-1-
ताने चाहे मारिए ,
करते रहिए तंज
चाल सदा टेढ़ी चले,
सत्ता की शतरंज
-2-
जनता जा किससे कहे ,
भूख प्यास का दर्द
सत्ता की अनुभूति पर,
चढ़ी लोभ की गर्द
-3-
स्वप्न मरूथल से हुए ,
अश्रु भी गए सूख
सत्ता को न रुला सके ,
रोजी, रोटी, भूख !
-4--
स्वर्ण महल में बैठ कर ,
बस कोरे उपदेश
इस नौटंकी से कभी ,
दूर न हों जन क्लेश
-5-
पद बिन हो सेवा नहीं ,
रिश्वत बिन न विकास
सेवक तो स्वामी बने ,
लोग दास के दास
-6-
भाषण में जब की शुरू ,
दीन दुखी की बात
अभिनय किया कमाल का,
सिसक उठे जज़्बात !
-7-
जिस नेता के पक्ष में,
लड़े मित्र से रात,
वह जा मिला विपक्ष में,
अभी भोर की बात
-8-
भूत प्रेत इस जगत में ,
या नेता मासूम
केवल मन के वहम हैं ,
तथ्य रहे मालूम
-9-
नेता अपने देश के ,
हीरे हैं बेजोड़
बिकने पर जो आ गये,
कीमत कई करोड़
-10-
बाजीगर सत्ता करे ,
कैसे कैसे खेल
बिन नदी के बाँध बनें ,
सच पर कसे नकेल
-11-
फूट डालने के विषय ,
सत्ता करे तलाश
आम गरज़ के प्रश्न तो ,
दे न फटकने पास
-12-
महल के परकोटे से,
सूखी रोटी फेंक
फिर मुनादी करवा दे ,
राजा कितना नेक
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