"हे गुरूदेव ! कृपया बतायें जीवन में श्रम का क्या महत्व है ? श्रम कब करना चाहिए ?"
ज्ञानी जी बोले ,"हे शिष्य श्रेष्ठ ! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर और सामयिक है । मैं आज तुम्हे न केवल श्रम का महत्व बताऊँगा वरन यह भी समझाने का प्रयास करूंगा कि उचित समय पर भरपूर श्रम करने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण से स्पष्ट करता हूं । विद्यार्थी जीवन के कुछ वर्षों में जो विद्यार्थी भरपूर समय देकर पढाई में जी तोड मेहनत करते हैं वह पढाई के पश्चात उच्च पद पाकर शेष जीवन आराम से व्यतीत करते हैं इसी तरह जो लोग इस काल में पढ़ाई पर विशेष ध्यान न देते हुए मारपीट, गुण्ड़ागर्दी जैसी विधाओं में महारथ हासिल करते हैं वह भी बडे़ होकर नेता गिरि करते हुए शेष जीवन राजा महाराजाओं की भाँति व्यतीत करते हैं किंतु जो लोग जीवन का विद्यार्थी काल बिना शिक्षा ग्रहण किये बरबाद कर देते हैं अथवा घोर गरीबी के कारण पाठशाला का मुँह देखने से वंचित रहते हैं वह जीवन यापन के लिये बचपन से ही जीवन पर्यंत मजदूरी करते हैं । यह लोग तो मजदूर दिवस के दिन भी मजदूरी करने को बाध्य हैं जबकि अन्य श्रेणियों के लोग मजदूर दिवस पर सभाएं करते हैं,भाषण देते हैं, काव्यपाठ करते हैं नृत्य व संगीत के कार्यक्रम करके श्रमिक दिवस पर श्रमिकों की दशा सुधारने के मुद्दे पर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा आनंदित होते हैं । इनके वर्ष दर वर्ष किये जा रहे स्वांत सुखाय प्रयासों से बेचारे श्रमिक अनभिज्ञ रहते हैं । अतः जीवन में उचित समय पर अल्पावधि के लिये किया गया कठोर श्रम जीवन संवारने और मजदूर दिवस का आनंद लेने कि लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है ।"
" मैं धन्य हुआ गुरू देव । मेरे मित्र सुमंत के पिताश्री ,जो चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी एक दिन कह रहे थे कि बस एक महीने की जी तोड़ मेहनत है उसके बाद तो पाँच वर्ष ऐश ही ऐश हैं "
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ज्ञानी जी बोले ,"हे शिष्य श्रेष्ठ ! तुम्हारा प्रश्न बहुत सुन्दर और सामयिक है । मैं आज तुम्हे न केवल श्रम का महत्व बताऊँगा वरन यह भी समझाने का प्रयास करूंगा कि उचित समय पर भरपूर श्रम करने से जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उदाहरण से स्पष्ट करता हूं । विद्यार्थी जीवन के कुछ वर्षों में जो विद्यार्थी भरपूर समय देकर पढाई में जी तोड मेहनत करते हैं वह पढाई के पश्चात उच्च पद पाकर शेष जीवन आराम से व्यतीत करते हैं इसी तरह जो लोग इस काल में पढ़ाई पर विशेष ध्यान न देते हुए मारपीट, गुण्ड़ागर्दी जैसी विधाओं में महारथ हासिल करते हैं वह भी बडे़ होकर नेता गिरि करते हुए शेष जीवन राजा महाराजाओं की भाँति व्यतीत करते हैं किंतु जो लोग जीवन का विद्यार्थी काल बिना शिक्षा ग्रहण किये बरबाद कर देते हैं अथवा घोर गरीबी के कारण पाठशाला का मुँह देखने से वंचित रहते हैं वह जीवन यापन के लिये बचपन से ही जीवन पर्यंत मजदूरी करते हैं । यह लोग तो मजदूर दिवस के दिन भी मजदूरी करने को बाध्य हैं जबकि अन्य श्रेणियों के लोग मजदूर दिवस पर सभाएं करते हैं,भाषण देते हैं, काव्यपाठ करते हैं नृत्य व संगीत के कार्यक्रम करके श्रमिक दिवस पर श्रमिकों की दशा सुधारने के मुद्दे पर अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं तथा आनंदित होते हैं । इनके वर्ष दर वर्ष किये जा रहे स्वांत सुखाय प्रयासों से बेचारे श्रमिक अनभिज्ञ रहते हैं । अतः जीवन में उचित समय पर अल्पावधि के लिये किया गया कठोर श्रम जीवन संवारने और मजदूर दिवस का आनंद लेने कि लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है ।"
" मैं धन्य हुआ गुरू देव । मेरे मित्र सुमंत के पिताश्री ,जो चुनाव लड़ रहे हैं, वह भी एक दिन कह रहे थे कि बस एक महीने की जी तोड़ मेहनत है उसके बाद तो पाँच वर्ष ऐश ही ऐश हैं "
-ओंम प्रकाश नौटियाल