Wednesday, July 2, 2008

बाढ़ का पानी



बाढ़ का पानी

---ओंम प्रकाश नौटियाल



जिस जगह जाती नज़र , है मंजर तबाही का

देखो कहाँ तक फैला बेदर्द बाढ़ का पानी ।



नदियाँ कहाँ अब जा रही, सागर से मिलने को

समंदर को अन्दर ला रहा ,जालिम बाढ़ का पानी ।



सड़के नहीं रही थी , जो पैदल के भी लायक

सफीने वहां चलवा रहा, गहरा बाढ़ का पानी ।



उनके हवाई दौरे , घडियाली आंसू और वादे

क्या नौटंकी करवा रहा , विदूषक बाढ़ का पानी ।



बनता बड़ा जाँ बाज , उछल कर ऊँचे बांधो से

दीन झुग्गियां डूबा रहा , निर्दयी बाढ़ का पानी ।



छोटा बड़ा जो भी मिला सबको साथ ले गया ,

कितनो के प्राण पी गया ,प्यासा बाढ़ का पानी ।



जलमग्न सब कुछ कर ,अब बड़प्पन दिखा रहा

बनता है पानीदार , महा ढोंगी बाढ़ का पानी ।







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