यह अंबुधर निवासिनी
कौंध रही है दामिनी
पंछी को आस बसेरे की
चिंता है कच्चे डेरे की
अंबुद छाए भूरे काले
अनहोनी को कैसे टालें
बहुत डराती यामिनी
कौंध रही है दामिनी
गरजें बदरा सहमे जियरा
पिया पिया गा रहा पपिहरा
जामुन टपकें हैं टप टप टप
बाहर है बारिश छप छप छप
क्रोधित सी ज्यों भामिनी
कौंध रही है दामिनी
दादुर बोल रहे टर टर टर
गौरेया फुदके फर फर फर
इधर उधर उगे कुकुर मुत्ते
अमरूद और खीरे, भुट्टे
शोर करे मंदाकिनी
कौंध रही है दामिनी
-ओम प्रकाश नौटियाल
31/01/2024
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