Monday, April 25, 2022
Friday, April 22, 2022
Thursday, April 21, 2022
Tuesday, March 22, 2022
Sunday, March 20, 2022
Saturday, March 19, 2022
Friday, March 18, 2022
Thursday, March 17, 2022
Wednesday, March 16, 2022
Tuesday, March 8, 2022
Monday, March 7, 2022
Sunday, March 6, 2022
दन्त कथा - रूट कैनाल
एक था दन्त
कठोर परिश्रमी,
स्वभाव से संत
जीने का जज्बा था
पर आह बहुधा भरता था
पीर से टसकता था
दर्द उसका नगमा था
गुफ़ा में निवास था
बंधु बांधवों का साथ था
रात दिन गुफ़ा द्वार
खुलता था कई कई बार
निरंतर उसे मिलता था
ठंडे गर्म खट्टे मीठे
कुछ कोमल
कुछ पत्थर सरीखे
कच्चे ,पके , अधपके
पदार्थ पीसने का काम
खिन्न हो इस बेगारी से
त्रस्त हो चाकरी से
गम में घुलने लगा
उसका अस्तित्व पिघलने लगा
और वक्त ऐसा फिर आया
जब वह अपने भीतर
बना बैठा एक और गुफ़ा
और डूबने लगा
उसके अंघेरों में
सिहर उठा दन्तस्वामी
अपनी बेबसी पर,
दिखाया दन्त चिकित्सक को
देख परख तंत्र से, संयंत्र से
चिकित्सक बोला,
"बडा ’डीप्रैशन’ है
जिसे तू अज्ञानवश
मात्र कैविटि समझता है,
मूल में इसके
खोदनी होगी एक नहर
उस प्रक्रिया को भी हमने दिया है
एक अति आधुनिक नाम
’रूट कैनाल’
है न बेमिसाल
इस नहर से सिचिंत होगी
नवल दन्त पौध की मूल
जो कर सकेगी
अनवरत सेवा
फ़िर चाहे अमरुद खाओ या मेवा
इस बूढे दाँत को मैं
उखाड फेंकूगा
अब इसके पास
देने के लिये कुछ नहीं है
बस पुराने जीवन के
कुछ दर्दीले कुछ नशीले
कहानी किस्से हैं
जिन्हें यह नाम देता है
अनुभव का
भला आज के
महा प्रगतिशील
तकनीकी युग में
किसे जरूरत है
पुराने पुर्जों की
दादा के तजुर्बों की
हर कोई रंग में
आधुनिकता के
ऐसा रंगा है
कि उसका नसीब
कृत्रिमता पर टंगा है !!"
-ओम प्रकाश नौटियाल
Thursday, February 24, 2022
Tuesday, February 22, 2022
Sunday, February 20, 2022
Sunday, February 13, 2022
Friday, February 11, 2022
कहानी संग्रह "शतरंजी खंभा "
कलमकार मंच द्वारा प्रकाशित ओम प्रकाश नौटियाल जी का नवीनतम कहानी संग्रह "शतरंजी खंभा " कलमकार मंच वैब साइट और अमेजॉन पर भी उपलब्ध है ।
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Tuesday, February 8, 2022
स्व. लता मंगेशकर जी के पंजाबी गीत
दिवंगत लता मंगेशकार जी ने अपने सात दशक के सक्रिय कार्यकाल में तीस हजार से अधिक गीत गाए हैं, जिसका अर्थ यह होता है कि उन्होनें लगातार सत्तर वर्ष तक लगभग 1.2 गीत प्रतिदिन के औसत से गीत गाए हैं । उन्होंने हिन्दी और अपनी मातृ भाषा मराठी के अतिरिक्त भी लगभग सभी भारतीय भाषाओं में गायन किया । लता जी ने बीस पंजाबी फिल्मों में भी लगभग अस्सी गीत गाए ।
पंजाबी फिल्मों का इतिहास इसलिए और भी रोचक हो जाता है क्योंकि इसके साथ अविभाजित भारत की अनेकों दिलचस्प दास्ताने जुड़ी हैं । यह इतिहास हमें गायकों , संगीत कारों, निर्देशकों और फिल्म निर्माण तथा फिल्मों के उस शुरुआती काल में ले जाता है जहाँ बड़े बडे नामी कलाकार, संगीत घराने विभाजन से पूर्व मुख्यतया लाहौर में एक जुट होकर, एक देश के वासी के रूप में फिल्म निर्माण में कार्यरत रहे थे ।
पंजाबी फिल्मों की भी तब खासी प्रतिष्ठा थी जो भारत तथा उसके साथ ही पंजाब के विभाजन के बाद भी कम से कम दस वर्षों तक तो कायम रही ही।
