Friday, December 21, 2018
Wednesday, December 19, 2018
यही पासबान हमारे ....
भारतीय राजनीति में चंद ऐसे चमकते चेहरे हैं जो सदैव ही मंत्रीपद पर विराजमान पाये जाते हैं चाहे सरकार किसी भी दल की हो अर्थात वह हमेशा ही सत्तारूढ़ दल के साथ रहते हैं । देश के चुनावी मौसम को पहचानने में वह ’घाघ’ हैं ।2019 के चुनावी परिणामों का संकेत पाने के लिये आप किसी भी सर्वे पर भरोसा न करके बस इनकी गतिविधियों पर नज़र रखिये:
"...यही गुलिस्तां हमारे यही ’पासबान’ हमारे ....."
-ओम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, December 18, 2018
Monday, December 17, 2018
किसी से कहना मत !!
जिला हापुड़ के गांव गजालपुर के लोगों ने अपने श्रम तथा धन दान के बल पर काली नदी पर 25 लाख आंकी गयी अनुमानित लागत के पुल का निर्माण स्वयं ही मात्र 6 लाख रुपये की लागत में करवा लिया । इस पुल के न होने से गाँव वालों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 12 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता था ।अब डर यही है कि कहीं उनकी यह मुहीम वायरल होकर गाँव गाँव पहुँचकर सरकारी घूसखोरों और भ्रष्ट विकासशील नेताओं की रोजी रोटी पर लात न मार दे । भला 6 लाख में भी कहीं ऐसा पक्का पुल बनता है ? आप भी किसी से मत कहिएगा !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
-ओम प्रकाश नौटियाल
Sunday, December 16, 2018
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस
अति जटिल किसी विषय पर ,कैसे देंगें राय ?
जब तक मिले न आपको, भाप उड़ाती चाय !!
-ओंम
आज अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत भारत, नेपाल, तंज़ानिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादक देशों ने चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के मुद्दों और समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 15 दिदम्बर 2005 से की थी। अध्य्यन के अनुसार पानी को छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक पिया जाने वाला पेय 'चाय' है।
वीकिपीडिया के अनुसार सबसे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय कबाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे.
- भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया. इसके बाद 1815 में असम में चाय के बाग लगाए गए.
- कई जगह चीन से भी चाय का इतिहास जोड़ा गया है.
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
-ओंम प्रकाश नौटियाल
जब तक मिले न आपको, भाप उड़ाती चाय !!
-ओंम
आज अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत भारत, नेपाल, तंज़ानिया जैसे प्रमुख चाय उत्पादक देशों ने चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों के मुद्दों और समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 15 दिदम्बर 2005 से की थी। अध्य्यन के अनुसार पानी को छोड़कर दुनिया का सर्वाधिक पिया जाने वाला पेय 'चाय' है।
वीकिपीडिया के अनुसार सबसे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय कबाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे.
- भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया. इसके बाद 1815 में असम में चाय के बाग लगाए गए.
- कई जगह चीन से भी चाय का इतिहास जोड़ा गया है.
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, December 1, 2018
Monday, November 26, 2018
Saturday, November 24, 2018
Friday, November 23, 2018
Wednesday, November 21, 2018
Tuesday, November 20, 2018
Saturday, November 10, 2018
झूम झूम निर्भय जलना
सदियों यह अँगना दीप्त रहा
तम पी पी दीया तृप्त रहा
थी दीप चाह केवल प्रकाश
ज्योत पर सदा आसक्त रहा
किरण किरण झरता झरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
क्षरते तन जन्य दैविक शक्ति
अविरल आलोक न दे थकती
दीया बाती का प्रणय मिलन
प्रदीप्त कुटिया हर कक्ष सहन
टुकुर टुकुर टक टक तकना
झूम झूम निर्भय जलना
माटी से जीवों का उद्गम
माटी में फिर अंतिम संगम
माटी बाती करते मंथन
माटी माटी का चिर बंधन
संग संग जीना मरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
जब मानव काया माटी की
शय्या बाती की माटी की
बंधुत्व भाव ले तिमिर अंत
रहे ज्योत दीप्त मृत्यु पर्यंत
हँस हँस बाती तन क्षरना
झूम झूम निर्भय जलना
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा
(सर्वाधिकार सुरक्षित )मोबा.9427345810
वंशवाद
वंशवाद लोकतंत्र के लिये धीमे विष के समान है जो निरंतर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला किये जा रहा है । प्रमुख राजनीतिक दल वंशवाद जन्य संकट के विरूद्ध समय समय पर लोगों को सचेत तो करते रहे हैं किंतु कभी कोई बहुत कारगर कदम उठाने की दिशा में बड़े पैमाने पर सार्थक पहल नहीं कर सके । अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस बार हो रहे विधान सभा चुनाव में इस खतरे को समूल नष्ट करने के लिये सभी बड़े दलों में अब अलिखित आम सहमति हो गयी है और सभी दलों ने समस्त विरोध की अवहेलना करते हुए अधिक से अधिक ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिये है जिन्हें वंशवाद का पूरा अनुभव और ज्ञान है और जो इसी माहौल में पले बड़े हुए हैं । परिणाम स्वरूप सभी दलों ने अपने बड़े बड़े नेताओं के पुत्र, पुत्रियों, दामाद ,बहुओं , भाई ,भतीजों जैसे तमाम संबंधियों को बेहिचक वंशवाद के विरुद्ध युद्ध के लिये टिकट बाँट दिये हैं :
कुनबा सभी झोंक दिया,करने इसका अंत
काट सकेगा अब नहीं , वंशवाद का डंक !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, November 7, 2018
बधाई हो !!!
चैनलों पर प्रसारित समाचारों के अनुसार कई स्थानों पर प्रदूषण AQI (Air Quality Index ) 900 के पार पहुँच गया और इसके साथ ही यह मिथक भी चूर चूर हो गया कि 500 से उपर का प्रदूषण स्तर जीने के लिये बेहद खतरनाक है ।900 AQI के पार पहुँचे स्थानों के लोग उसी उत्साह से जी रहें हैं जैसे अब तक जीते आ रहे थे । हम भारत वासी हैं हलाहल खा पीकर भी जिंदा रहना जानते हैं फिर तथाकथित विषाक्त हवा हमारा क्या बिगाड़ सकती है ? वर्षो से न जाने किस किस प्रकार के विषमय अनुभवों के मध्य जीवन यापन ने विष के प्रति हमारी प्रतिरोधक क्षमता को इतना सशक्त कर दिया है कि अब हम विषाक्त हवा, पानी, भोजन के लिये पूरी तरह तैय्यार हैं । इसके लिये हम सभी बधाई के पात्र हैं !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, November 6, 2018
Wednesday, October 31, 2018
नमन !!
विश्व की सबसे ऊँची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का आज माननीय प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया ।
लौह पुरुष को कोटि कोटि नमन !!
-
जीवित हुए आज पुनः, लौह पुरुष सरदार
सूत्रधार एकीकरण ,प्रतिपालक संस्कार !!
-ओंम
लौह पुरुष को कोटि कोटि नमन !!
-
जीवित हुए आज पुनः, लौह पुरुष सरदार
सूत्रधार एकीकरण ,प्रतिपालक संस्कार !!
-ओंम
Saturday, October 27, 2018
करवाचौथ
शास्त्र वर्णित है जिस स्थान पर तिरस्कार मिले वहाँ नहीं जाना चाहिये इसी कारण बहुत से पति शाम को काम से लौटकर केवल विवशता के वशीभूत ही डरते डरते घर जाते हैं । लेकिन आज का दिन अलग है पति लोग बेझिझक घर जा सकते हैं उनको न केवल भरपूर आदर मिलेगा वरन पत्नी आरती भी उतारेगी ।
-
एक दिन के लिये सही, घर में होगा राज
मिली वर्ष भर डाँट तब,शुभ दिन आया आज !
-ओंम
करवाचौथ की शुभकामनाएं !!
-
एक दिन के लिये सही, घर में होगा राज
मिली वर्ष भर डाँट तब,शुभ दिन आया आज !
