-ओंमप्रकाश नौटियाल
मयखाने में चैन से बेहोश हूं यारों,
तडपेगा, भुगतेगा होश वाला यारों।
महलों में रहने वाले ये तंग दिल लोग,
हर तंगी से निकलेगा जोशवाला यारों।
हम फकीरों को कहाँ चोरों का डर,
डरा सा रातों जागेगा कोष वाला यारों।
लालची सेठों को फिक्र पीढियों की है,
फटेहाल भी खुश है संतोष वाला यारों।
काले धन कुबेरों का कलेजा तब काँपेगा
क्रान्ति आघोष देगा जब रोषवाला यारों।
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