Sunday, September 30, 2018

लघु- कथा सहित्य शिरोमणि -ओम प्रकाश नौटियाल

" मुदित जी, मौहल्ले की हिंदी साहित्य समिति ने इस बार सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि हिंदी पखवाड़े के समापन दिवस पर आपको
साहित्य शिरोमणि उपाधि से अलंकृत किया जाय । इस आयोजन के लिये 30 सितम्बर को साँय 7 बजे परमार्थ सभागार में एक वृहद आयोजन का प्रस्ताव है जिसमें गणमान्य लोगों की उपस्थिति में स्थानीय कवि कविता पाठ करेंगे ।विधायक पाण्ड़े जी मुख्य अतिथि होंगे । नगर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों के संपादक होंगे ।बस आपकी स्वीकृति की देर है ।"
महेश मास्टर जी का प्रस्ताव सुनकर मुदित जी की खुशी का पारावार न था । पर संयमित होने का प्रयास करते हुए तथा  बाहर से कुछ औपचारिकता दिखाते हुए धीरे से बोले " अरे, मास्टर जी भला मैंने ऐसा क्या कर दिया है ?"
" मुदित जी यह तो आपका बड़प्पन है जो ऐसा कहते हैं ।वरना हमारे व्हाट्स एप ग्रुप में तो आप ही हिंदी के सबसे अधिक पोस्ट्स फारवर्ड़ करते रहते हो ।"
" ठीक है मास्टर जी , अब जो भी आप लोग उचित समझें । कोई सेवा हो तो बताइयेगा ।"
" सेवा कैसी मुदित जी , आपने अनुरोध स्वीकार किया हम सब धन्य हुए ।बस आप इस आयोजन का प्रबंध कर लीजिएगा । 100 लोगों का खाना चाय पानी , निमंत्रण पत्र, बुके, मोमैन्टोज, शाल , स्टेज आदि यानि कुल मिलाकर पच्चीस हजार तक में हो जायेगा जो आप जैसे व्यापारी के लिये साधारण सी रकम है ।"
मुदित जी क्षण भर सोचकर बोले , " प्रबंध तो सब आप ही लोग कीजिए मुझसे बस पैसे ले लीजिए । और हाँ, अखबार वालों को बुलाने में  कंजूसी मत कीजिएगा ।"
"मुदित जी , बिल्कुल ,निश्चिंत रहें । आप तो बस चैक काट दीजिए बाकी हम पर छोड़ दीजिए । अपने यहाँ की प्रतिभाओं को सम्मानित करने में हम कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे ।"
और मुदित जी को लगा देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान की मंजिल पाने की सीढ़ी पर उन्होंने पहला कदम रख दिया है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित)

Wednesday, September 19, 2018

’जल लोटा’


कर्मवीर

"पापा ,देखिए न मँहगाई  कितनी बढ़ गयी है । आप विधायक हैं कुछ कीजिए न ।"
और अगले ही दिन विधान सभा में एक प्रस्ताव आया जिसके अनुसार आधे घन्टे में ही सर्व सम्मति से सभी विधायकों का वेतन 65% बढ़ा दिया गया । मँहगाई भी भला किनसे पंगा लेने चली थी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, September 18, 2018

प्रचार महिमा

धारा में अब बह गये, हम भी धारों धार
किसी दल में मिल जायें, आया यही  विचार,
आया यही  विचार, यहाँ खपते बड़ बोले
कहते मन की बात, गाँठ मन की  बिन खोले,
अंधी श्रद्धा,  ढोंग,  होगा  इनका  सहारा
प्रचार धो दे मैल , शुद्ध हो गंगा धारा  !!!
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

Wednesday, September 12, 2018

हिंदी पर नाज है


करोड़ों जनों की भाषा
फूलेगी फलेगी स्वतः,
प्रचार संबल की न
यह मोहताज है !
सिद्ध सृजन से सजा
सहित्य सँवरा हुआ,
वाहक संस्कृति का
मन की आवाज है !
कितनी भी खुल जाएं
अंग्रेजी शाला देश में,
मातृ भाषा ही में सोचे
हिंद का समाज है !
सीखो अन्य भाषाएं भी
देश या विदेश की हों
हिंदी पर तो हमेशा
रहे  किंतु नाज है !!!
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Monday, September 10, 2018

"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़

"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़
पद्म श्री और पद्मभूषण से सम्मानित लेखक रस्किन बाँड़ की 2017 मे प्रकाशित तथा ‘अत्ता गैलाट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार’  से सम्मानित आत्मकथा "लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " यूं तो अपनी शैली , संघर्षपूर्ण और समर्पित जीवन यात्रा के रोचक और प्रेरक प्रसंगो, अभूतपूर्व प्रकृति चित्रण के कारण सभी के लिये पठनीय है किंतु प्रकृति प्रेमी तथा शिमला , देहरादून , मसूरी  दिल्ली और जामनगर में जीवन के कुछ वर्ष व्यतीत कर चुके पाठक तो अवश्य  ही इसे पढकर बेहद प्रसन्न और लाभावन्तित होंगे । चालीस, पचास व साठ के दशकों  में इन स्थानों की स्थिति, लोगों की जीवन शैली , प्राप्त सुविधाओं आदि का वर्णन आपको अतीत के गलियारों से इन स्थानों का जो चित्र प्रस्तुत करता है वह अत्यंत रोमांचित करने वाला है। देहरादून, शिमला , मसूरी के वह स्थान जो आज भीड़ और व्यस्तता के लिये जाने जाते हैं कभी दुर्गम रास्तों की पहुंच मे थे । विभिन्न प्रकार के पशु पक्षीयों , वृक्षों का वर्णन  अनुपम है ।इन शहरों और देश की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों के तब के जीवन की झलक भी, जिनसे रस्किन की मुलाकात अनायास ही जीवन के किसी मोड़  पर हो गयी, आत्मकथा को अविस्मर्णीय बनाती है । अविवाहित 84 वर्षीय  श्री रस्किन ओवन बौन्ड़ ,जो किसी भी भारतीय से कम भारतीय नहीं हैं , आजकल मसूरी में अपने पहाड़ी दत्तक परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे ।
-ओम प्रकाश नौटियाल

Sunday, September 9, 2018

विजयी होने के लिये

अश्रुओं से भीगी कहानी सुनानी चाहिए,
बरगलाने की आपको अदा आनी चाहिए,
दौलत ही काफी नहीं विजयी होने के लिये
कुछ धूर्तता औ’ मक्कारी भी आनी चाहिए !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, September 5, 2018

एक और पुल...

तुम्हारे शहर में
अकसर दरकते हैं पुल
हमारे प्रेम नगर के
सभी सेतु सुद्दढ़ हैं
क्योंकि
बने हैं प्रीत घोल से
यहाँ आओ
घृणा गाद की वैतरणी
मिल कर पार करें
प्रेम सेतुओं के माध्यम से !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल