-ओंम प्रकाश नौटियाल
हो मँहगी पृथ्वी भले , रहने का पर लुफ्त
सूर्य परिक्रमा हर वर्ष, मिल जाती है मुफ्त !!
हो मँहगी पृथ्वी भले , रहने का पर लुफ्त
सूर्य परिक्रमा हर वर्ष, मिल जाती है मुफ्त !!
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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