विभाजन के बाद ’चमन’ पहली पंजाबी फिल्म थी जो लाहौर के रतन सिनेमा में 6 अगस्त 1948 को रिलीज हुई थी । लता जी ने उस फिल्म में तीन गाने गाए थे जिनका संगीत लाहौर के विनोद उर्फ एरिक रोबोर्ट ने दिया था । फिल्म का निर्देशन आर के शोरी ने किया था जो बाद में मुम्बई जाकर बस गए थे। लता जी के गाए यह तीनों गीत- गलयाँ फिर दे ढोला निक्के निक्के बाल वे , राहे राहे जान्दिया ,अस्सां बेकदरां नाल एक अन्य गायक पुष्प हंस से भी गवाए गए थे किंतु बाद में न जाने किन कारणों से हंस के गाए गानों को ही फिल्म में लिया गया । इन गीतों के बोल आजाद कश्मीरी ने लिखे थे ।
1949 में फिल्म ’लच्छी’ रिलीज हुई थी जो बहुत बडी हिट रही । इस फ़िल्म का संगीत हंसराज बहल का था । इसमें लता जी ने गीत- नाले लम्मी ते नाले काली- गाया था इसके अतिरिक्त उन्होंने मोहम्मद रफी साहब के साथ एक अन्य युगल गीत - काली कंघी नाल- भी गाया था ।लता जी और रफी साहब के अलावा शमशाद बेगम भी इस फिल्म की तीसरी पार्श्व गायिका थी । इन तीनों गायकों और संगीत निर्देशक की टीम ने बाद में अन्य पंजाबी फिल्मों में भी साथ काम किया और यह तब तक चलता रहा जब तक पंजाबी फिल्मों के उतार का दौर शुरू नहीं हुआ । कुछ प्रबुद्ध जानकारों का मानना है कि पहली पंजाबी फिल्म जिसमें लता जी ने गीत गाए ’लच्छी’ थी ’चमन’ नहीं ।
लच्छी फिल्म का निर्माण विभाजन से पूर्व आरंभ हो गया था और पचहत्तर प्रतिशत फ़िल्म विभाजन होने तक बन चुकी थी । विभाजन के बाद फिल्म का शेष पच्चीस प्रतिशत हिस्सा भारत में बना । हंसराज बहल, जिनको पहले बहल लायलपुरी के नाम से जाना जाता थे, लता जी से गवाने वाले प्रथम संगीत निर्देशक थे । बताया जाता है कि लता जी ने अंतिम पंजाबी गाना 1992 में रिलीज हुई पंजाबी फिल्म ’मेंहदी शगना दी’ मे गाया था यह गीत था "मत्थे उत्ते टिक्क ला के" जिसे बाबू सिंह मान ने लिखा था ।
फिल्म मदारी 1950 में रिलीज हुई थी जिसमें लता जी ने दो गाने गाये थे -पूछ मेरा हाल कद्दे , उत्ते टंग्या दुपट्टा मेरा डोल दा । संगीत दिया था पंजाब तबला घराने के प्रतिपादक उस्ताद अल्लाह रख्खा ने ,जो पखावज मास्टर मियाँ कादिर बख्श के चेले थे और फिल्मों में ए आर कुरेशी के नाम से संगीत देते थे । बताया जाता है कि लता जी का अल्लाह रक्खा से परिचय म्यूजिक कम्पोजर मास्टर गुलाम हैदर ने करवाया था जिन्हे लता जी अपने एक पथ प्रदर्शक (मैंटोर ) के रूप में मानती थी । इन दोनों गानो को आजाद कश्मीरी ने लिखा था ।
उस्ताद अल्लाह रख्खा ने 1951 में एक अन्य फिल्म ’फुम्मन’ का संगीत भी दिया था । लता जी ने इस फिल्म में भी दो गाने गाए थे -’मैं उडियाँ चुक चुक वेखन’ और रातां अंधेरियाँ आ गैय्यां’ । 1954 में शमिन्दर चहल द्वारा निर्देशित फिल्म वंजारा में भी लता जी ने कुछ गीत गाए थे - जग जा नी बत्ती , साडे पिंडी विच पा के हट्टी । लता जी ने शमिन्दर के साथ फिल्म के तीन युगल गीत भी गाए - चरखे दियां घूकन ने , मारा कंधा उट्टे लीकां तथा तेरी रवांगी मैं हो के ।
1960 में रिलीज हुई फिल्म दो लच्छियाँ में लता जी ने रफी साहब के साथ एक युगल गीत गाया था -अस्सां कित्ती ऐ सांजना तेरे नाल ठू । इस गीत को वर्मा मलिक ने लिखा था और संगीत निर्देशक थे हंसराज बहल ।
इसी वर्ष लता जी ने एक और पंजाबी फिल्म पगडी संभाल जट्टा के लिए यह गीत गाए -राह जांगे माही नू, टप नी जवानी ऐ टप टप ,माही पल विच छलके जवानी ले गया ।
1961 में रिलीज हुई गुड्डी फ़िल्म के गीत आजाद कश्मीर ने लिखे जिनमें लता जी का रफी साहब के साथ गाया युगल गीत- प्यार दे भुलेख्खे -जबर्दस्त लोकप्रिय हुआ ।