-ओंम
करवाचौथ की शुभकामनाएं !!
Tuesday, October 23, 2018
Thursday, October 18, 2018
Thursday, October 11, 2018
Tuesday, October 9, 2018
देश बदल रहा है !!
चालीस वर्ष पूर्व हरियाणा विधान सभा एक्ट (संशोधन ) 1978 द्वारा यह प्रावधान किया गया कि यदि कोई जन प्रतिनिधि एक दिन के लिये भी विधायक रहता है तो वह जीवन पर्यंत पेंशन पाने का अधिकारी होगा । तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरार जी देसाई तथा उस समय के बहुत से सांसद एवं विधायक जन प्रतिनिधियों की पेंशन के विरुद्ध थे और इसे जनता से धोखाधड़ी और राजनीतिक भ्रष्टाचार की श्रेणी में समझते थे ।अतः सांसदों और विधायकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने, जिसमे आ. सुषमा स्वराज भी सम्मिलित थी , इस के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया था ।तब से अब तक राजनीतिक सोच और नैतिक मूल्यों में कितना बदलाव आ गया है । आज जन प्रतिनिधियों के वेतन में बढ़ोत्तरी , पेंशन , आवास तथा उनकी अन्य सुख सुविधाओं संबंधी मुद्दे मिनट भर में सर्वसम्मति से तय हो जाते हैं , विरोध में एक स्वर सुनाई नहीं देता । भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल गई है । देश बदल रहा है ।
" ये कहाँ आ गये हम यूँ ही साथ चलते चलते ...."
(आधार- IE column - 40 वर्ष पूर्व)
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, October 7, 2018
अखबार हूं !!
इलज़ाम मुझ पर यह कि मैं हूं जुर्म से भरा
आदत नहीं ,जो घट रहा, उसको छिपाने की,
दी ऐसी भी खबरें कि जो अब तक नहीं घटी
क्या मेरी नहीं जरूरत कुछ खाने कमाने की !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, October 5, 2018
कभी खुशी कभी ग़म !!
ले उछाल रुपया गिरा, बीच खेल मैदान
टास जीत कर खुश हुआ, भारत का कप्तान,
पर जब मुँह के बल गिरा, रुपया जग बाजार
अर्थ तंत्र घबरा गया, दरक गया आधार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
टास जीत कर खुश हुआ, भारत का कप्तान,
पर जब मुँह के बल गिरा, रुपया जग बाजार
अर्थ तंत्र घबरा गया, दरक गया आधार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, October 2, 2018
Monday, October 1, 2018
नमन !!
बापू को सादर नमन !!
बापू ने कहा था "सत्य की राह पर चलें "
सत्य की राह बड़ी दुर्गम होती है। अतः सड़क के गड्ढों के भरने की उम्मीद किये बिना सच की कठिन डगर पर सहर्ष बढ़ते रहिए ।
बापू ने कहा था "सत्य की राह पर चलें "
सत्य की राह बड़ी दुर्गम होती है। अतः सड़क के गड्ढों के भरने की उम्मीद किये बिना सच की कठिन डगर पर सहर्ष बढ़ते रहिए ।
Sunday, September 30, 2018
लघु- कथा सहित्य शिरोमणि -ओम प्रकाश नौटियाल
" मुदित जी, मौहल्ले की हिंदी साहित्य समिति ने इस बार सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि हिंदी पखवाड़े के समापन दिवस पर आपको
साहित्य शिरोमणि उपाधि से अलंकृत किया जाय । इस आयोजन के लिये 30 सितम्बर को साँय 7 बजे परमार्थ सभागार में एक वृहद आयोजन का प्रस्ताव है जिसमें गणमान्य लोगों की उपस्थिति में स्थानीय कवि कविता पाठ करेंगे ।विधायक पाण्ड़े जी मुख्य अतिथि होंगे । नगर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों के संपादक होंगे ।बस आपकी स्वीकृति की देर है ।"
महेश मास्टर जी का प्रस्ताव सुनकर मुदित जी की खुशी का पारावार न था । पर संयमित होने का प्रयास करते हुए तथा बाहर से कुछ औपचारिकता दिखाते हुए धीरे से बोले " अरे, मास्टर जी भला मैंने ऐसा क्या कर दिया है ?"
" मुदित जी यह तो आपका बड़प्पन है जो ऐसा कहते हैं ।वरना हमारे व्हाट्स एप ग्रुप में तो आप ही हिंदी के सबसे अधिक पोस्ट्स फारवर्ड़ करते रहते हो ।"
" ठीक है मास्टर जी , अब जो भी आप लोग उचित समझें । कोई सेवा हो तो बताइयेगा ।"
" सेवा कैसी मुदित जी , आपने अनुरोध स्वीकार किया हम सब धन्य हुए ।बस आप इस आयोजन का प्रबंध कर लीजिएगा । 100 लोगों का खाना चाय पानी , निमंत्रण पत्र, बुके, मोमैन्टोज, शाल , स्टेज आदि यानि कुल मिलाकर पच्चीस हजार तक में हो जायेगा जो आप जैसे व्यापारी के लिये साधारण सी रकम है ।"
मुदित जी क्षण भर सोचकर बोले , " प्रबंध तो सब आप ही लोग कीजिए मुझसे बस पैसे ले लीजिए । और हाँ, अखबार वालों को बुलाने में कंजूसी मत कीजिएगा ।"
"मुदित जी , बिल्कुल ,निश्चिंत रहें । आप तो बस चैक काट दीजिए बाकी हम पर छोड़ दीजिए । अपने यहाँ की प्रतिभाओं को सम्मानित करने में हम कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे ।"
और मुदित जी को लगा देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान की मंजिल पाने की सीढ़ी पर उन्होंने पहला कदम रख दिया है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित)
साहित्य शिरोमणि उपाधि से अलंकृत किया जाय । इस आयोजन के लिये 30 सितम्बर को साँय 7 बजे परमार्थ सभागार में एक वृहद आयोजन का प्रस्ताव है जिसमें गणमान्य लोगों की उपस्थिति में स्थानीय कवि कविता पाठ करेंगे ।विधायक पाण्ड़े जी मुख्य अतिथि होंगे । नगर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों के संपादक होंगे ।बस आपकी स्वीकृति की देर है ।"
महेश मास्टर जी का प्रस्ताव सुनकर मुदित जी की खुशी का पारावार न था । पर संयमित होने का प्रयास करते हुए तथा बाहर से कुछ औपचारिकता दिखाते हुए धीरे से बोले " अरे, मास्टर जी भला मैंने ऐसा क्या कर दिया है ?"
