- ओंम प्रकाश नौटियाल
फुटपाथ पर पैदा हुआ फुटपाथ पर मरा,
इतना था शेर दिल गरीबी से नहीं डरा ।
जन्म लिया और बस वो जवान हो गया,
इस छलाँग में पर उसे बचपन नही मिला।
जवानी के एक जोडी कपडे यूं रास आ गये,
तन से रहे जब तक था साँसों का सिलसिला।
राष्ट्रीय मार्ग के लोग फ़ुटपाथ नहीं पहुंचे,
शिकवे सुनाता किसको कहता किसे गिला ।
भारत चमक रहा है उसे गर्मी में लगता था,
तिलमिलाता सूरज जब करता था पिलपिला।
’ओंम’ अन्ना के आमरण अनशन से आई आस,
इन बडी भूख वालों को तू भूख छोडकर हिला।
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