Monday, June 1, 2015
Thursday, May 28, 2015
Wednesday, May 27, 2015
Tuesday, May 26, 2015
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
26.05.2015
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
हों तीन सौ सत्तर तब , निर्मित मंदिर राम
रहे न तीन सौ सत्तर , जे के बने सुधाम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, May 23, 2015
चलते चलते
छूमंतर हों मुश्किले , बनें लोग खुशहाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 21, 2015
Wednesday, May 20, 2015
Friday, May 15, 2015
Tuesday, May 12, 2015
Friday, May 8, 2015
Thursday, May 7, 2015
Sunday, May 3, 2015
Thursday, April 30, 2015
Sunday, April 26, 2015
Saturday, April 25, 2015
दो दोहे और
लैंड़ बिल के कारण था , पहले ही भूचाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
**********
क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
**********
क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, April 24, 2015
Thursday, April 23, 2015
Tuesday, April 21, 2015
Sunday, April 19, 2015
Saturday, April 18, 2015
Saturday, April 11, 2015
Wednesday, April 8, 2015
Tuesday, April 7, 2015
एक और गौतम बुद्ध
-ओंम प्रकाश नौटियाल
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
Tuesday, March 31, 2015
Wednesday, March 25, 2015
Monday, March 23, 2015
Saturday, March 21, 2015
Friday, March 20, 2015
नकल के लिए कानून बने!!!
हाल ही में टी वी चैनल्स द्वारा विद्यार्थियों के परीक्षा में नकल किए जाने के विषय में प्रसारित एक विडीयो समाचार देख कर इस बात की खुशी हुई कि बदलते युग में अब नकल भी साधिकार बड़े सुचारू और व्यवस्थित ढंग से की जाने लगी है । इसमें न केवल आधुनिक तकनीक का खुलकर प्रयोग हो रहा है बल्कि अब इसमें समाज के सभी महत्वपूर्ण अंगो ( विद्यार्थी, शिक्षक , पुलिस , माता पिता , मित्र संबंधी आदि ) की सक्रीय भागेदारी भी है । सभी छात्रों को देश निर्माण में बराबर का अवसर देने के लिए समाज के सभी तबके के लोग आगे आ रहे हैं और विद्यार्थी जीवन के परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण पडाव को केवल अपरिपक्व उम्र के बच्चों के भरोसे न छोड़कर विद्यार्थीयों की परीक्षा में अपनी भूमिका गंभीरता से तय कर रहे हैं और निभा रहे हैं ।
हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)
हम सबका भी यह कर्तव्य हो जाता ह कि इस विषय में सभी कानूनी अड़चने दूर करने और आवश्यक संशोधन के लिए सरकार से माँग करें ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल (20/3/2015)
Wednesday, March 18, 2015
Monday, March 16, 2015
Saturday, March 14, 2015
विवाह का गणित
14 मार्च 2015 के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार कानपुर के एक देहात में लडकी वालों ने एक बारात को इसलिए बैरंग लौटा दिया क्योंकि फेरों से ठीक पहले लड़की को यह शक हो गया था कि लड़का निपट अनपढ़ है । इस बात की तुरंत जाँच का काम उसने अपनी बहनो को सौंप दिया । लड़की की बहनों ने मंडप में जाकर सीधे लडके से प्रश्न किया कि पंद्रह और छः का जोड़ कितना होता है । लड़के ने उत्तर दिया "सत्रह " , जिसे सुनते ही कन्या ने अनपढ के साथ फेरे लेने से साफ मना कर दिया । वर पक्ष के रिश्तेदारों के बहुत समझाने पर भी कन्या व उसके पिता अपने निर्णय पर अडिग रहे और अनपढ लडके के साथ शादी करने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हुए , नतीजतन बारात को बिना शादी संपन्न हुए बगैर दुल्हन के लौटना पडा ।
"संभावित दुल्हों करो , अपना घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
"संभावित दुल्हों करो , अपना घर आबाद
सही जोड़ है इक्कीस , हो फेरों तक याद "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, March 10, 2015
Friday, March 6, 2015
Thursday, March 5, 2015
Wednesday, March 4, 2015
Saturday, February 28, 2015
Friday, February 20, 2015
महत्वपूर्ण सावधानियाँ - कुर्सी के संबंध में
जब भी आप कुछ देर के लिए कुर्सी छोड कर या अस्थायी तौर पर किसी अन्य को सौंप कर कहीं जाते हैं तो उस पर अपना नाम कढा हुआ रुमाल अवश्य रख दीजिए ताकि कुर्सी पर आपका अधिकार सुरक्षित रहे ।
भावावेश में आकर या ईमानदारी के जूनून में बहकर कुर्सी छोडने की भूल कभी न करें । लोग आपके इस कृत्य का न केवल अतिशय दुष्प्रचार करेंगे बल्कि आपको भगौडा जैसे विशेषणों से सुसज्जित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका यह कार्य अन्य किसी के कुर्सी प्रेम को तिरस्कृत करने के लिए उदाहरण न बन सके ।
कुर्सी आपको जीवन रूपी मंझधार से पार लगाने का अचूक वाहन है । इसके खेवनहार स्वयं बनिए और इसके लिए किसी अन्य माँझी पर भूल कर भी भरोसा मत की कीजिए ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
भावावेश में आकर या ईमानदारी के जूनून में बहकर कुर्सी छोडने की भूल कभी न करें । लोग आपके इस कृत्य का न केवल अतिशय दुष्प्रचार करेंगे बल्कि आपको भगौडा जैसे विशेषणों से सुसज्जित कर यह सुनिश्चित करेंगे कि आपका यह कार्य अन्य किसी के कुर्सी प्रेम को तिरस्कृत करने के लिए उदाहरण न बन सके ।
कुर्सी आपको जीवन रूपी मंझधार से पार लगाने का अचूक वाहन है । इसके खेवनहार स्वयं बनिए और इसके लिए किसी अन्य माँझी पर भूल कर भी भरोसा मत की कीजिए ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
Wednesday, February 11, 2015
Sunday, February 8, 2015
मोदी जी मेरे सपने में
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज सुबह के वक्त स्वप्न में प्रधान मंत्री मोदी जी से मुलाकात हो गई । मोदी जी ने भी मानों मुझे एकदम पहचान लिया और देखते ही बोले , "ओंम भाई केम छो ? वडोदरा मे सब कुछ ठीक है न? " मैंने अभिवादन के साथ उनसे बातचीत प्रारंभ की और एक प्रश्न , जो पिछले कई दिनों से मन को बेचैन कर रहा था , उनके सामने रख दिया । मैंने कहा , "प्रधान मंत्री जी यह अमरीकी राष्ट्रपति हमारे आंतरिक मामलों में क्यों दखलअंदाजी करते हैं ? भारत छोडने से पहले भी उन्होंने भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की जुर्रत की थी , अब फिर एक बयान में उन्होंने भारत को इस मसले पर नसीहत दे डाली है । आपको नहीं लगता अमेरिका सारी हदें पार कर रहा है ?"