" मुदित जी यह तो आपका बड़प्पन है जो ऐसा कहते हैं ।वरना हमारे व्हाट्स एप ग्रुप में तो आप ही हिंदी के सबसे अधिक पोस्ट्स फारवर्ड़ करते रहते हो ।"
" ठीक है मास्टर जी , अब जो भी आप लोग उचित समझें । कोई सेवा हो तो बताइयेगा ।"
" सेवा कैसी मुदित जी , आपने अनुरोध स्वीकार किया हम सब धन्य हुए ।बस आप इस आयोजन का प्रबंध कर लीजिएगा । 100 लोगों का खाना चाय पानी , निमंत्रण पत्र, बुके, मोमैन्टोज, शाल , स्टेज आदि यानि कुल मिलाकर पच्चीस हजार तक में हो जायेगा जो आप जैसे व्यापारी के लिये साधारण सी रकम है ।"
मुदित जी क्षण भर सोचकर बोले , " प्रबंध तो सब आप ही लोग कीजिए मुझसे बस पैसे ले लीजिए । और हाँ, अखबार वालों को बुलाने में कंजूसी मत कीजिएगा ।"
"मुदित जी , बिल्कुल ,निश्चिंत रहें । आप तो बस चैक काट दीजिए बाकी हम पर छोड़ दीजिए । अपने यहाँ की प्रतिभाओं को सम्मानित करने में हम कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे ।"
और मुदित जी को लगा देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान की मंजिल पाने की सीढ़ी पर उन्होंने पहला कदम रख दिया है ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित)
Friday, September 21, 2018
Wednesday, September 19, 2018
कर्मवीर
"पापा ,देखिए न मँहगाई कितनी बढ़ गयी है । आप विधायक हैं कुछ कीजिए न ।"
और अगले ही दिन विधान सभा में एक प्रस्ताव आया जिसके अनुसार आधे घन्टे में ही सर्व सम्मति से सभी विधायकों का वेतन 65% बढ़ा दिया गया । मँहगाई भी भला किनसे पंगा लेने चली थी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
और अगले ही दिन विधान सभा में एक प्रस्ताव आया जिसके अनुसार आधे घन्टे में ही सर्व सम्मति से सभी विधायकों का वेतन 65% बढ़ा दिया गया । मँहगाई भी भला किनसे पंगा लेने चली थी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, September 18, 2018
प्रचार महिमा
धारा में अब बह गये, हम भी धारों धार
किसी दल में मिल जायें, आया यही विचार,
आया यही विचार, यहाँ खपते बड़ बोले
कहते मन की बात, गाँठ मन की बिन खोले,
अंधी श्रद्धा, ढोंग, होगा इनका सहारा
प्रचार धो दे मैल , शुद्ध हो गंगा धारा !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
किसी दल में मिल जायें, आया यही विचार,
आया यही विचार, यहाँ खपते बड़ बोले
कहते मन की बात, गाँठ मन की बिन खोले,
अंधी श्रद्धा, ढोंग, होगा इनका सहारा
प्रचार धो दे मैल , शुद्ध हो गंगा धारा !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, September 12, 2018
हिंदी पर नाज है
करोड़ों जनों की भाषा
फूलेगी फलेगी स्वतः,
प्रचार संबल की न
यह मोहताज है !
सिद्ध सृजन से सजा
सहित्य सँवरा हुआ,
वाहक संस्कृति का
मन की आवाज है !
कितनी भी खुल जाएं
अंग्रेजी शाला देश में,
मातृ भाषा ही में सोचे
हिंद का समाज है !
सीखो अन्य भाषाएं भी
देश या विदेश की हों
हिंदी पर तो हमेशा
रहे किंतु नाज है !!!
-
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, September 10, 2018
"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़
"लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " -आत्म कथा -श्री रस्किन बौन्ड़
पद्म श्री और पद्मभूषण से सम्मानित लेखक रस्किन बाँड़ की 2017 मे प्रकाशित तथा ‘अत्ता गैलाट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार’ से सम्मानित आत्मकथा "लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " यूं तो अपनी शैली , संघर्षपूर्ण और समर्पित जीवन यात्रा के रोचक और प्रेरक प्रसंगो, अभूतपूर्व प्रकृति चित्रण के कारण सभी के लिये पठनीय है किंतु प्रकृति प्रेमी तथा शिमला , देहरादून , मसूरी दिल्ली और जामनगर में जीवन के कुछ वर्ष व्यतीत कर चुके पाठक तो अवश्य ही इसे पढकर बेहद प्रसन्न और लाभावन्तित होंगे । चालीस, पचास व साठ के दशकों में इन स्थानों की स्थिति, लोगों की जीवन शैली , प्राप्त सुविधाओं आदि का वर्णन आपको अतीत के गलियारों से इन स्थानों का जो चित्र प्रस्तुत करता है वह अत्यंत रोमांचित करने वाला है। देहरादून, शिमला , मसूरी के वह स्थान जो आज भीड़ और व्यस्तता के लिये जाने जाते हैं कभी दुर्गम रास्तों की पहुंच मे थे । विभिन्न प्रकार के पशु पक्षीयों , वृक्षों का वर्णन अनुपम है ।इन शहरों और देश की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों के तब के जीवन की झलक भी, जिनसे रस्किन की मुलाकात अनायास ही जीवन के किसी मोड़ पर हो गयी, आत्मकथा को अविस्मर्णीय बनाती है । अविवाहित 84 वर्षीय श्री रस्किन ओवन बौन्ड़ ,जो किसी भी भारतीय से कम भारतीय नहीं हैं , आजकल मसूरी में अपने पहाड़ी दत्तक परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे ।
पद्म श्री और पद्मभूषण से सम्मानित लेखक रस्किन बाँड़ की 2017 मे प्रकाशित तथा ‘अत्ता गैलाट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार’ से सम्मानित आत्मकथा "लोन फॉक्स डांसिंग (Lone Fox Dancing ) " यूं तो अपनी शैली , संघर्षपूर्ण और समर्पित जीवन यात्रा के रोचक और प्रेरक प्रसंगो, अभूतपूर्व प्रकृति चित्रण के कारण सभी के लिये पठनीय है किंतु प्रकृति प्रेमी तथा शिमला , देहरादून , मसूरी दिल्ली और जामनगर में जीवन के कुछ वर्ष व्यतीत कर चुके पाठक तो अवश्य ही इसे पढकर बेहद प्रसन्न और लाभावन्तित होंगे । चालीस, पचास व साठ के दशकों में इन स्थानों की स्थिति, लोगों की जीवन शैली , प्राप्त सुविधाओं आदि का वर्णन आपको अतीत के गलियारों से इन स्थानों का जो चित्र प्रस्तुत करता है वह अत्यंत रोमांचित करने वाला है। देहरादून, शिमला , मसूरी के वह स्थान जो आज भीड़ और व्यस्तता के लिये जाने जाते हैं कभी दुर्गम रास्तों की पहुंच मे थे । विभिन्न प्रकार के पशु पक्षीयों , वृक्षों का वर्णन अनुपम है ।इन शहरों और देश की कुछ प्रसिद्ध हस्तियों के तब के जीवन की झलक भी, जिनसे रस्किन की मुलाकात अनायास ही जीवन के किसी मोड़ पर हो गयी, आत्मकथा को अविस्मर्णीय बनाती है । अविवाहित 84 वर्षीय श्री रस्किन ओवन बौन्ड़ ,जो किसी भी भारतीय से कम भारतीय नहीं हैं , आजकल मसूरी में अपने पहाड़ी दत्तक परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे ।
-ओम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 9, 2018
विजयी होने के लिये
अश्रुओं से भीगी कहानी सुनानी चाहिए,
बरगलाने की आपको अदा आनी चाहिए,
दौलत ही काफी नहीं विजयी होने के लिये
कुछ धूर्तता औ’ मक्कारी भी आनी चाहिए !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बरगलाने की आपको अदा आनी चाहिए,
दौलत ही काफी नहीं विजयी होने के लिये
कुछ धूर्तता औ’ मक्कारी भी आनी चाहिए !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, September 5, 2018
एक और पुल...
तुम्हारे शहर में
अकसर दरकते हैं पुल
हमारे प्रेम नगर के
सभी सेतु सुद्दढ़ हैं
क्योंकि
बने हैं प्रीत घोल से
यहाँ आओ
घृणा गाद की वैतरणी
मिल कर पार करें
प्रेम सेतुओं के माध्यम से !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अकसर दरकते हैं पुल
हमारे प्रेम नगर के
सभी सेतु सुद्दढ़ हैं
क्योंकि
बने हैं प्रीत घोल से
यहाँ आओ
घृणा गाद की वैतरणी
मिल कर पार करें
प्रेम सेतुओं के माध्यम से !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, August 29, 2018
सौगात !
हमने कही मजाक में, अच्छे दिनों की बात
जाने क्या सोच सब ने, दिल से लगाली बात
हम ही अगर दुखियों से, दिल्लगी ना करेंगे
देगा भला उन्हें कौन, हँसी की फिर सौगात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
जाने क्या सोच सब ने, दिल से लगाली बात
हम ही अगर दुखियों से, दिल्लगी ना करेंगे
देगा भला उन्हें कौन, हँसी की फिर सौगात !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, August 16, 2018
Wednesday, August 15, 2018
शान्ति और अखबार
पारिवारिक जीवन में शान्ति स्थापित करने में दैनिक अखबार का अमूल्य योगदान रहता है । सुबह अधिकतर घरों मे कम से कम एक घन्टे तक उस समय युद्ध विराम रहता है जब पति पत्नी दुनियाँ भर में हो रही मार काट और झगड़ों के समाचार शान्ति के साथ चटखारे ले ले कर पढ़ रहे होते हैं ।लेकिन १६ अगस्त के दिन जब अखबार नहीं आता तब गृह युद्ध के बादल सुबह से ही बस बरसते रहते हैं बिना कुछ देर को भी थमने का नाम लिये !!!
