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पुस्तक " GOD IS NOT GREAT "
"परमेश्वर महान नहीं है " - " God is not Great "(How religion poisions everything ) पुस्तक का प्रकाशन 1 May 2007 को संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ । 307 पृष्ठों की इस पुस्तक के लेखक हैम्प्शायर, इंगलैंड में जन्मे लेखक और पत्रकार क्रिस्टोफर हिचेन्स थे जिन्होने आस्था ,संस्कृति ,राजनीति और साहित्य पर अनेकों पुस्तकें लिखी हैं , उन्होंने आक्सफोर्ड से दर्शन , राजनीति और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि ली थी । उनका लोकप्रिय कथन था " जिसे बिना किसी साक्ष्य के थोपा जा सकता है उसे बिना साक्ष्य के नकारा भी जा सकता है "।15 December 2011 को 62 वर्ष की आयु में ह्यूस्टन , टैक्सास ,य़ू ऐस ए में उनका निधन हो गया ।
May 2007 में उनकी पुस्तक " God is not Great "(How religion poisions everything ) प्रकाशित होते ही विश्व भर में तहलका मच गया । आस्था और धार्मिक केन्द्रो ने उन पर तीखे प्रहार किये किंतु उन्होंने अपनी तर्क शक्ति , विद्वता और तथ्यों के बल पर पुस्तक में समाहित अपनी बातोंं के समर्थन में अनेकों सभाएं की जिसमे खुले आम उन्होनें पुस्तक में लिखे को तथ्यों, इतिहास और तर्कों से नकारने के लिये अपने आलोचकों को खुली चुनौती भी दी किंतु कोई उनकी बातों को प्रभावी ढंग से झूठला नहीं सका ।
न्यूयॉर्क टाइम्स के माइकल किंसले ने इस पुस्तक की समीक्षा में इसकी तार्किक बारीकियों और पहेलियों की प्रशंसा की, जिनमें से कई अविश्वासियों के लिए मनोरंजक हैं।
सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड में , मैट बुकानन ने इसे "एक गरजने वाला 300-पृष्ठ का गोलाबारी; ईश्वर के विचार के खिलाफ एक रोमांचकारी निर्भीक, प्रभावशाली रूप से व्यापक, पूरी तरह से कड़वी और गुस्से वाली किताब" कहा; बुकानन ने पाया कि यह काम "नास्तिक और नास्तिकता-विरोधी पुस्तकों की वर्तमान फसल में सबसे प्रभावशाली है: चतुर, व्यापक, मजाकिया और शानदार ढंग से तर्क दिया गया"। (विकीपीडिया से साभार)
पुस्तक निम्न 19 अध्यायों में विभाजित है ।
अध्याय एक: इसे हल्के ढंग से कहना :
अध्याय दो: धर्म हत्या करता है
अध्याय तीन: सुअर पर एक संक्षिप्त चर्चा; या, स्वर्ग हैम से क्यों नफरत करता है
अध्याय चार: स्वास्थ्य पर एक टिप्पणी, जिसके लिए धर्म खतरनाक हो सकता है
अध्याय पाँच: धर्म के आध्यात्मिक दावे झूठे हैं
अध्याय छह: डिजाइन से तर्क
अध्याय सात: पुराने नियम का दुःस्वप्न
अध्याय आठ: "नया" नियम "पुराने" नियम की बुराई से बढ़कर है
अध्याय नौ: कुरान यहूदी और ईसाई दोनों मिथकों से उधार लिया गया है
अध्याय दस: चमत्कारों की धूर्तता और नरक का पतन
अध्याय ग्यारह: धर्म की भ्रष्ट शुरुआत
अध्याय बारह: एक कोडा: धर्म कैसे ख़त्म होते हैं
अध्याय तेरह: क्या धर्म लोगों को बेहतर आचरण करने में मदद करता है?
अध्याय चौदह: कोई "पूर्वी" समाधान नहीं है
अध्याय पंद्रह: धर्म एक मूल पाप है
अध्याय सोलह: क्या धर्म बाल शोषण है?
अध्याय सत्रह: एक आपत्ति की आशंका
अध्याय अठारह: एक बेहतर परंपरा: तर्क का प्रतिरोध
अध्याय उन्नीस: निष्कर्ष: एक नए ज्ञानोदय की आवश्यकता
पुस्तक में लेखक ने इस बात को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से बताने का प्रयास किया है कि विश्व भर में धर्म का उद्गम और फैलाव कट्टर पंथियो द्वारा सामाजिक सत्ता और अपने प्रभुत्व को कायम रखने के लिये किया गया और किया जा रहा है ।पुस्तक आदिम युग से आज तक धार्मिक विश्वास के विकास का पता लगाती है। यह धार्मिक विचारों के खतरनाक निहितार्थों और उन कारणों को समझाने का प्रयास करता है कि विश्वास आज भी क्यों मौजूद है। इससे यह समझाने में भी मदद मिलती है कि वैज्ञानिक सिद्धांत और धार्मिक विश्वास में कभी सामंजस्य क्यों नहीं बिठाया जा सकता।
यदि आपकी धर्मों का विकास जानने में रूचि है ,धार्मिक और वैज्ञानिक सोच के बीच की लड़ाई को समझने की चाहत है था आप धार्मिक आस्था के नकारात्मक पहलू को देखना चाहते हैं तो अमेजन पर उपलब्ध यह पुस्तक "परमेश्वर महान नहीं है " - " God is not Great "(How religion poisions everything )एक बार पढ़ सकते हैं ।
ओम प्रकाश नौटियाल
आभार : विकिपीडिया , पुस्तक " GOD IS NOT GREAT ", अंतर्जाल