Friday, July 2, 2021

विनती

 सावन के जलधर सुनो , 

विनती एक अशेष,

हद से अधिक जल भर कर, 

करें न नभ प्रवेश,

करें न नभ प्रवेश , 

अतिवृष्टि अति विनाश है,

जल प्रलय,स्खलन ,बाढ, 

ह्वास और संत्रास है, 

बरसे नेह फुहार ,  

द्दश्य हो हर मनभावन

सबकी हो तब चाह , 

कि अब आएगा सावन !!

-ओम प्रकाश नौटियाल

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