लता जी ,रफी साहब ,शमशाद बेगम और हंसराज बहल की टीम एक बार फ़िर पिंड दी कुडी फिल्म के लिए इकट्ठी हुई । यह फिल्म 1963 में रिलीज हुई इसमें लता जी का गाया गीत था- मैनु तेरे पीछे सजना कद्दी हंसना पेया कद्दी रोना पिया । लता जी का महेन्द्र कपूर जी के साथ गाया गीत- लाई आ ते तोड़ निभाइं- भी खूब पसंद किया गया ।
1982 में रिलीज हुई फिल्म ’रेशमा’ अंतिम पंजाबी फिल्म थी जिसमें लता जी ने गाने गाए । फिल्म में गायक शैलेन्द्र नायक भी थे । फिल्म मे गाया लता जी का गीत ’पा केह विछोरे ’ लोकप्रिय हुआ । रफी साहब ने फिल्म में एक पंजाबी भजन भी गाया । इसके अलावा लता जी ने 1983 में कमला हसन और अनिताराज की हिंदी फिल्म ’जरा सी जिंदगी’ में भी एक पंजाबी गीत- कच्चा घड़ा मिट्टी दा- गाया था।
1960 के बाद पंजाबी फिल्मों का बनना नहीं के बराबर हो गया था और लता जी इस बात से परिचित थी लेकिन जब तक अच्छी पंजाबी फिल्मे -चाहे इक्का दुक्का ही सही- बनती रही लता जी उनमें अपनी आवाज देती रही ।
लता जी ने शबद कीर्तन और गुरू ग्रंथ साहेब भी गाए हैं ।उन्होंने लंदन के रौयल एल्बर्ट हाल में 1974 में लाइव भी परफौर्म किया था । उनकी शबद एलबम का एल पी रिकार्ड 1979 में रिलीज किया गया ।
अपने गीतों के माध्यम में स्वर सम्राज्ञी सदैव अमर रहेंगी और उनकी स्वर लहरी सदा गुँजायमान रहेगी । विनम्र श्रद्धांजलि !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
( इंगलिश समाचार पत्र डान व अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर साभार )
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Sunday, February 6, 2022
Saturday, February 5, 2022
Wednesday, February 2, 2022
Monday, January 31, 2022
Saturday, January 29, 2022
Tuesday, January 25, 2022
Saturday, January 22, 2022
Monday, January 17, 2022
Thursday, January 13, 2022
Tuesday, January 11, 2022
Friday, January 7, 2022
Friday, December 31, 2021
Thursday, December 30, 2021
Wednesday, December 29, 2021
Tuesday, December 21, 2021
विदाई गीत
सिसक सिसक कर गा रहा,
वर्ष विदाई गीत,
मुश्किल में काटा समय ,
उमर गई अब बीत !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
Monday, December 20, 2021
Sunday, December 19, 2021
Thursday, December 16, 2021
Sunday, December 12, 2021
विश्व पर्वत दिवस
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2002 को अंतराष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया था | तत्पश्चात 11 दिसमबर 2003 से प्रति वर्ष यह दिन अंतराष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है । पहाड़ सौन्दर्य, द्दढ़ता, शीतल सौम्य जलवायु के प्रतीक तो हैं ही ,किंतु इन पर मानव सभ्यता जन्य अतिरिक्त बोझ भी है । विश्व की आबादी के लगभग 12 प्रतिशत लोगों का निवास पहाडों पर है । लगभग इतने ही लोग इनके एकदम पास के क्षेत्रों में निवास करते हैं । विश्व का लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र पहाडो से ढका है । भारत का लगभग 33 प्रतिशत भू भाग पर्वताच्छादित है । भारत में भी लगभग 25 प्रतिशत लोग पहाडों या उनके निकटस्थ क्षेत्रों में सामान्य रूप से निवास करते हैं । अस्थायी मौसमी आबादी इससे काफी अधिक हो सकती है ।
