Tuesday, August 12, 2014

सच्ची पूजा

आँखों में आँसूओं का, समन्दर क्यों हो,
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल  

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