नकली कवि ने खोल ली, एक हिन्दी दुकान
हिन्दी सेवा हो सके , लिया खूब धन दान,
लिया खूब धन दान, क्षेत्र कई आजमाये
सीमित सा था ज्ञान, बने फिर भी सरमाये,
धन मिला और नाम,बजा हिंदी की ढपली
सच को पूछे कौन, फूलते , फलते नकली !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित )
हिन्दी सेवा हो सके , लिया खूब धन दान,
लिया खूब धन दान, क्षेत्र कई आजमाये
सीमित सा था ज्ञान, बने फिर भी सरमाये,
धन मिला और नाम,बजा हिंदी की ढपली
सच को पूछे कौन, फूलते , फलते नकली !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित )
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