पर्वतों का ध्यान रखना और उनका क्षरण रोकना न केवल उनकी प्राकृतिक, सांस्कृतिक ,आध्यात्मिक विरासत और वहाँ के जनजीवन और जलवायु संरक्षण के लिए नितांत आवश्यक है वरन वहाँ की जैव विविधता और सभी के भोजन और औषधियों के लिए अत्यंत उपयोगी पैदावार को बचाने और बढाने के लिए भी अत्यंत जरूरी है।
अंतराष्ट्रीय पर्वत दिवस के अवसर पर प्रति वर्ष पर्वतों के संरक्षण से जुडे विषयों में से एक विषय थीम के रूप में चयनित होता है । 2020 में विश्व पर्वत दिवस का थीम था “पर्वत जैव विविधता” । इस वर्ष 2021 का विषय “सतत पर्वतीय पर्यटन” है। पर्वतीय क्षेत्रो में जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संतुलित विकास के साथ साथ हर कीमत पर बनाए रखना है । पर्वत वासियों के लिए गरीबी उन्मूलन के लिए आजीविका विकल्प ढूँढ़ने , स्थानीय शिल्प और उच्च मूल्य वाले उत्पादों को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है ।
इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न मंचों विशेषकर पाठशालाओं में इस वर्ष के थीम पर भाषण , कविता निबंध आदि प्रतियोगिताएं होनी चाहिए लोग अपनी पर्वतीय यात्राओं के अनुभव , तस्वीरें और सुझाव भी एक दूसरे से साझा कर सकते हैं । पर्वतों के संतुलित विकास और उनके संरक्षण का विषय अब और अधिक टाला नहीं जा सकता ।
पहाडों से दूर
-
पहाडों से दूर रहकर, हुई जिन्दगी पहाड सी,
हरियाली दूर हो गई ये जिन्दगी उजाड़ सी ।
-
मिमिया गई आवाज शहर के शोर शार में,
गूंजी थी पर्वतों पर जो , सिंह की दहाड़ सी।
-
जीवन में ताजगी कहाँ, हवा नहीं ताजी नसीब,
मुर्दे मे प्राण फूंकने , हो मानो चीर फ़ाड सी।
-
हवा में शुद्ध गाँव की हर साँस को सुकू्न था,
जो मिल रही है हवा, वो साँस का जुगाड सी।
-
छोटी लगी मुश्किलें , पहाड़ी निश्छ्ल प्यार में,
शहर के झंझट में बनी, तिल सी मुसीबत ताड सी।
-
-ओम प्रकाश नौटियाल ,बडौदा , मो. 9427345810
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
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Wednesday, December 8, 2021
Monday, December 6, 2021
Friday, December 3, 2021
Wednesday, December 1, 2021
Wednesday, November 24, 2021
Thursday, November 18, 2021
Monday, November 8, 2021
Sunday, November 7, 2021
Wednesday, November 3, 2021
Sunday, October 31, 2021
Thursday, October 14, 2021
Friday, October 1, 2021
Thursday, September 30, 2021
Wednesday, September 29, 2021
Friday, September 24, 2021
Tuesday, September 21, 2021
Tuesday, September 14, 2021
"हिंदी भूषण"
पखवाडा कैसे मने ,
इसके पक्ष अनेक,
"हिंदी भूषण" दें किसे,
यक्ष प्रश्न यह एक,
यक्ष प्रश्न यह एक,
हुई जब विस्तृत चर्चा,
निकला यह निष्कर्ष,
वहन जो कर ले खर्चा,
सबका भोजन भार ,
दे सके सारा भाड़ा,
वही श्रेष्ठ विद्वान,
नाम उसके पखवाड़ा !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
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Sunday, September 5, 2021
Saturday, September 4, 2021
शिक्षक दिवस
गीता में श्रीकृष्ण ने,
वाचा अद्भुत ज्ञान ,
मर्म मानव जीवन के,
धर्म ,कर्म, अज्ञान ,
धर्म, कर्म, अज्ञान ,
सत्य सनातन यह है,
नश्वर है यह देह,
जीव पर अजर अमर है
रहे बात यह ध्यान,
जीवन गुरू बिन रीता,
गुरू बने थे ईश,
सुवाची जब थी गीता !
-ओम प्रकाश नौटियाल
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