Saturday, August 23, 2014

थौमस एडिसन - सकारात्मक सोच वाले एक महान वैज्ञानिक

ओंम प्रकाश नौटियाल
-हम सभी ने थौमस एडिसन का नाम सुना है । उनका जन्म 11 फ़रवरी 1847 को मिलान , ओहियो अमेरिका और मत्यु 18 अक्टूबर 1931 को न्यू जर्सी में हुई । अपने जीवन काल में उन्होंने जो बडे बडे आविष्कार किये जिनमें फोनोग्राफ ,बिजली का बल्ब ,क्षारीय बैटरी ,किनैटोग्राफ कैमरा आदि शामिल हैं । छोटी उम्र में ही उनकी माता ने उन्हें विद्यालय से निकाल लिया क्योंकि उनके अध्यापक के अनुसार उनका ध्यान पढाई में नहीं था और उन्हें अनुशासन में रख पाना बेहद कठिन कार्य था । 11 वर्ष की आयु में उनमें ज्ञान अर्जन करने और विभिन्न विषयों पर पुस्तकें पढने की अतुलनीय क्षुधा द्दष्टिगोचर हुई । उन्होंने अपने आप पढने और स्वयं को शिक्षित करने की एक योजना बद्ध शुरुआत कर दी जो कि उम्र भर चलती रही ।-

12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को विश्वास में लेकर ग्रान्ड ट्रंक रेल रूट पर अखबार बेचने का काम शुरू करते हुए अपनी शिक्षा को व्यवहार में आंकना प्रारंभ किया । अखबार बेचते हुए उनकी न्यूज बुलैटिन पर पहुंच होने से उन्होंने "ग्रान्ड ट्रंक हैराल्ड " नाम का अखबार निकाल कर व्यवसाय की दुनियाँ में अपना पहला कदम रखा ।-

समयोपरांत एडिसन ने अपनी प्रयोगशाला की भी स्थापना की और विभिन्न अविष्कारों के प्रणेता बनें ।-

बताया जाता है कि विद्युत बल्ब का फ़िलामैंट बनाते हुए ( बल्ब के अंदर का तार जो जल कर रोशनी देता है ) वह लगभग 10000 बार असफल हुए , विभिन्न प्रकार की मिश्र धातुओं से तैय्यार फ़िलामैंट हर बार जल कर राख हो जाता था । उनके एक मित्र ने कहा , " एडिसन तुम दसों हजार बार असफल हो गये हो, इसका अर्थ यह है कि ऐसा रोशनी देने वाला फ़िलामैंट बनना संभव ही नहीं है । " एडिसन ने उत्तर दिया , " मित्र मै दस हजार बार असफल नहीं हुआ हूं बल्कि अब मैं मिश्र धातु के दस हजार ऐसे फिलामैंट जान गया हूं , जिनसे बल्ब नहीं बनाया जा सकता है, और अब मुझे अन्य फ़िलामैंट की खोज करनी होगी ।" सकारात्मक सोच का इससे अनुपम और प्रेरणादायक उदाहरण भला क्या मिलेगा"?

67 वर्ष की उम्र में उनकी फैक्टरी जल कर खाक हो गयी , इसमें उनके जीवन भर की अर्जित पूंजी लगी थी और उन्होंने इन्श्योरैंस भी बहुत कम करवाया हुआ था ।

एडिसन ने सब देखा और कहा , " ऐसे विनाशकारी बडे हादसों का एक लाभ यह है कि हमारी जीवन भर की गलतियाँ भी जलकर राख हो जाती हैं , और हम ईश कृपा से नई शुरूआत कर सकते हैं ।"

सप्रेम

ओंम प्रकाश नौटियाल

(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)

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