Thursday, January 23, 2020

सहमा सा सच

-ओंम प्रकाश नौटियाल

सच
कितना एकाकी है
सहमा सहमा सा
कोने  में दुबका
कभी कभार
आना भी चाहे बाहर
तो पड़ती है दुत्कार
देखने सुनने तक को
नहीं होता
कोई तैय्यार,
और झूठ
तकनीक के पंखों पर
प्रचार के कंधों पर
करता है विश्व भ्रमण
उसकी आभा से
होकर भ्रमित
सब स्वीकारते हैं
हँस हँस करते हैं ग्रहण
अंततः सच भी
हारा  मनमारा सा
करने लगता है
उसी को नमन !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बड़ौदा,गुजरात,मोबा.9427345810

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