आँखों में आँसूओं का, समन्दर क्यों हो,
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल
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