बाईस गज की नदिया , समझ सके ना थाह
नैय्या कैसे पार हो , नाविक जब गुमराह !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
नैय्या कैसे पार हो , नाविक जब गुमराह !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
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