Saturday, July 23, 2016

वह लड़की -

ओंम प्रकाश नौटियाल (सत्य घटना  पर आधारित)
 मात्राभार २४,२८
-1-
लावण्या किशोरी एक
रहने पडोस में आई
लिए विरक्त सा चेहरा
अजब सी मुर्दनी छाई
न जाने किन खयालों में, वह खोयी सी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-2-
किसी से बात न करती
सुनी न  गुनगुनाती वह
सदा अनमनी सी रहती
न देखी मुस्कराती वह,
अकेली बैठ कोने में, कुछ सोयी सी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-3-
शीतल उदास मौसम में
पवन जब सनसनाती थी,
कभी जुल्फ़ें झटकते ही
चूड़ियाँ खनक जाती थी,
दुपट्टे से ढ़क अंखियाँ, बस रोयी सी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-4-
रोशन उसके कमरे को
किसी  ने पर नहीं देखा
तिमिर दूर करने का भी
रहा हो मन, नहीं देखा,
अँधेरों को अँधेरों में ,वह पिरोइ सी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-5
एक दिवस उसके घर से,
रूदन सा स्वर सुन कर के,
कौतुहलवश उधर झाँका
घर की छ्त के उपर से,
खाली था पड़ा कोना, वह जहाँ सोयी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-6-
उस दिन सुन ली मैंने जो
असीम करुण कहानी थी,
उसके जाने के पीछे,
सचाई  वहशियानी थी,
गई खुद छोड दुनिया को, जो खोयी सी रहती थी,
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-7-
इक दानवी दरिन्दे ने,
दिया था घाव अति गहरा
प्रताडित भी किया उसको
बुझा मासूम सा चेहरा
जग से  ली विदा उसने, जो प्रमोही सी रहती थी
इक उदास सी पीडा मानो ढोयी सी रहती थी
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित- सर्वाधिकार सुरक्षित)
बड़ौदा ,मोबा.9427345810
(मेरी पुस्तक "साँस साँस जीवन" से )

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