-ओम प्रकाश नौटियाल
-ओम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, August 14, 2018
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं !!
जरा याद उन्हें भी कर लो ......
-
भूधर से द्दढ़ इरादे, उस पर हृदय विशाल
अंतस में रही जलती , स्वतंत्रता की ज्वाल,
जो सहर्ष मिटे करते , माँ की मान रक्षा
युगों तक न कुंद होगी, उस त्याग की मशाल !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Sunday, August 12, 2018
दो कुण्ड़लियाँ
-1-
बोला नेता जोश में, अब न गरीबी शेष
तभी कृषक ने कर दिया, वर्णित अपना क्लेश,
वर्णित अपना क्लेश, निवाले तक को तरसे
हुई न मुश्किल दूर ,रोज बस वादे बरसे,
फल खायें धनवान, कृषक का खाली झोला
भरे नहीं यह पेट, दुःखी हो कृषक बोला !!
-2-
आने वाले दिनों में, खूब मनेगा जश्न
अनसुलझे लेकिन खड़े, पिछले सारे प्रश्न,
पिछले सारे प्रश्न ,भूख शिक्षा के मसले
सुता,बहन की खैर ,निरंतर बढ़ते घपले,
कहें ओम कविराय, कोई माने न माने
मची देश में लूट , बात सच सोलह आने
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बोला नेता जोश में, अब न गरीबी शेष
तभी कृषक ने कर दिया, वर्णित अपना क्लेश,
वर्णित अपना क्लेश, निवाले तक को तरसे
हुई न मुश्किल दूर ,रोज बस वादे बरसे,
फल खायें धनवान, कृषक का खाली झोला
भरे नहीं यह पेट, दुःखी हो कृषक बोला !!
-2-
आने वाले दिनों में, खूब मनेगा जश्न
अनसुलझे लेकिन खड़े, पिछले सारे प्रश्न,
पिछले सारे प्रश्न ,भूख शिक्षा के मसले
सुता,बहन की खैर ,निरंतर बढ़ते घपले,
कहें ओम कविराय, कोई माने न माने
मची देश में लूट , बात सच सोलह आने
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, July 31, 2018
"जोड़ो ” का दर्द !!
"जोड़ो ” का दर्द !!
"जोड़ो ” का यह दर्द भी ,बड़ा भयंकर रोग
जोड़े फिर भी बन रहे ,बड़े नासमझ लोग,
बड़े नासमझ लोग , जानकर मक्खी निगलें
रक्खें छुरी पर पैर, और फिर रोयें पगले,
करें न ’ओम’ विवाह , बनाना ’जोड़े’ छोड़ो
मिले दर्द से छूट , खुशी से नाता जोड़ो !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
"जोड़ो ” का यह दर्द भी ,बड़ा भयंकर रोग
जोड़े फिर भी बन रहे ,बड़े नासमझ लोग,
बड़े नासमझ लोग , जानकर मक्खी निगलें
रक्खें छुरी पर पैर, और फिर रोयें पगले,
करें न ’ओम’ विवाह , बनाना ’जोड़े’ छोड़ो
मिले दर्द से छूट , खुशी से नाता जोड़ो !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Friday, July 20, 2018
"नीरज"
बौछार पावस की बड़ी खुशियाँ बिलोती है,
बूंदें बैठ पत्तों पर मोती संजोती हैं,
"नीरज" जी विदा क्या हुए इस भीगे मौसम में
बादल कराहते हैं बरसात रोती है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बूंदें बैठ पत्तों पर मोती संजोती हैं,
"नीरज" जी विदा क्या हुए इस भीगे मौसम में
बादल कराहते हैं बरसात रोती है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, May 26, 2018
युग प्रणेता
लायें अच्छे अंक जो, हो उन पर अभिमान
असफल छात्रों का मगर , करें नहीं अपमान
करें नहीं अपमान, सभी कल नेता होंगें
थाम देश की डोर ,युग के प्रणेता होंगें
कहें ’ओंम’ कविराय , इन्हें भी गले लगायें
भविष्य का कर ध्यान , जो अधिक अंक न लायें !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
असफल छात्रों का मगर , करें नहीं अपमान
करें नहीं अपमान, सभी कल नेता होंगें
थाम देश की डोर ,युग के प्रणेता होंगें
कहें ’ओंम’ कविराय , इन्हें भी गले लगायें
भविष्य का कर ध्यान , जो अधिक अंक न लायें !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, May 16, 2018
Sunday, May 13, 2018
विश्व मातृ दिवस
माता तेरी छाँव में , सुन्दर यह संसार
ढूंढे से मिलता नहीं, ऐसा निश्छल प्यार,
ऐसा निश्छल प्यार, कहूं क्या तेरी माया
पा आँचल की छाँव,, पड़े न दुःख का साया,
ना जानू प्रभु ठौर, बसे हैं कहाँ विधाता
मेरी तो आराध्य और भगवन तुम माता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ढूंढे से मिलता नहीं, ऐसा निश्छल प्यार,
ऐसा निश्छल प्यार, कहूं क्या तेरी माया
पा आँचल की छाँव,, पड़े न दुःख का साया,
ना जानू प्रभु ठौर, बसे हैं कहाँ विधाता
मेरी तो आराध्य और भगवन तुम माता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, May 9, 2018
ठाठ से है जी !!
ज़ैड़ सुरक्षा चाहिए
जिनका सदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
जिनका सदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 3, 2018
उपयोगी हथियार !!
