Sunday, September 27, 2015

राजनेता

कुछ राजनेता टिकट के बँटवारे  के समय ही ईमानदार , बहादुर और बगावती क्यों हो जाते हैं ? आगे पीछे तो उन्हें पार्टी मे कोई बुराई नज़र नहीं आती ।

Thursday, September 24, 2015

ईद मुबारक !!!

त्याग और बलिदान का, पर्व आज बकरीद
प्रेम, स्नेह ,सद्‍भाव की, लेकर नव उम्मीद !
-ओम प्रकाश नौटियाल

Thursday, September 10, 2015

मुर्ग मुदित होकर कहे


विश्व हिंदी सम्मेलन


भारत के भोपाल शहर में आज प्रारंभ हुए दसवें  विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी का उद्घाटन भाषण प्रभावशाली और रोचक था :
हिंदी का स्वागत हुआ , गर्वित है भोपाल
गले लगाया विश्व ने , उन्नत भारत भाल !
-ओंम  प्रकाश नौटियाल

स्वच्छता अभियान


Saturday, September 5, 2015

छुट्टी जन्माष्टमी की !!

कल अवकाश होने से,  ना अख़बार आया आज
खबरों की दुनियाँ में , एक रविवार आया आज,      
घटी कल जो घटनाएं, मयस्सर अब न हों शायद
टी वी की डींग पर , नही  एतबार आया आज !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, August 1, 2015

Sunday, July 26, 2015

कब आओगे मीत

गया कभी न आया है , यही जगत की रीत

किस मुँह फिर तुमसे कहूँ , कब आओगे मीत !

-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, July 13, 2015

अपनी होली ईद !

घृणा गाद को फेंक कर , मैत्री सुधा खरीद
तभी मनेगी हृदय से , अपनी होली ईद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Sunday, July 12, 2015

गुरु गुगल

गुरु गुगल की शरण पूर्व , रहे निपट अनजान
मिला ज्ञान उनसे हुई, हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, July 11, 2015

, चूस लिए सारे घाट

घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान ,
हर मुश्किल आसान , फ़कत बस पैसा खाया
खूब मचायी लूट , रहे पुश्तों तक साया
कहें ’ओंम ’ कविराय , दिया धन से सभी पाट
खूब निचोडा माल , चूस लिए सारे घाट
-ओंम प्रकाश नौटियाल

घाट घाट पानी पिया

घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, July 10, 2015

व्यापम

सोच रहे थे लोग जब , घपले रहे न शेष
ताल भोपाली पीटता, व्यापम करे प्रवेश,
व्यापम करे प्रवेश , हुआ तब धूम धडक्का
देख दैत्य का रूप , देश था हक्का बक्का,
नन्हों का आहार , बडों को न तनिक खरोंच
समझदार यह दैत्य , धन्य है राजसी सोच !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Thursday, July 9, 2015

हार्दिक बधाई !!

दिन विशेष है आज का , महकें सुमन सरोज
अति प्रसन्न हैं मात पित , चन्दर और मनोज,
चन्न्दर और मनोज , पुत्र का जन्म दिवस है
बरसता शुभाशीष , उमडे आनंद रस है ,
करो देश का नाम , ’विभोर’ जियो दिन अनगिन
फैले ज्ञान प्रकाश , करो सुरभित तुम हर दिन !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

ससुराल में !!!

अवसर पाकर ’ओंम’ हैं , शिमला में ससुराल
यहाँ न कोई कर सके , बाँका अपना बाल,
बाँका अपना बाल , कवच हैं साले साली
घटिया भी हो छंद , मिले दाद और ताली,
कहें ’ओंम’ कविराय , सैर करो बनठन कर
साल में एक बार , मिले आने का अवसर
-ओंम प्रकाश नौटियाल
 

Monday, July 6, 2015

वाद कोइ भी लीजिए , आए इसके बाद
सब वादों मे श्रेष्ठ है , जग में अवसर वाद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Friday, July 3, 2015

राजनीति के मसखरे , बदले पल-पल रंग
धन, पद , कद जो दे सके ,चले उसी के संग
-ओंम प्रकाश नौटियाल




 

शिमला  जाखू श्रंग पर , वानरीय उत्पात
हम उनकी संतान हैं , सिद्ध करे यह बात
-ओंम प्रकाश नौटियाल
 

