Wednesday, December 4, 2019

"किसकी मजाल जो हमें टोपी पहना सके .."

प्राप्त समाचारों के अनुसार गुजरात सरकार ने चार दिसम्बर 2019 को हुई मंत्रिमंड़ल की एक महत्वपूर्ण बैठक में ,केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये नये परिवहन कानून से छूट लेते हुए , गुजरात में हेलमेट की अनिवार्यता को महानगर पालिका और नगर पालिका क्षेत्रों में  फिलहाल समाप्त कर उसे एच्छिक कर दिया है।
सरकार के अनुसार उसके इस निर्णय के पीछे लोगों द्वारा हेलमेट के विरोध में दिये गये जान से भी प्यारे अनेकों कारणों का सम्मान करना है जिनमें कुछ इस प्रकार हैं:
1.विवाह समारोह आदि में भाग लेने जाते समय हेलमेट से मेकअप और हेयर स्टायल बिगड़ जाता है ।
2.श्मशान यात्रा व शोक प्रकट करने जाते वक्त हेलमेट हाथ में पकड़े रहना बड़ा अटपटा और अवसर के प्रतिकूल लगता है।
3.अन्य वाहनों के हार्न की आवाज ठीक से सुनने में यह बाधक है ।
4.सोशल मीडिया पर हेलमेट के विरोध में बहुत लोग आवाज उठा रहे हैं ।
5.गर्मी के मौसम में, मार्च से सितम्बर तक, हेलमेट असह्य है ।
बताया गया है कि पिछले एक वर्ष में ही गुजरात में दो पहिया वाहनों से हुई दुर्घटनाओं में पाँच सौ से अधिक लोग मारे गये है जिनमें से अधिकांश लोग बच सकते थे यदि हेलमेट पहना हुआ होता ।
किंतु संवेदनशील सरकार ने इन आँकड़ों को नजरांदाज करते हुए और  केवल अपनी प्यारी की भावनाओं का संज्ञान लेते हुए उन्हें हेलमेट से छूट देने का महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया ।वैसे भी जीवन डोर तो ऊपर वाले के हाथ में है हेलमेट कहाँ से बीच में आता है।
सचमुच, सरकारें जनता को उनकी जान से भी ज्यादा चाहती हैं !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

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