खुशी हुई  कि बदलते युग में अब नकल भी साधिकार बड़े  सुचारू और व्यवस्थित ढंग से की जाने लगी है । इसमें न केवल आधुनिक तकनीक का खुलकर प्रयोग हो रहा है बल्कि अब इसमें समाज के सभी महत्वपूर्ण अंगो ( विद्यार्थी, शिक्षक , पुलिस , माता पिता , मित्र संबंधी आदि ) की सक्रीय भागेदारी भी है । सभी छात्रों को देश निर्माण में बराबर का अवसर देने के लिए समाज के सभी तबके के लोग आगे आ रहे हैं और विद्यार्थी जीवन के परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण पडाव को केवल अपरिपक्व उम्र के बच्चों के भरोसे न छोड़कर विद्यार्थीयों की परीक्षा  में अपनी भूमिका  गंभीरता से तय कर रहे हैं और निभा रहे हैं ।
 हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने  दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)

Saturday, March 14, 2015

विवाह का गणित

14 मार्च 2015 के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कानपुर के एक देहात में लडकी वालों ने  एक बारात को इसलिए बैरंग लौटा दिया क्योंकि  फेरों से ठीक पहले लड़की को यह शक हो गया था कि लड़का निपट अनपढ़ है । इस बात की तुरंत जाँच  का काम उसने अपनी बहनो को सौंप दिया । लड़की की बहनों ने मंडप में जाकर सीधे  लडके से प्रश्न किया कि पंद्रह और छः  का जोड़ कितना होता है । लड़के ने उत्तर दिया "सत्रह " ,   जिसे सुनते ही कन्या ने अनपढ के साथ फेरे लेने से साफ मना कर दिया । वर पक्ष  के रिश्तेदारों के बहुत समझाने पर भी कन्या व उसके पिता अपने निर्णय पर अडिग रहे और अनपढ लडके  के साथ शादी करने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हुए , नतीजतन बारात को बिना शादी संपन्न हुए  बगैर दुल्हन के लौटना पडा ।
"संभावित दुल्हों करो , अपना  घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो  फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, February 20, 2015

महत्वपूर्ण सावधानियाँ - कुर्सी के संबंध में

जब भी आप कुछ देर के लिए कुर्सी छोड कर या अस्थायी तौर पर किसी अन्य को सौंप कर कहीं जाते हैं तो उस पर अपना नाम कढा हुआ रुमाल अवश्य रख दीजिए ताकि कुर्सी पर आपका अधिकार सुरक्षित रहे ।

भावावेश में आकर या ईमानदारी के जूनून में बहकर कुर्सी छोडने की भूल कभी न करें । लोग आपके इस कृत्य का न केवल अतिशय दुष्प्रचार करेंगे  बल्कि आपको भगौडा जैसे विशेषणों से सुसज्जित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका यह कार्य अन्य किसी के  कुर्सी प्रेम को तिरस्कृत  करने के लिए उदाहरण न बन सके ।

कुर्सी आपको जीवन रूपी मंझधार से पार लगाने का अचूक वाहन है ।  इसके खेवनहार स्वयं बनिए और इसके लिए किसी अन्य माँझी पर भूल कर भी भरोसा मत की कीजिए ।

-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810

Sunday, February 8, 2015

मोदी जी मेरे सपने में

-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज सुबह के वक्त स्वप्न में प्रधान मंत्री मोदी जी से मुलाकात हो गई । मोदी जी ने भी मानों मुझे एकदम पहचान लिया और देखते ही बोले , "ओंम भाई केम छो ? वडोदरा मे  सब कुछ ठीक है न? " मैंने अभिवादन के साथ उनसे बातचीत प्रारंभ की और एक प्रश्न , जो पिछले कई दिनों से मन को बेचैन कर रहा था , उनके सामने रख दिया । मैंने कहा , "प्रधान मंत्री जी यह अमरीकी राष्ट्रपति हमारे आंतरिक मामलों में क्यों दखलअंदाजी करते हैं ? भारत छोडने से पहले भी उन्होंने भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की जुर्रत की थी , अब फिर एक बयान में उन्होंने भारत  को इस मसले पर नसीहत दे डाली है । आपको नहीं लगता अमेरिका सारी हदें पार कर रहा है ?"
मोदी जी ने तुरंत हँसकर उत्तर दिया , " अरे नहीं ओंम भाई , मेरा और बराक का मजाक तो चलता रहता है , अब तुमसे क्या छुपाना , उस दिन भारत में चाय पर हुई आपसी बातचीत में मैंने भी उन्हें छेड़ दिया था कि अमेरिका में काले लोगों पर ज्यादती होने के समाचार  क्यों आते रहते हैं ?" मजाक की बात थी , बराक ने भी मजाक में जवाब दिया  -अरे मैं भी  तो काला हूं कभी कभी मुझ पर भी होती है तुम्हारी भाभी की तरफ़ से । हा हा हा - तो हमारा ऐसा हंसी मजाक बिल्कुल नई बात नहीं  है । कई दिन हो गए हैं उन्हें  भारत से गए हुए । मुझसे फिर मसख्ररी करने का मन हुआ होगा , तो यह  मजाक शुरु कर दिया । अब बराक की बातें क्या बताऊं , बडा ही मजाकिया स्वभाव पाया है ।" और तभी पत्नी की "चाय लीजिए " की आवाज के साथ आँख खुल गई ।
यह चाय भी अजीब चीज है किसी के तो प्रधान मंत्री बनने के सपने तक पूरे कर देती है और किसी के प्रधान मंत्री से हो रही बातचीत तक के सपने तोड़ देती है ।
ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा , मोबा.9427345810

Friday, December 19, 2014

अहम रोकता है

-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, December 15, 2014

भाग्य

ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में  हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर  भला  किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, December 3, 2014

प्रेम

-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों  पर मेरे  झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में  हौले  हौले   रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही  खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल