---ओंम प्रकाश नौटियाल
बाँधों का छलकना ,
नदियों का उफान,
बहते मवेशी ,
गिरते ढहते मकान ।
भीगती लकडियाँ ,उपले कण्डे,
सडकों में नाले, बडे बडे गद्ढे ।
टपकती छतें ,भीगती. लटें,
मेढ़क की टर्र टर्र , किवाडों की चरमर,
कडकती बिजली , गरजते बादल,
हरे हरे खेत, भरे भरे ताल ।
मच्छर और मक्खी ,
धान और मक्की ।
सावन के झूले , तीज का त्योहार,
शिव पूजा के श्रावणी सोमवार !
व्यवस्था पस्त,
जनता त्रस्त ,
पंद्रह अगस्त !
अमरूद ,भुट्टे, जामुन ,आम ,
इन्द्र धनुषी शाम !!
शह और मात !
वाह री बरसात !!!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
Sunday, July 25, 2010
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