Saturday, September 20, 2014

श्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से



-ओंम प्रकाश नौटियाल

हिन्दी का विकास , प्रचार, प्रसार पिछले वर्षों में बहुत अधिक हुआ है किंतु हाँ, मैं इस बात से सहमत हूं कि इसमें हिंदी दिवस या हिन्दी पखवाडों का योगदान लगभग नगण्य है । इस कार्य में हिन्दी फिल्मों , टीवी सीरियल्स आदि ने अहम भूमिका अदा की है ,आधुनिक तकनीक ने इनकी पहुँच को विश्वभर के देशों मे अत्यंत सुगम बना दिया है ।125 करोड़ आबादी वाले भारत देश को एक बडे बाजार के रूप में देखने वाले विश्व के अनेक देश यहाँ अपनी पैठ जमाने के लिए हिन्दी सीख रहे हैं ।

फ़ेसबुक और अन्य सोशल साइट्स का भी हिन्दी साहित्य के प्रचार प्रसार में बडा योगदान है । हमारे देश के अंदर भी रोजगार के कारण युवाओं का अपना गाँव/नगर छोड देश के अन्य हिस्सों में जाने से भी देश भर में हिन्दी की स्वीकार्यता बहुत अधिक बढी है । विश्व के करोडों लोगों की इस भाषा को पल्लवित और प्रसारित होने से कोई नहीं रोक सकता । सरकारी कार्यालयो में भी हिन्दी के निरंतर बढते प्रेमियों के बाहरी दबाव के कारण ही हिन्दी पूरी तरह से छायेगी, इन "हिन्दी दिवसों " या पखवाडो से नहीं जो कभी से प्रति वर्षरस्म अदायगी के तौर पर ऐसे आयोजनों पर दिल खोल कर खर्च कर अपनी पीठ थपथपाते चले आ रहे हैं । हिन्दी का भविष्य अत्यंत उज्जवल है, निश्चिंत रहिए ।प्रतिष्ठित हिन्दी कवि श्री गोपाल सिंह नेपाली जी की दशकों पहले लिखी

कविता के अंश उद्धत कर रहा हूं :

" हिन्दी है भारत की भाषा तो अपने आप पनपने दो

यह दुखड़ों का जंजाल नहीं लाखों मुखड़ों की भाषा है

थी अमर शहीदों की आशा अब जिन्दों की अभिलाषा है

मेवा है इसकी सेवा में नयनों को कभी न झुकने दो

हिन्दी है भारत की भाषा......

श्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से

यह सरस्वती है जनता की पूजो उतरो सिंहासन से

तुम इसे शान्ति में लिखने दो, संघर्ष काल में तपने दो

हिन्दी है भारत की भाषा......

-गोपाल सिंह नेपाली "

जय भारत !

-ओंम प्रकाश नौटियाल

वड़ोदरा , गुजरात



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