सच्चे सेवक की सुनो,एक यही पहचान
सत्ता पा संयत रहे, डिगे नहीं ईमान
डिगे नहीं ईमान, ना अहं का दास बने
जनजन को दे मान, उन्ही का बस खास बने
कहें ’ओंम’ कविराय, दिन आ सकेंगे अच्छे
लडेंगे जब चुनाव, बस बेदाग औ’ सच्चे !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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