-ओंम प्रकाश नौटियाल
कितनी शमा हुई रोशन,तम यह कम नहीं होता,
नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता ,
’ओंम’ व्योम में तो पंछी सुखी स्वछ्न्द उडते हैं
क्योंकि नेता , मजहब का वहाँ परचम नहीं होता !
कितनी शमा हुई रोशन,तम यह कम नहीं होता,
नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता ,
’ओंम’ व्योम में तो पंछी सुखी स्वछ्न्द उडते हैं
क्योंकि नेता , मजहब का वहाँ परचम नहीं होता !
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