Thursday, June 29, 2017

बरसात दो दोहे

माटी की सोंधी महक, फैली नीम सुगंध
पहली इस बौछार का , छंदों सा आनंद !!
पानी बरसा मेघ से , मिटा ताप संताप
चादर हरी लपेट ली , धरती ने चुपचाप !!
ओंम प्रकाश नौटियाल

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