नीला नभ नत श्रंग पर, मनभावन है सीन
पर इस अंध विकास से, व्यथित बड़ी है क्वीन
व्यथित बड़ी है क्वीन , कंक्रीट भार ढ़ो रही
हरियाली को हार , ज़ार ज़ार रो रही
इतनी खाई चोट , रूप पर बहुत सजीला
शंकर जी का वास , कंठ जिनका है नीला
-ओंम प्रकाश नौटियाल
पर इस अंध विकास से, व्यथित बड़ी है क्वीन
व्यथित बड़ी है क्वीन , कंक्रीट भार ढ़ो रही
हरियाली को हार , ज़ार ज़ार रो रही
इतनी खाई चोट , रूप पर बहुत सजीला
शंकर जी का वास , कंठ जिनका है नीला
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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