Saturday, November 11, 2017

दुखी सब बादल

बादल सोचे देखकर , घना धरा का फाग

कौन घूमता है वहाँ , रचकर मेरा स्वाँग ?

रचकर मेरा स्वाँग ?, कुछ मैं देख ना पाऊँ

लगे सभी तो स्याम, किधर पानी बरसाऊँ

सभी छुप गये खेत, रहा मैं जिनका कायल

देख धरा का हाल , अत्यंत दुखी सब बादल

-ओंम प्रकाश नौटियाल

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