Thursday, July 2, 2015

सागर पानी पी गया, नदियाँ हुई उदास
हाय राम हम लुट गई, रत्नाकर के पास
-ओंम प्रकाश नौटियाल




 

नीला अब तक कंठ है , विष पीकर भगवान
जहर फिर से फैल गया , महादेव बलवान,
विषधर विचरें हर जगह , करें गरल का वार
 कर मर्दन पी लीजिये , होगा तब उद्धार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, June 1, 2015

भोजन "दो जून" का

करें सभी "दो जून" का, पूर्ण पेट आहार
 ईश दया का आपकी , लाख लाख आभार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

"दो जून" का भोजन


Thursday, May 28, 2015

धरना

धरना ओल्ड पटरी पर , दिल से नहीं पसंद
जब आए बुलैट  ट्रैक ,  धरना  दे  आनंद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, May 26, 2015

चक्कर " तीन सौ सत्तर " का

26.05.2015

एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री  अमित शाह  ने बयान दिया है कि  राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं  हो सकता ।
चक्कर " तीन सौ सत्तर "  का
हों तीन सौ सत्तर तब , निर्मित मंदिर राम
रहे न  तीन सौ सत्तर , जे के बने सुधाम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Saturday, May 23, 2015

चलते चलते

छूमंतर हों मुश्किले , बनें लोग खुशहाल
देश विदेश एक किया ,  दौडे  पूरे  साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Saturday, April 25, 2015

दो दोहे और

लैंड़ बिल के कारण था , पहले ही भूचाल
भेज और भूकंप प्रभु , क्यों करते बदहाल !
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क्यों होना भयभीत रे , दुर्दिन कर के याद
तय है आना भोर का , स्याह रात के बाद
=ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, April 7, 2015

एक और गौतम बुद्ध

-ओंम प्रकाश नौटियाल
2 अप्रैल के दिन जीवन सहसा प्रकाश से आलोकित हो गया । यह सत्य घटना थी । पहली अप्रैल  गुजर चुकी थी अतः किसी मजाक की कोई गुंजाईश नहीं थी । मैंने आसपास देखा , उपर देखा कि कहीं मैं वट वृक्ष के नीचे तो नहीं हूं क्यों कि आज से 500 ई. पू. वटवृक्ष के नीचे ही राजकुमार गौतम को वैशाख (अप्रैल-मई) पूर्णिमा के दिन ज्ञान का प्रकाश मिला था । वडोदरा का तो नाम ही यहाँ वड़ वृक्षों के बाहुल्य के  कारण वडोदरा पडा है फिर महीना भी अप्रैल का है मुझे भ्रम सा होने लगा कि शायद इस संसार में व्याप्त अतीव हिंसा , घृणा और अशान्ति को  दूर कर पुनः शान्ति स्थापित करने  के लिए महात्मा बुद्ध ने मेरे रूप में पुनर्जन्म लिया हो , इस भ्रम का एक कारण और भी था , मेरे जीवन में  तम धीरे धीरे घर कर रहा था , जीवन धुंधला सा गया था मुझे भी प्रकाश की तलाश थी और इसी खोज में मैं यहाँ आया था । ज्ञान चक्षुओं पर जमी हुई समय की गर्द को साफ कर मैं जीवन आलोकित करना चाहता था , यह तपस्या की घडी थी । और तभी मैंने पाया कि मेरे चक्षु अतीव प्रकाश पुंज में नहाए हुए से हर साँसारिक वस्तु को स्पष्ट देख रहे हैं , किंतु मैं वट वृक्ष के नीचे तो कतई नहीं था ।
तभी एक आवाज से मेरी तंद्रा भंग हुई । परिचित सी आवाज थी , " Mr. Nautiyal, your cataract surgery is done successfully, you can now see everything crystal clear ( अर्थात नौटियाल जी , आपका मोतियाबिंद का औपरेशन सफलतापूर्वक हो गया है, अब आप सब कुछ स्पष्ट देख सकते हैं ) ।" डाकटर की बात सुनकर बुद्ध होने के मेरे सभी भ्रम धराशायी हो गए । मुझे चक्षु खुलने की खुशी तो हुई किंतु साथ ही इस बात का दुख भी हुआ कि संसार आज के इस विषाद भरे माहौल में एक और बुद्ध पाने से वंचित रह गया ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल , बडौदा , मोबा. 9427345810