Wednesday, January 31, 2024

सरस्वती वंदना

 आई हूं प्रातः  मात द्वार

लेकर मन में श्रद्धा अपार

माँ शारदा पूजन स्तुति थाल

सुरभित सुन्दर ले पुष्प माल

--1-

लालिमा भोर नभ है ठहरी

गूंजे भजनों की स्वर लहरी

पाखंडियों से डरी सहमी

माँ तुम रक्षक  तुम जग प्रहरी

ज्ञानदात्री करो तम निढ़ाल

अर्पित यह अनुपम पुष्प माल

-2-

धूप चंदन मकरंद सुगंध

धुएं का हल्का श्याम रंग

देवी सानिध्य भोर बेला

अंतस पावन उमंग तरंग

तिलक सोहे ज्ञानदा भाल

शोभित यह न्यारी पुष्प माल

-3-

हृदय में न तनिक रहे संशय

सरस्वती पूजन  इक उत्सव

जीवन का श्रम श्वासों की लय

जब मात शरण  तो कैसा भय

हो प्रदीप्त ज्ञान कृपा मशाल

सुरभित सुन्दर यह पुष्प माल

- ओम प्रकाश नौटियाल

31/01/2024


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