Saturday, May 7, 2016

मेरे कुछ और दोहे

                 04.05.2016(FB)
नित्य सुने जनतंत्र में,ऐसे काण्ड अनेक ,
सत्य बैठकर सामने ,रोता घुटने टेक !!

                 03.05.2016(FB)
जिन कानन गूँजी कभी ,देवों की आवाज ,
देवभूमि के वन वही ,धू धू जलते आज !!

                  29.04.2016(FB)
पीपल छोड़ा गाँव का ,फिरे भटकते 'ओम ',
दाना पानी ढूंढते ,ज्यों खग नापें व्योम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

No comments:

Post a Comment