राजनीति की द्दष्टि से, समझो भ्रष्टाचार
मूर्ख बनाने का हमें, उपयोगी हथियार !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मूर्ख बनाने का हमें, उपयोगी हथियार !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
जनमत का त्यौहार
जब देश मे कहीं मने ,जनमत का त्यौहार
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वादों की लगती झड़ी, जुमलों की भरमार,
जुमलों की भरमार ,जो कि जन जन मन भायें
सम्मोहित हों लोग, नयी उम्मीद लगायें
कहें ’ओंम’ कविराय ,रुकेगा शायद यह तब
देंगे सुनना छोड़ , चुनावी भाषण सब जब !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, May 1, 2018
इस्पात करके देख
इस्पात करके देख -ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
जो कह रहा वो
पूरी कभी बात करके देख
दुश्मन की तरह
सामने से घात करके देख
अच्छा नहीं हर
वक्त य़ूं जज्बात में बहना
इरादों को तू भी
कभी इस्पात करके देख
जरूरी है मिलते
रहें , नेह, स्नेह की खातिर
शहर को अपने तू
कभी देहात करके देख
अच्छा नही फूट
डालना निज स्वार्थ के मारे
पी कर बुराई
स्वयं को सुकरात करके देख
देश के शत्रुओं
को न कोई हमदर्दी मिले
दुष्टों के जुल्म
पे जरा जुल्मात करके देख
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
फुटपाथ पर पैदा हुआ
फुटपाथ पर पैदा
हुआ-ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
फुटपाथ पर
मुर्झाया वह फुटपाथ पर खिला,
न शिकवा किसी से
न गरीबी का कोई गिला
पैदा हुआ और फिर वो बस जवान हो गया,
इस छलाँग में लेकिन उसे बचपन नही मिला।
जवानी के पुराने
कपडे यूं रास आ गये,
चिपके रहे जब तक
रहा साँसों का सिलसिला।
राज मार्ग क्यों
कर भला फ़ुटपाथ तलक आते
उसका जग फुटपाथ
था और वही रहा किला।
भारत चमक रहा, उसे
गर्मी में लगता था,
तिलमिलाता सूरज
मगर करता था पिलपिला।
आजाद भारत में
उसे नहीं आशियाँ मिला
फुटपाथ
ही था देश वह वहाँ से नहीं हिला ।
-ओंम प्रकाश
नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
मजदूर दिवस
सत्ता में भागी बने, भारत का मजदूर
स्वेद कण तब दमकेंगे, स्वर्ण समान जरूर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
स्वेद कण तब दमकेंगे, स्वर्ण समान जरूर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, April 30, 2018
Friday, April 27, 2018
तेरा गगन मेरा गगन-
तेरा गगन मेरा गगन-ओंम प्रकाश नौटियाल
कितना उदास आज है
तेरा गगन मेरा गगन
खगों से भी विरान है
तेरा गगन मेरा गगन
नीरवता के शोर में
है मन अजब बेचैन सा
सिसकी की भेंट चढ गया
तेरा अमन मेरा अमन
पुष्पित कभी जहाँ हुए
प्रेम के महके सुमन
कैसे हुआ उजाड़ अब
तेरा चमन मेरा चमन
लिखे जो प्रेम गीत थे
दिल के रक्तिम रंग से
बदरंग उनको कर गया
तेरा वहम मेरा वहम
मुँह पर न अब हँसी रही
शत शूल में फँसी रही
दोनों के लब सिल गया
तेरा अहम मेरा अहम
देखा किये विस्तृत नभ
नीम तले इक छोर से
नीम ही कर गया अलग
तेरा सहन मेरा सहन
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
कितना उदास आज है
तेरा गगन मेरा गगन
खगों से भी विरान है
तेरा गगन मेरा गगन
नीरवता के शोर में
है मन अजब बेचैन सा
सिसकी की भेंट चढ गया
तेरा अमन मेरा अमन
पुष्पित कभी जहाँ हुए
प्रेम के महके सुमन
कैसे हुआ उजाड़ अब
तेरा चमन मेरा चमन
लिखे जो प्रेम गीत थे
दिल के रक्तिम रंग से
बदरंग उनको कर गया
तेरा वहम मेरा वहम
मुँह पर न अब हँसी रही
शत शूल में फँसी रही
दोनों के लब सिल गया
तेरा अहम मेरा अहम
देखा किये विस्तृत नभ
नीम तले इक छोर से
नीम ही कर गया अलग
तेरा सहन मेरा सहन
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
मै शापित
मै शापित -ओंम प्रकाश नौटियाल
मुड़कर जब जब देखा मैंने
हत्यारे मेरे पीछे थे
मेरे भ्रूण हत्या को आतुर
क्रोधित हो मुट्ठियाँ भींचे थे
जब थोडी बडी हो गई मैं
तुतलाकर लगी बोलने कुछ
वो कह कह बेटी पुचकारें
भीतर पिशाच सरीखे थे
तरुणाई ने अँगडाई ली
पाया सब ओर भेडिए थे
भक्षण को मेरे लालायित
वह अकसर मुझको खींचे थे
विवाहोत्तर भी अभिशप्ता
दुखित सदैव विक्षिप्ता
अनुरागी आचरण से मेरे
मानों सब अंखियाँ मीचे थे
आँचल से स्नेह उंडेला था
तानों को ही बस झेला था
उस आँचल को जला दिया
सींचे जिसने प्रेम बगीचे थे
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
मुड़कर जब जब देखा मैंने
हत्यारे मेरे पीछे थे
मेरे भ्रूण हत्या को आतुर
क्रोधित हो मुट्ठियाँ भींचे थे
जब थोडी बडी हो गई मैं
तुतलाकर लगी बोलने कुछ
वो कह कह बेटी पुचकारें
भीतर पिशाच सरीखे थे
तरुणाई ने अँगडाई ली
पाया सब ओर भेडिए थे
भक्षण को मेरे लालायित
वह अकसर मुझको खींचे थे
विवाहोत्तर भी अभिशप्ता
दुखित सदैव विक्षिप्ता
अनुरागी आचरण से मेरे
मानों सब अंखियाँ मीचे थे
आँचल से स्नेह उंडेला था
तानों को ही बस झेला था
उस आँचल को जला दिया
सींचे जिसने प्रेम बगीचे थे
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
Thursday, April 26, 2018
आशीर्वाद
आशीर्वाद -ओंम प्रकाश नौटियाल
(अखिल भारतीय डा. कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता के लिये 6/11/2017 को sahityasamarth@gmail.com को प्रेषित )
पंडित त्रिभुवन जुयाल का एक ही पुत्र था-विनोद । पंड़ित जी अध्यापक रहे , अब सेवा निवृत हैं । उनका पुत्र विनोद हैदराबाद की एक आई टी कम्पनी में कार्यरत है । पंडित जी पहाडों से उतर कर यहां कैसे आ बसे , इस विषय में वह बताते हैं कि उनके पिता देहरादून में सर्वे आफ इन्डिया में थे और बाद में स्थानन्तरित होकर हैदराबाद पहुंच गए ।पंड़ित जी को साँस की पुरानी बीमारी थी पर हैदराबाद की जलवायु उनके लिए बेहद माकूल रही और वह यहाँ इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा गए। शुरू शुरू में परेशान शाकाहारी पंड़ित जी ने हैदराबादी मछली वाला इलाज भी किया और समय के साथ काबू में आती बीमारी से उन्हें यह विश्वास हो गया की सब मछली की करामात है । पर एक बार उन्हें जब लम्बे समय के लिए सर्दियों में देहरा दून जाना पड़ा तब उनको वहाँ इस बीमारी ने फिर गिरफ्त में ले लिया । हैदराबाद आकर वह कुछ दिनों मे काफी हद तक ठीक हो गए । उसके बाद भारी मन से उन्होंने देहरादून परिवार जनॊं के साथ बसने का विचार त्याग कर साथियों के सुझाव पर वहीं बंजारा हिल्स के पास कुछ जमीन लेकर तीन चार साल में छोटा दो मंजिला मकान बना लिया । तब तक वह सेवा निवृत भी हो चुके थे । आज तो यह जगह हैदराबाद के पोश इलाकों मे से है ।विनोद की शादी भी उन्होंने यहीं से की पर बहू उनकी अपनी बिरादरी की थी -उत्तरकाशी से ।विनोदकी एक ही संतान थी -यामिनी ।
