गर्मी
हरियाली पथरा गयी, फैली रेत ही रेत
झुलसे झुलसे लोग हैं , सूखे सूखे खेत !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हरियाली पथरा गयी, फैली रेत ही रेत
झुलसे झुलसे लोग हैं , सूखे सूखे खेत !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र
No comments:
Post a Comment