Saturday, March 27, 2010
अलविदा माँ - ओंम प्रकाश नौटियाल :
कुसुम नौटियाल
जन्म 01-09-1926
स्वर्गवास 21-01-2010
-1-
मन अथाह सागर सा तेरा,
अनगिन भावों का आगार,
माप सका कहाँ कोई पर,
उस ममता की गहराई माँ।
-2-
तुझसे सुने कहानी किस्से ,
फ़िर बचपन में पहुंचाते हैं,
उन वक्तों को याद किया,
और आँखे भर भर आई माँ ।
-3-
चंचल मन की अगम पहेली,
कब किसने सुलझाई माँ,
दूर सूदूर बसे रिश्तों में,
बस डूबी और उतराई माँ ।
-4-
यादों के झुरमुट में खोई,
लगती कुछ तरसाई माँ,
थकी और उलझी उलझी सी,
छुईमुई सी मुरझाई माँ । .
-5-
तेरे होने पर कब समझा,
तुझको खोने का अहसास,
तड़पन और घुटन दे गई,
तेरी चुपचाप विदाई माँ ।
-6-
चेतन मन की चिंताए सब,
शाँत हुई, साँस रुकी जब,
बन्धन टूटे , अपने छूटे,
रिश्ते हुए परछाई माँ ।
-7-
थमी हुई साँसो ने तेरी,
गहन मर्म यह समझाया,
भीड़ भरी इस दुनियाँ में,
क्या होती तनहाई माँ ।
opnautiyal.blogspot.com
9427345810
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आँखे भर भर आई माँ ...... man ko chho gai ye pankti
ReplyDeleteभीड़ भरी इस दुनियाँ में,
क्या होती तनहाई माँ ।
jisne ise samjha vahi janta hai maa kya hoti hai. such maa bachho ki jan hoti hai.