समय धीरे धीरे बीतता गया । विनोद तो पढ़ने मे औसत ही रहा था पर यामिनी बड़ी कुशाग्र थी ।सीबीऐसई से 12 वीं करने के बाद उसका जेईई आईआईटी में 552वाँ रैंक आया और उसे चेन्नई आईआईटी में दाखिला मिल गया। पंडित जी के पिता जी तो खैर कभी के स्वर्ग वासी हो चुके थे वह स्वयं भी बुढ़ापे में प्रवेश कर चुके थे ।यामिनी से उन्हें बेहद प्यार था । एक वही थी जिसे दादा जी के पास बैठकर उनसे उनके बचपन और जवानी के किस्सों को सुनने मे मजा आता था । अपनी भी हर बात वह दादा जी को सुनाती थी । अब उसके चेन्नई चले जाने से उनकी जिंदगी उदास सी हो गई थी हाँ यामिनी शनिवार के दिन नियम से फोन पर दादा जी से लम्बी बात करती थी । दादा जी को भी शनिवार रात्रि साढ़े नौ बजे का इंतजार रहता था ।विनोद तॊ वैसे ही कम बोलते थे फिर उनकॆ पास समय का भी अभाव रहता था। यामिनी की माँ तो घर कार्य में व्यस्त रह्ती थी वैसे वह भी बोलने मे कंजूस थी । पर नेक हॄदय और सच्ची महिला थी ।
दादा जी को आज यामिनी की फिर बहुत याद आ रही थी । कल ही तो उसने लम्बी बात की थी । जब वह यहाँ होती थी तो अकसर जिद करती थी ,’दादा जी करीम चाचा वाला किस्सा सुनाओ न? ’ दादा जी न जाने कितनी बर वह किस्सा सुना सुना कर थक चुके थे पर यामिनी की जिद वह टाल नहीं सकते थे उसे न जाने इसमें क्या मजा आता था } अकसर सुनती थी और उसकी कोई सहेली आ जाए तो उसे भी सुनवाती थी } दादा जी कुछ शर्माकर हल्की सी मुस्कराहट के साथ शुरु हो जाते थे ।
" करींम मेरा हम उम्र ही रहा होगा ।आज तो इस दुनियाँ मे नहीं है ’ इतना कहकर दादा जी की आँखे नम हो गई । ’खैर जहाँ भी हो खुश रहे,उस वक्त हम लोग टिहरी मे थे मैं सातवीं या आठवी में रहा हुंगा ।करीम ने स्कूल छोड़ दिया था। घर के करोबार में पिता की मदद करने लगा था ।अब करोबार भी क्या था ? गली गली रूई पिनने और रजाई भरने की फेरी लगाते थे । गाँव में उसके दोस्त कम थे पर मुझे वह बड़ा अच्छा लगता था } जिंदा दिल इंसान था ।उसे भी मेरा साथ पसंद था और कभी फुरसत के वक्त मेरे पास आ जाता था उसका कमाल अंग्रेजी बोलने में था ।‘उसे अंग्रेजी का A भी नहीं आता था ,पर धारा प्रवाह उट पटाँग अंग्रेजी ऐसे लहजे में बोलता था कि एक बार को तो अंग्रेज भी चकरा जाएं और उसमें कुछ अर्थ ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश करने लगें । दादा जी जब उसकी नकल करते थे तो अंदाज हो जाता था कि मूल स्वरूप यानि करीम चाचा वाला कै्सा रहा होगा । यामिनी जाने क्यों सुनकर लोट पोट हो जाती थी। दादा जी सुना सुना कर उब जाते थे पर यामिनी की जिद के सामन विवश हो जाते थे। एक आध बार उन्होंने यामिनी को प्यार से समझाया भी," बॆटा तुम्हे इस किस्से में मजा आता होगा पर औरों को क्यों बोर करती हो ?" पर यामिनी कहाँ मानने वाली थी।दादा जी ने एक सुझाव भी दिया, "बेटा तू अपने मोबाइल पर इसका विडियो बना ले , फिर जब चाहे सुनती रह और सुनाती रह ।"
दादा जी के सुझाव पर कुछ विशेष उत्साहित न होकर यामिनी ने विडियो तो बना लिया, पर देखने के बाद बोली ," दादा जी आप कैमरे के आगे कुछ नरवस हो गए, उतना मजा नहीं आया। अब आप जब सामने होगे तब तो मैं आप से ही सुनुगी, हाँ आपकी अनुपस्थिति में इसका उपयोग अर लिया करूंगी ।दादा जी समझ गए कि पीछा छुडाना मुश्किल है ।अतः चुप हो गए ।
विनोद कुछ गंभीर किस्म का बापनुमा आदमी था ,जो अपनी मान्यता अनुसार छॊटों को ज्यादा मुँह नहीं लगाता था ।यामिनी की दादी थी नहीं ,माँ अकसर गृहकार्यों मे व्यस्त रहती थी अधिक पढ़ी लिखी नहीं थी ।यामिनी की माँ से तो बस काम की ही बातें होती थी ।गप मारना माँ के स्वभाव में नहीं था। यामिनी को यह गुण शायद दादा जी से विरासत में मिला । खूब छनती थी जब दोनों मिलते थे घन्टों बातों का सिलसिला चलता था । हैदराबाद मे यामिनी की एक दो प्रिय सहेली थी । पढ़ती तो वह भी हैदराबाद के बाहर ही थी पर छुट्टिया अकसर साथ हो जाती थी । किसी सहेली के होने पर दादा जी से गप का समय कुछ घट जाता था जो उन्हें कतई नहीं भाता था ।
इस बार छठे सैमेस्टर की समाप्ति पर यामिनी जब हैदराबाद आई तो कुछ बदली बदली सी थी । दादा जी के सामने भी कुच असहज सी पेश आ रही थी मानो किसी तनाव में हो ।दादा जी को लगा कि सब कुछ शायद सामान्य नही है , उसने अब तक करीम चाचा वाला प्रसंग सुनाने की फरमाईश भी नही की । दादा जी ने एक दिन उसे पास बैठ कर पूछ ही लिया,"यामिनी बेटा , मुझे लग रहा है तुम कुछ तनाव में हो। शायद कुछ कहना चाहती हॊ पर कह नही पा रही हो । कोई बात है तो निःसंकोच बोल दो ।"सुनते ही यामिनी को मानो जीवन दान मिल गया हो। कुछ संयत होकर बोली ।
"आप ठीक कह रहे हो दादा जी।सोचकर आई थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले आप को बता दूंगी । पर हिम्मत ही नहीं हुई। पापा को भनक लगेगी तो शायद मुझ्रे खा ही न जाएं ।"
"कोई लड़का पसंद कर लिया है क्या?" दादा जी ने पूछ लिया। यामिनी कुछ और नारमल होते हुए तपाक से बोली " दादाजी , आपकी इस बात से तो मुझे फ़िल्म ’जब वी मैट ’ के दादाजी का डायलाग याद आ गया जब वह कहते है कि ’हमारी उम्र में यह सब ताड़ने में देर नहीं लगती’ । आप ठीक कह रहे हैं ।"
" अरे , सचमुच ! यह तो गंभीर विषय है। तेरी जिंदगी का सवाल है। कौन लड़का है? कहाँ रहता है? तेरे कौलेज का ही है न ? क्या कर रहा है? फोटो है तेरे पास? सब कुछ बता न विस्तार से।"
"दादा जी सबकुछ बताऊंगी ,पर आप पापा को संभाल लेना प्लीज "
" अरे पहले मुझे तो कुछ पता चले"
"दादा जी, वह भी चैन्नई आई आई टी मे है । होशियार है उसका JEE में 252 वा रैंक था ।लम्बा है , स्मार्ट है पर बड़ा सिंपल । घर उसका त्रिवेन्द्रम में है, अब जो तिरुवनंतपुरम कहलाता है।
" त्रिवेन्द्रम में ?’ दा्दा जी चौंक पड़े । "यानि केरल से है? नाम क्या है ?
"उसका नाम है मोहन थौमस ।" यामिनी ने थौमस पर कुछ जोर डालकर बताया जिससे बात पहले ही साफ हो जाए।
"यह तो क्रिश्चियन नाम है। मैं इसमें अपनी क्या राय दूंगा ? विनोद तो भडक जाएगा। "
" दादा जी...ई...ई...ई प्लीईईज ।ऐसा मत कहिए। सब कुछ आपके हाथ में है । आप ही पापा को समझा सकते हैं "
" मैं तो खुद कुछ नहीं समझा तो उसे कैसे समझाउंगा। नहीं , नहीं , इस काम के लिए तो तू मुझे बख्श ही दे ।"
"दादा जी अगर मैं उसे आप से मिलवा दूं तब तो आप अपनी राय देंगे न? या फिर धर्म, जात पात ही हावी रहेगी आपके उपर ।"
"इतना ही कह सकता हूं कि अगर मैं उससे मिलता हूं तो उसके बारे में मैं अपनी राय मैं केवल उसके गुणों के आधार पर बनाऊंगा। पर तुम कब और कैसे मिलवा सकोगी उससे?"
"परसों मिलवा सकती हूं दादा जी । वह भी छुट्टियों में त्रिवेन्द्रम में है । एक दिन उसे तैयारी में लगेगा । परसॊं शाम तक आ्पसे मिलने आ जाएगा ।वह अपने माँ बाप का इकलौता लड़का है । उसके पापा का बिजनैस है काजू एक्सपोर्ट करते हैं, चाहते हैं वह अब बिजनैस देखे । उसकी शादी भी जल्दी करना चाहते हैं उसके पीछे पडे है। बडॆ दबाव में है ।इसीलिए वह भी पहले हमारे परिवार का रुख देखकर यहाँ की स्वीकॄति चाहता है जिससे सबकुछ पटरी पर आ जाए और वह तनावमुक्त हो सके। मुझे यकीन है वह परसों जरूर आ पाएगा। बाकी तो मुझे कुछ नही कहना है आप परखियेगा"
"ठीक है ठीक है ।" दादा जी ने कहा " "लगता है तुमने ही पटकथा लिखी है, विनोद और अपनी माँ को क्या बताओगी कि कौन आया है?"