मोदी जी ने तुरंत हँसकर उत्तर दिया , " अरे नहीं ओंम भाई , मेरा और बराक का मजाक तो चलता रहता है , अब तुमसे क्या छुपाना , उस दिन भारत में चाय पर हुई आपसी बातचीत में मैंने भी उन्हें छेड़ दिया था कि अमेरिका में काले लोगों पर ज्यादती होने के समाचार क्यों आते रहते हैं ?" मजाक की बात थी , बराक ने भी मजाक में जवाब दिया -अरे मैं भी तो काला हूं कभी कभी मुझ पर भी होती है तुम्हारी भाभी की तरफ़ से । हा हा हा - तो हमारा ऐसा हंसी मजाक बिल्कुल नई बात नहीं है । कई दिन हो गए हैं उन्हें भारत से गए हुए । मुझसे फिर मसख्ररी करने का मन हुआ होगा , तो यह मजाक शुरु कर दिया । अब बराक की बातें क्या बताऊं , बडा ही मजाकिया स्वभाव पाया है ।" और तभी पत्नी की "चाय लीजिए " की आवाज के साथ आँख खुल गई ।
यह चाय भी अजीब चीज है किसी के तो प्रधान मंत्री बनने के सपने तक पूरे कर देती है और किसी के प्रधान मंत्री से हो रही बातचीत तक के सपने तोड़ देती है ।
ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा , मोबा.9427345810
आज सुबह के वक्त स्वप्न में प्रधान मंत्री मोदी जी से मुलाकात हो गई । मोदी जी ने भी मानों मुझे एकदम पहचान लिया और देखते ही बोले , "ओंम भाई केम छो ? वडोदरा मे सब कुछ ठीक है न? " मैंने अभिवादन के साथ उनसे बातचीत प्रारंभ की और एक प्रश्न , जो पिछले कई दिनों से मन को बेचैन कर रहा था , उनके सामने रख दिया । मैंने कहा , "प्रधान मंत्री जी यह अमरीकी राष्ट्रपति हमारे आंतरिक मामलों में क्यों दखलअंदाजी करते हैं ? भारत छोडने से पहले भी उन्होंने भारत को धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की जुर्रत की थी , अब फिर एक बयान में उन्होंने भारत को इस मसले पर नसीहत दे डाली है । आपको नहीं लगता अमेरिका सारी हदें पार कर रहा है ?"
मोदी जी ने तुरंत हँसकर उत्तर दिया , " अरे नहीं ओंम भाई , मेरा और बराक का मजाक तो चलता रहता है , अब तुमसे क्या छुपाना , उस दिन भारत में चाय पर हुई आपसी बातचीत में मैंने भी उन्हें छेड़ दिया था कि अमेरिका में काले लोगों पर ज्यादती होने के समाचार क्यों आते रहते हैं ?" मजाक की बात थी , बराक ने भी मजाक में जवाब दिया -अरे मैं भी तो काला हूं कभी कभी मुझ पर भी होती है तुम्हारी भाभी की तरफ़ से । हा हा हा - तो हमारा ऐसा हंसी मजाक बिल्कुल नई बात नहीं है । कई दिन हो गए हैं उन्हें भारत से गए हुए । मुझसे फिर मसख्ररी करने का मन हुआ होगा , तो यह मजाक शुरु कर दिया । अब बराक की बातें क्या बताऊं , बडा ही मजाकिया स्वभाव पाया है ।" और तभी पत्नी की "चाय लीजिए " की आवाज के साथ आँख खुल गई ।
यह चाय भी अजीब चीज है किसी के तो प्रधान मंत्री बनने के सपने तक पूरे कर देती है और किसी के प्रधान मंत्री से हो रही बातचीत तक के सपने तोड़ देती है ।
ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा , मोबा.9427345810
Friday, February 6, 2015
Friday, January 30, 2015
Thursday, January 29, 2015
Saturday, January 24, 2015
Tuesday, January 20, 2015
Sunday, January 18, 2015
Thursday, January 8, 2015
Tuesday, January 6, 2015
Monday, January 5, 2015
Thursday, January 1, 2015
Wednesday, December 31, 2014
Sunday, December 21, 2014
Friday, December 19, 2014
अहम रोकता है
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, December 17, 2014
Monday, December 15, 2014
भाग्य
ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, December 12, 2014
Thursday, December 11, 2014
Thursday, December 4, 2014
Wednesday, December 3, 2014
प्रेम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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