हृदय चाहता है यही
बढे़ प्रेम सद्भाव
युद्ध न हो जग में कहीं
न हो कोई अभाव
हृदय चाहता है मिले
गुणी जनों का साथ
जिनकी संगत में लगे
सिर पर प्रभु का हाथ
हृदय चाहता है रहे
हर घर सुख का वास
कोई ना वंचित रहे
न हो कोई उदास
हृदय चाहता है बढ़े
गुरु के प्रति सम्मान
विकास पथ पर ले चलें
शिक्षा अरु विज्ञान
-ओम प्रकाश नौटियाल
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