"आप उसकी चिंता न करें दादा जी, वह सब तो मैं संभाल लूंगी।आपको तो बस उसे शत प्रतिशत अंक देकर पास करना है।" यामिनी हंसकर बोली।
दादा जी बोले, " बेटा , सिफारिश इसमें बिल्कुल नहीं चलेगी । फकत योग्यता के आधार पर फैसला होगा।"
"मुझे आपकी पारखी नज़र पर भरोसा है ,दादा जी।पापा अम्मा को तो कह दूंगी मेरी सहेली का भाई आ रहा है। सहेली ने कुछ नोट्स भिजवाए हैं ।एक आध घंटा बैठकर अपने दोस्त के यहाँ चला जाएगा।" यामिनी बोलते हुए कुछ उत्साहित सी लगी।
" ठीक है तुम उससे बात करके सब तय करो।" दादा जी ने कहा ।
यामिनी को लगा कि उसने पहला कदम तो सही ले लिया है।कुछ रिलैक्स होकर वह सीधे अपने कमरे में आई और मोहन को फोन करने लगी ।
" येस यामिनी , हाउ आर यू ? " उधर से मोहन की आवाज आई।
"ठीक ही हूं " यामिनी ने उत्तर दिया।
"’ही’ मीन्स ?"मोहन ने सवाल किया।
" अब मुझे तो तुमने इतना मुश्किल काम सौंप दिया और खुद छुट्टियों का मजा ले रहे हो । अच्छा सुनो ,मैंने दादा जी को तुम्हारे बारे में बता दिया है। क्या तुम कल आ सकते हो दादा जी से मिलने, वह तुमसे मिलना चाहते हैं ।"‘
" कल तो नहीं , परसों शाम को तुम्हारे घर पहुंच सकता हूं । तुम घर का पूरा पता , लैन्ड मार्क्स के साथ व्हाट्स एप कर देना। ठीक है न ?" मोहन ने कहा।
यामिनी के मन की बात हो गई थी । वह तो परसों का ही चाह रही थी । "ठीक है । पता वगैरह तो मैं सब विस्तार से बता ही दूंगी ।पर एक बात सुनो , दादा जी के अतिरिक्त अभी तुम्हारी असलियत अन्य किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मै पापा,अम्मा से कह दूंगी कि सहेली का भाई आ रहा है । उसने कुछ नोट्स भिजवाए हैं । ठीक न?"
"अब वह सब तुम जानो। मुझे तो बस ओर्डर मानना है " मोहन की आवाज आई ।
" तो परसों शाम पक्का 06.30 बजे, दादा जी को इमप्रैस करने की तैय्यारी करके आना ।" यामिनी ने चकते हुए हिदायत दी
" अरे ,जब तुम्हे कर दिया । तो बुढऊ सारी ,सारी, दादा जी क्या चीज हैं ।" मोहन ने चुटकी ली ।
"अच्छा ज्यादा उड़ो मत , व्हाट्स एप पर अपना प्रोग्राम और मूवमैन्ट्स बताते रहना । बाय "
और फिर यामिनी उछलती हुई दादा जी के कमरे की तरफ भागी ।
"दादा जी मोहन परसों शाम आ रहा है । अब इतनी दूर से आ रहा है आप खयाल रखना ।" यामिनी ने दादा जी से अनुनय के लहजे मे कहा ।
" मुझे अपना काम पता है बेटा, तुम बाकी चीजें संभालो ।" दादा जी बोले ।
आज बुधवार है । मोहन को आना है ।आज ड्राईग रुम की साफ सफाई यामिनी कामवाली बाई से अपनी देख रेख में करवा रही है } पर सावधान भी है कि उसका यह उत्साह माँ न पढ ले । विनोद तो खैर आफिस जा चुका है ।
अम्मा ने अभी आकर उसे बताया कि तेरे पापा को शाम को खँडूरी जी के लड़के की शादी में जाना है ।
यामिनी को लगा कि सब कुछ अपने आप ही ठीक हो रहा है । दिन शुभ है ।
" अम्मा खन्डूरी अंकल आन्टी हम लोगों को कितना मानते हैं पिछले साल दादा जी की बीमारी के दौरान अंकल ने कितने चक्कर लगाए थे और दौड़ भाग की थी ।पापा अकेले क्यॊं जा रहे हैं ? आप को भी जाना चाहिए ।"
" अरे मैं जाकर क्या करूंगी । घर का काम बिखर जाता है सारा । फिर शाम को तेरी सहेली का भाई भी आ रहा है ।"
"अरे वह कौन सा अफलातून है । मै चाय बनाकर पिला दूंगी । थोड़ी देर ही तो बैठेगा । अम्मा आप अवश्य जाइए ।आप किसी रिश्ते को अहमियत क्यों नहीं देती ।इतने अच्छे लोग हैं ,बिरादरी के हैं । हमारा कितना खयाल रखते हैं । आप को बस जाना ही है ।" यामिनी बोली । बिरादरी वाली बात कहकर वह खुद ही सकुचा गई ।
" अरे बेटी, रिश्तों को खूब अहमियत दूंगी । जरा हो तो जाए तेरा रिश्ता ।" अम्मा ने कहा।
यामिनी सुनकर कुछ सिहर सी गई । कहीं अम्मा को कुच भनक तो नहीं लग गई ।
फिर सहज होकर अधिकार के स्वर में बोली," और अम्मा , वह हरी वाली साडी पहनना।"
"ठीक है देखती हूं अब तो तूने मेरा श्रॄंगार भी कर दिया है ।"
यामिनी अपनी योजना पर मन ही मन बहुत खुश थी । अपने कमरे में जाकर तुरंत मोहन से संपर्क किया और कहा, " मोहन तुम मेरा संदेश मिलने पर ही आना । शाम के सात बजे के आसपास।"
"ठीक है ,मुझे भी यही टाइम सूट करता है।" वह बोला ।
शाम को जब यामिनी के अम्मा पापा तैय्यार हो गए तो उसने मोह्न को आने का संदेश दिया। मोहन पहले ही हैदराबाद के होटल पहुंच गया था और तरोताजा होकर यामिनी के संदेश की प्रतीक्षा कर रहा था।
इधर यामिनी के अम्मा पाप शादी के लिए घर से निकले और उधर घर के बाहर मोहन की टैक्सी आकर रूकी ।घर में दादा जी और यामिनी के अतिरिक्त अब कोई नहीं था ।यामिनी ने उसे ड्राइंग रुम मे बैठाया और हाल चाल जानने के बाद दादा जी को उसके आने की सूचना दी ।
दादा जी धीरे धीरे ड्राईंग रूम में आए और मोहन को देखते ही क्षण भर को हर्षमिश्रित आश्चर्य के साथ ठिठक से गए । उन्होंने अपने मन में मलयाली लड़के की जो छवि संजोई थी उससे हटकर उनके सामने एक गोरा छरहरे बदन का सुन्दर लड़का था, जो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया और उनके चरणों मे झुक गया ।उसकी हाईट भी छः फ़ीट से शायद एक आध इंच ही कम होगी ।
दादा जी ने मोहन से मुखातिब होकर कहा ,’उम्मीद है तुम आराम से यहाँ पहुंच गए हो , घर ढूंढ़ने में कोई परेशानी तो नहीं हुई न ?"
"जी नही दादा जी ,यामिनी ने ठीक से गाइड़ कर दिया था।"
"वह तो मुझे पता था। खैर, अब हम बिना तकल्लुफ किए और समय को बरबाद न करते हुए सीधे काम की बात पर आ जाते हैं । मुझे पता चला है कि तुम लोग एक दूसरे को पसंद करते हो। पहले तो मै तुमसे यह जानना चाहता हूं कि तुमने यामिनी में ऐसा क्या देखा?"
