Thursday, July 18, 2013

व्योम में -एक मुक्तक

-ओंम प्रकाश नौटियाल

कितनी शमा हुई रोशन,तम यह कम नहीं होता,

नकली रोशनी से आस का अब भ्रम नहीं होता ,

ओंमव्योम में तो पंछी सुखी स्वछ्न्द उडते हैं

क्योंकि नेता , मजहब का वहाँ परचम नहीं होता !
 

 

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