Tuesday, January 29, 2019

हर हर गंगे


टी वी चैनल्स में विजुअल्स के साथ प्रसारित समाचारों के अनुसार कल संपूर्ण यू पी कैबिनैट ने कुंभ स्नान किया । एक एंकर ने बताया कि घुटनों घुटनों पानी में डुबकी लगा रहे मंत्री मंड़ल के चारों ओर किसी भी अनहोनी को रोकने के लिये लगभग दो गुने गोताखोंरों का घेरा था। भला इसमें अचरज की क्या बात है? एंकर महोदय को समझना चाहिए कि डूबने के लिये तो चुल्लु भर पानी ही पर्याप्त होता है वहाँ तो घुटनों तक था जिसमें निष्पाप होने के लिये अतिरिक्त सावधानी बेहद आवश्यक थी ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल

चाँद और चाँदनी


Friday, January 25, 2019

कुँए के मेढ़क..

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!!


अमेरिकन समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट के फैक्ट चैकर सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पिछले दो वर्ष में 20 जनवरी 2019 तक आठ हजार से अधिक बार झूठ बोला या तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया ।अपने नेता की इस उपलब्धि पर अमेरिकन बड़े इठला रहे हैं ।यदि वह हमारे यहाँ के नेताओं का भी ऐसा सर्वेक्षण करें तब उन्हें पता चलेगा कि ऐसे रिकार्ड़ तो हमारे नेता दो महीने में तोड़ दें । पर भला वह अपने कुँए से बाहर क्यों झाँकने लगे अपने मुंह मियाँ मिठ्ठू बनने की आदत जो पड़ गयी है । खैर , कभी तो आयेगा ऊंट पहाड़ के नीचे ...
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Thursday, January 24, 2019

Thursday, January 17, 2019

Saturday, January 12, 2019

जाने कहाँ गये वो दिन ...



क्या जमाना था वह भी , उन दिनों को याद करके सीना गर्व से फूल कर चौड़ा हो जाता है । गठबंधन तब भी होते थे पर केवल चुनाव जीतने या सत्ता की डोर थामने के लिये नहीं वरन सिर्फ और सिर्फ कुर्सी के माध्यम से निस्वार्थ भाव से जन सेवा करने के उद्देश्य से । जरा याद कीजिए चुनाव पूर्व और चुनाव पश्चात हुए देश प्रेम  में सराबोर टी डी पी, पी डी पी , जे डी (यू) के साथ हुए बेमेल किंतु पावन , शुद्ध ,सात्विक गठबंधनों को,  जो हमारे गौरवशाली सियासती अतीत की धरोहर हैं और  जिन पर  हर भारतवासी को गर्व है । इसके विपरीत आजकल हो रहे गठबंधन मात्र अवसरवादिता , कुर्सी पाने की कुत्सित लालसा और स्वार्थपरायणता की पराकाष्ठा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं । अतीत में दर्जन भर से अधिक दलों के गठबंधन ने इस शब्द को कभी इतना बदनाम नहीं किया क्योंकि तब नीयत साफ थी । इतने कम समय में सियासत का ऐसा पतन दर्दनाक भी है और भयावह भी । जाने कहाँ गये वो दिन ......
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, January 8, 2019

आरक्षण-एक लघु कथा

"पापा , समाचारों में सुना है कि सरकार गरीबों के लिये नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण करने जा रही है "
" हाँ बेटा बिल्कुल ठीक सुना है तुमने । सभी राजनीतिक दलों के हृदय में गरीबों के लिये बड़ा दर्द होता है और इस  दर्द की तड़प कुछ खास मौकों पर तो इतनी अधिक बढ़ जाती है कि वह गरीबों का जीवन स्तर तुरंत सुधारने के लिये बेचैन दिखने लगते हैं ।"
" लेकिन पापा हमारी गणित की मे’म तो कह रही थी कि शून्य का कुछ भी प्रतिशत लिया जाये वह शून्य ही होता है ।"
"वह बात तो ठीक है बेटा , इसीलिये तो राजनीतिक दल सभी लोगों को अधिक शिक्षित करने में विश्वास नहीं करते । शिक्षित होकर लोग  तुम्हारी तरह उनकी हर बात का वैज्ञानिक विश्लेषण करने लगेंगे और व्यर्थ में ही झुनझुनों से बहलना और खुश होना छोड़ देंगे ।अल्पकालिक खुशी बाँटना भी बड़े पुण्य का काम होता है "
"आप ठीक कहते हैं पापा । मैं किसी से नहीं कहूंगा कि शून्य का दस प्रतिशत शून्य होता है ।"
"हाँ बेटा ,ज्ञान को परीक्षा  के लिये सहेजना ही श्रेस्यकर  है । अब सो जाओ , दस बज गये हैं ।"
-ओंम प्रकाश नौटियाल