Saturday, May 26, 2018

युग प्रणेता

लायें अच्छे अंक जो, हो उन पर अभिमान
असफल छात्रों का मगर , करें नहीं अपमान
करें नहीं अपमान, सभी कल नेता होंगें
थाम देश की डोर ,युग के प्रणेता होंगें
कहें ’ओंम’ कविराय , इन्हें भी गले लगायें
भविष्य का कर ध्यान , जो अधिक अंक न लायें !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, May 16, 2018

हीरे


सेवक अपने देश के, हीरे हैं बेजोड़
बिकने पर जो आ गये,मूल्य है सौ करोड़ !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल 

Sunday, May 13, 2018

विश्व मातृ दिवस

   माता तेरी छाँव में , सुन्दर यह संसार
   ढूंढे से मिलता नहीं, ऐसा निश्छल प्यार,
   ऐसा निश्छल प्यार, कहूं क्या तेरी माया
   पा आँचल की छाँव,, पड़े न दुःख का साया,
   ना जानू  प्रभु  ठौर, बसे हैं कहाँ विधाता
   मेरी तो आराध्य और भगवन तुम माता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Wednesday, May 9, 2018

ठाठ से है जी !!

ज़ैड़ सुरक्षा चाहिए
जिनका सदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल

Thursday, May 3, 2018

उपयोगी हथियार !!

राजनीति की द्दष्टि से, समझो भ्रष्टाचार
मूर्ख बनाने का हमें, उपयोगी हथियार !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल

जनमत का त्यौहार

जब देश मे कहीं मने ,जनमत का त्यौहार
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश  नौटियाल

Tuesday, May 1, 2018

इस्पात करके देख


इस्पात करके देख    -ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
जो कह रहा वो पूरी कभी बात करके देख             
दुश्मन की तरह सामने से घात करके देख                       

अच्छा नहीं हर वक्त य़ूं जज्बात में बहना             
इरादों को तू भी कभी इस्पात करके देख              

जरूरी है मिलते रहें , नेह, स्नेह की खातिर            
शहर को अपने तू कभी देहात करके देख              

अच्छा नही फूट डालना निज स्वार्थ के मारे            
पी कर बुराई स्वयं को  सुकरात करके देख            

देश के शत्रुओं को न  कोई हमदर्दी  मिले             
दुष्टों के जुल्म पे जरा जुल्मात करके देख             
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

फुटपाथ पर पैदा हुआ


फुटपाथ पर पैदा हुआ-ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
फुटपाथ पर मुर्झाया वह फुटपाथ पर खिला,            
न शिकवा किसी से न गरीबी का कोई गिला           

पैदा हुआ और  फिर वो बस जवान हो गया,           
इस  छलाँग में लेकिन उसे बचपन नही मिला।         

जवानी के पुराने कपडे यूं रास आ गये,               
चिपके रहे जब तक रहा साँसों का सिलसिला।          

राज मार्ग क्यों कर भला फ़ुटपाथ तलक आते          
उसका जग फुटपाथ था और वही रहा  किला।          

भारत चमक रहा,  उसे गर्मी में लगता था,            
तिलमिलाता सूरज मगर करता था पिलपिला।          

आजाद भारत में उसे नहीं आशियाँ मिला              
                        फुटपाथ ही था देश वह वहाँ से नहीं हिला ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

कर नाटक


मजदूर दिवस

सत्ता में भागी बने, भारत का मजदूर
स्वेद कण तब दमकेंगे, स्वर्ण समान जरूर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल