कहते शिक्षक को सभी,
सेवक रत्न महान,
गढ़ते देश भविष्य जो,
बाँट निरंतर ज्ञान ,
बाँट निरंतर ज्ञान ,
यही है जीवन उनका,
इक दिन दे बस मान,
उतारे हम ऋण उनका,
सही गलत आदेश ,
सभी वह चुप रह सहते,
यूं तो उनको लोग,
बड़ा प्रभु से भी कहते,
-ओम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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