Saturday, October 21, 2017

आई थी दीवाली

आई थी दीवाली और फिर आकर चली गई

नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता,

पंछी तो आज भी गगन मे निर्भीक उड़ते हैं

किसी दल का लहराता वहाँ परचम नही होता !!!!!

-ओंम प्रकाश नौटियाल

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