कुछ राजनेता टिकट के बँटवारे के समय ही ईमानदार , बहादुर और बगावती क्यों हो जाते हैं ? आगे पीछे तो उन्हें पार्टी मे कोई बुराई नज़र नहीं आती ।
Sunday, September 27, 2015
Thursday, September 24, 2015
ईद मुबारक !!!
त्याग और बलिदान का, पर्व आज बकरीद
प्रेम, स्नेह ,सद्भाव की, लेकर नव उम्मीद !
-ओम प्रकाश नौटियाल
प्रेम, स्नेह ,सद्भाव की, लेकर नव उम्मीद !
-ओम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, September 23, 2015
Monday, September 21, 2015
Wednesday, September 16, 2015
Monday, September 14, 2015
Thursday, September 10, 2015
विश्व हिंदी सम्मेलन
भारत के भोपाल शहर में आज प्रारंभ हुए दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी का उद्घाटन भाषण प्रभावशाली और रोचक था :
हिंदी का स्वागत हुआ , गर्वित है भोपाल
गले लगाया विश्व ने , उन्नत भारत भाल !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 6, 2015
Saturday, September 5, 2015
छुट्टी जन्माष्टमी की !!
कल अवकाश होने से, ना अख़बार आया आज
खबरों की दुनियाँ में , एक रविवार आया आज,
घटी कल जो घटनाएं, मयस्सर अब न हों शायद
टी वी की डींग पर , नही एतबार आया आज !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
खबरों की दुनियाँ में , एक रविवार आया आज,
घटी कल जो घटनाएं, मयस्सर अब न हों शायद
टी वी की डींग पर , नही एतबार आया आज !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, September 4, 2015
Wednesday, September 2, 2015
Wednesday, August 26, 2015
Tuesday, August 25, 2015
Thursday, August 20, 2015
Wednesday, August 19, 2015
Sunday, August 16, 2015
Friday, August 14, 2015
Wednesday, August 12, 2015
Friday, August 7, 2015
Saturday, August 1, 2015
Monday, July 27, 2015
Sunday, July 26, 2015
कब आओगे मीत
गया कभी न आया है , यही जगत की रीत
किस मुँह फिर तुमसे कहूँ , कब आओगे मीत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
किस मुँह फिर तुमसे कहूँ , कब आओगे मीत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, July 25, 2015
Monday, July 13, 2015
अपनी होली ईद !
घृणा गाद को फेंक कर , मैत्री सुधा खरीद
तभी मनेगी हृदय से , अपनी होली ईद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
तभी मनेगी हृदय से , अपनी होली ईद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, July 12, 2015
गुरु गुगल
गुरु गुगल की शरण पूर्व , रहे निपट अनजान
मिला ज्ञान उनसे हुई, हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मिला ज्ञान उनसे हुई, हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, July 11, 2015
, चूस लिए सारे घाट
घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान ,
हर मुश्किल आसान , फ़कत बस पैसा खाया
खूब मचायी लूट , रहे पुश्तों तक साया
कहें ’ओंम ’ कविराय , दिया धन से सभी पाट
खूब निचोडा माल , चूस लिए सारे घाट
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान ,
हर मुश्किल आसान , फ़कत बस पैसा खाया
खूब मचायी लूट , रहे पुश्तों तक साया
कहें ’ओंम ’ कविराय , दिया धन से सभी पाट
खूब निचोडा माल , चूस लिए सारे घाट
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घाट घाट पानी पिया
घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, July 10, 2015
व्यापम
सोच रहे थे लोग जब , घपले रहे न शेष
ताल भोपाली पीटता, व्यापम करे प्रवेश,
व्यापम करे प्रवेश , हुआ तब धूम धडक्का
देख दैत्य का रूप , देश था हक्का बक्का,
नन्हों का आहार , बडों को न तनिक खरोंच
समझदार यह दैत्य , धन्य है राजसी सोच !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ताल भोपाली पीटता, व्यापम करे प्रवेश,
व्यापम करे प्रवेश , हुआ तब धूम धडक्का
देख दैत्य का रूप , देश था हक्का बक्का,
नन्हों का आहार , बडों को न तनिक खरोंच
समझदार यह दैत्य , धन्य है राजसी सोच !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, July 9, 2015
हार्दिक बधाई !!
दिन विशेष है आज का , महकें सुमन सरोज
अति प्रसन्न हैं मात पित , चन्दर और मनोज,
चन्न्दर और मनोज , पुत्र का जन्म दिवस है
बरसता शुभाशीष , उमडे आनंद रस है ,
करो देश का नाम , ’विभोर’ जियो दिन अनगिन
फैले ज्ञान प्रकाश , करो सुरभित तुम हर दिन !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अति प्रसन्न हैं मात पित , चन्दर और मनोज,
चन्न्दर और मनोज , पुत्र का जन्म दिवस है
बरसता शुभाशीष , उमडे आनंद रस है ,
करो देश का नाम , ’विभोर’ जियो दिन अनगिन
फैले ज्ञान प्रकाश , करो सुरभित तुम हर दिन !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ससुराल में !!!
अवसर पाकर ’ओंम’ हैं , शिमला में ससुराल
यहाँ न कोई कर सके , बाँका अपना बाल,
बाँका अपना बाल , कवच हैं साले साली
घटिया भी हो छंद , मिले दाद और ताली,
कहें ’ओंम’ कविराय , सैर करो बनठन कर
साल में एक बार , मिले आने का अवसर
-ओंम प्रकाश नौटियाल
यहाँ न कोई कर सके , बाँका अपना बाल,
बाँका अपना बाल , कवच हैं साले साली
घटिया भी हो छंद , मिले दाद और ताली,
कहें ’ओंम’ कविराय , सैर करो बनठन कर
साल में एक बार , मिले आने का अवसर
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, July 6, 2015
Friday, July 3, 2015
Thursday, July 2, 2015
Friday, June 19, 2015
Tuesday, June 16, 2015
Saturday, June 13, 2015
Wednesday, June 10, 2015
Monday, June 8, 2015
Thursday, June 4, 2015
Wednesday, June 3, 2015
Tuesday, June 2, 2015
Monday, June 1, 2015
भोजन "दो जून" का
करें सभी "दो जून" का, पूर्ण पेट आहार
ईश दया का आपकी , लाख लाख आभार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ईश दया का आपकी , लाख लाख आभार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 28, 2015
Wednesday, May 27, 2015
Tuesday, May 26, 2015
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
26.05.2015
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
हों तीन सौ सत्तर तब , निर्मित मंदिर राम
रहे न तीन सौ सत्तर , जे के बने सुधाम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, May 23, 2015
चलते चलते
छूमंतर हों मुश्किले , बनें लोग खुशहाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 21, 2015
Wednesday, May 20, 2015
Friday, May 15, 2015
Tuesday, May 12, 2015
Friday, May 8, 2015
Thursday, May 7, 2015
Sunday, May 3, 2015
Thursday, April 30, 2015
Sunday, April 26, 2015
Saturday, April 25, 2015
दो दोहे और
लैंड़ बिल के कारण था , पहले ही भूचाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
**********
क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
**********
क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, April 24, 2015
Thursday, April 23, 2015
Tuesday, April 21, 2015
Sunday, April 19, 2015
Saturday, April 18, 2015
Saturday, April 11, 2015
Wednesday, April 8, 2015
Tuesday, April 7, 2015
एक और गौतम बुद्ध
-ओंम प्रकाश नौटियाल
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810
Tuesday, March 31, 2015
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