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गाँधी देखें स्वर्ग से , लोकतंत्र के ढंग
सत्ता के लोभी यहाँ , बदलें कितने रंग
बदलें कितने रंग, करें प्रयोग असत्य के
गढ़े नित्य नव झूठ , बिना ही किसी तथ्य के
हर ले जन की व्याधि , चले ऐसी इक आँधी
तब बदलेगा देश , स्वर्ग में सोचें गाँधी
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सच्चे सेवक देश के , रहे बहादुर लाल
अंगीकृत की सादगी, बदली कभी न चाल
बदली कभी न चाल ,अनुकरणीय थी शैली
छवि उनकी बेदाग , हुई न तनिक भी मैली
ऋण लेकर ली कार, शाला जा सकें बच्चे
सोमवार उपवास , समर्पित सेवक सच्चे !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
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