आई हूं प्रातः मात द्वार
लेकर मन में श्रद्धा अपार
माँ शारदा पूजन स्तुति थाल
सुरभित सुन्दर ले पुष्प माल
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लालिमा भोर नभ है ठहरी
गूंजे भजनों की स्वर लहरी
पाखंडियों से डरी सहमी
माँ तुम रक्षक तुम जग प्रहरी
ज्ञानदात्री करो तम निढ़ाल
अर्पित यह अनुपम पुष्प माल
-2-
धूप चंदन मकरंद सुगंध
धुएं का हल्का श्याम रंग
देवी सानिध्य भोर बेला
अंतस पावन उमंग तरंग
तिलक सोहे ज्ञानदा भाल
शोभित यह न्यारी पुष्प माल
-3-
हृदय में न तनिक रहे संशय
सरस्वती पूजन इक उत्सव
जीवन का श्रम श्वासों की लय
जब मात शरण तो कैसा भय
हो प्रदीप्त ज्ञान कृपा मशाल
सुरभित सुन्दर यह पुष्प माल
- ओम प्रकाश नौटियाल
31/01/2024
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