आई थी दीवाली और फिर आकर चली गई
नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता,
पंछी तो आज भी गगन मे निर्भीक उड़ते हैं
किसी दल का लहराता वहाँ परचम नही होता !!!!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता,
पंछी तो आज भी गगन मे निर्भीक उड़ते हैं
किसी दल का लहराता वहाँ परचम नही होता !!!!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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