-ओंम प्रकाश नौटियाल
उन आँखो मे कहाँ नूर कि जिनमे हया न हो ,
किस बात का गुरूर हो जब दिल में दया न हो,
छंद ,शिल्प से अलंकृत उस रचना में क्या पढें
जिसमें भाव, अनुभव, विचार कुछ भी नया न हो!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
उन आँखो मे कहाँ नूर कि जिनमे हया न हो ,
किस बात का गुरूर हो जब दिल में दया न हो,
छंद ,शिल्प से अलंकृत उस रचना में क्या पढें
जिसमें भाव, अनुभव, विचार कुछ भी नया न हो!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए बधाई
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