Wednesday, February 26, 2014

कंठ नीला है


2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 13 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सचमुच समझ नहीं आता ! जहर तो शंकर भगवान पी गए थे फिर ये जो चारों ओर जहर फैला है वह कहाँ से आया ?
    सटीक प्रश्न, सुंदर कविता।

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