मोहन ने दादा जी के इस प्रश्न पर चेहरे पर बिना कोई विशेष भाव लाए हुए संयत स्वर में उत्तर दिया," दादा जी मुझे उसका सबसे मीठे स्वर में बात करना और मित्रवत स्वभाव बहुत पसंद आया , दूसरे दुखियों और बेसहारों की समस्याओं के प्रति वह बेहद संवेदनशील है । जिसकी मैं सराहना करता हूं और पक्षधर भी हूं ।और हाँ सबसे बड़ी बात जिसने मुझे उसके इन गुणों को जानने और परखने की जरूरत महसूस करवाई वह है उसके व्यक्तित्व का आकर्षण । आपसे क्षमा चाहता हूं पर मेरे खयाल से इन सभी बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है ।"
" तुम्हारी हिंदी इतनी अच्छी कैसे है? खैर यह तो मैं तुमसे बाद में पूछूंगा । पहले यह बताओ कि कल्चर में अंतर होने के कारण क्या तुम सोचते हो कि यामिनी का पूरे परिवार में एड्जटमैन्ट संभव है ? इस बात पर तुमने विचार किया है कभी ?" दादा जी ने पूछा।
" दादा जी इन सब विषयों पर मैंने बहुत गहराई से विचार किया है । हमारा काजू एक्स्पोर्ट का बिजनैस है ।पिताजी इस सिलसिले में बहुत से लोगों के संपर्क में आते हैं । इसलिए वह बिल्कुल खुले है इस मामले में ।और उन्होने शादी के बारे में भी पसंद वगैरह का काम मुझ पर छोड़ दिया है।
"मेरी दोनों बुआओं कि शादी भी उत्तर भारतीयों में हुई है जो दिल्ली में पढाई के दौरान उनकॆ संपर्क में आई ।मैं बचपन में बड़ी बुआ के पास दो साल दिल्ली रहकर पढ़ा भी हूं । अकसर छुट्टियों में लम्बे समय के लिए दिल्ली जाना होता रहा है । मेरी अच्छी हिंदी में दिल्ली, बुआ, फूफा,और उनके परिवार जनों का बड़ा हाथ है ।बुआओं ने वहाँ बडी अच्छी तरह एड्जस्ट किया हुआ है ।पिताजी हमेशा कहते हैं अगर इंसान का स्वभाव अच्छा है संवेदनशील है तो उसके लिए कहीं भी एडजस्ट कर पाना कोई मुश्किल नही है । मैं इकलौता लड़का हूं , शादी करने का दबाव है । इसीलिए मैंने इस बारे में सभी पहलुओं से सोचने का प्रयास किया है ।आप लोगों की सहमति आवश्यक है जिससे मैं घर में अपनी पसंद बता सकूं ।" मोहन ने विस्तार से अपनी बात रखने की कोशिश की ।
दादा जी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे एक एक शब्द तोल रहे थे।’ और हाँ, एक बात बताओ बेटा , शादी के बारे में तुम्हारे परिवार के क्या विचार है ? कब, कहाँ और कै्सी शादी चाहते हैं?"
"दादा जी , अभी तो मैंने उन्हे अपनी पसंद बताई नहीं थी । वह लोग रोज ही एक दो प्रस्तावों पर मेरी राय माँग लेते हैं ।कितु मैं यह कह सकता हूं कि पसंद बताते ही वह तुरंत शादी करना चाहेंगे । मैं शादी को एक साल और यानि फाइनल वर्ष तक टालने का प्रयास कर सकता हूं । पता नहीं वह लोग मानेंगे कि नहीं?"
"अरे यामिनी चाय वगैरह तो ले आओ"
"जी दादा जी" कहकर यामिनी उठ्कर चली गई।
"हाँ मोहन तुम अपनी बात पूरी कर लो ।" दादाजी बोले।
"जी दादा जी ,जैसा कि आप जानते ही होंगे शादी वहीं पर हमारे पारिवारिक चर्च में होगी ।उसके बाद आप भी अपनी रीति के अनुसार वहाँ अथवा यहाँ शादी की रस्म कर सकते हैं ।"
" अरे बेटा , हम शायद बहुत आगे बढ़ गए हैं , अभी तो मुझे इसके अम्मा, पापा से बात करनी होगी।"
"ठीक है दादा जी, मुझे भरोसा है आप सबकुछ सुलझा लेंगे।"
कुछ देर में यामिनी चाय लेकर आ गई । चाय के साथ घर परिवार और पढ़ाई अदि के विषय में बातें चलती रही ।
चाय पीकर मोहन ने जाने की इजाजत ली ।"
" ठीक है मैं तुम्हे और नहीं रोकूंगा। इसके अम्मा पापा भी आने वाले होंगे । उनसे तो तुम्हे तभी मिलवाएंगे जब मैं उन्हे सब बातें पहले बता दूंगा।"
’अच्छा दादा जी ,आशा है आप मुझे A+ ग्रेड देंगे और आगे के लिए भी यह केस अपने हाथों में ले लेंगे।"
दादा जी उसकी बात पर मुस्कराए और यामिनी से बोले,"जा बेटी, बाहर तक छोड़ दे ।"
यामिनी और मोहन बाहर टैक्सी की तरफ जा ही रहे थे कि पापा और अम्मा आ गए सामने से।"
" अरे आप लोग तो बड़ी जल्दी आ गए। और हाँ यह मेरी सहेली का भाई है।" फिर मोहन से बोली "मेरे अम्मा पापा हैं ।"
अम्मा बोली ,"जा रहे हो क्या ? "
"जी हाँ अब चलता हूं । देर हो रही है ।"
यामिनी मन ही मन खुश थी कि चलो अम्मा पापा ने भी देख लिया ।
मोहन को विदा कर यामिनी सीधे दादा जी के कमरे में गई और दादा जी के कान में फुसफुसाई ,"दादा जी अपनी राय बताइये न ।"
"सच कहूं , मैंने जैसा सोचा था उससे कई गुना अच्छा लगा । 100 में से 200 अंक तो बनते हैं, भला लडका है, सुन्दर और समझदार है ,बिल्कुल तुम्हारी जोड़ी का है।"
"ओह दादा जी आप कितने अच्छे हैं ।"
" पर अब विनोद को संभालने की चिंता है ।" दादा जी बोले।
" वह तो आप कर ही लोगे दादा जी , बाप हो आप पापा के, पर आप आज बात मत करना ,दो तीन दिन बाद करना ।" यामिनी ने सुझाया।
" इतनी जल्दी भला क्यों करूंगा ? " दादा जी बोले।
दादा जी की आशा के विपरीत विनोद को मनाने में कोई विशेष दिक्कत नहीं हुई थी । दादा जी ने विनोद से कहा था," लड़का मैंने देखा है, उससे बातचीत की है। सुन्दर,सौम्य , सुशील है ।पढ़ने में भी हमारी यामिनी से कम होशियार नहीं है। अकेला लडका है पिता का जमा जमाया बिजनैस है । फिर सबसे अच्छी बात यह है कि वह विदेश बसने में बिल्कुल इच्छुक नहीं है ।अंततः उसे पिता का बिजनैस ही संभालना है। मेरे खयाल से जाति धर्म की बात अगर भूल जाएं तो इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा ।तुम अच्छी तरह विचार कर लो। और हाँ एक बात और,खुशी खुशी आशीर्वाद दोगे तो अच्छा है , वरन अगर ब्च्चों ने शादी की सोच ही ली है तो व्यर्थ की नाराजगी और ऐंठ से कोई लाभ नहीं है । बच्चे बहुत समझदार हैं , भला बुरा समझते हैं ।"
दादा जी की बातों पर विनोद ने संजीदगी से गौर किया । उसे अपनी बेटी के चयन और पिताजी की सूक्ष्म द्दष्टि पर पूरा भरोसा था अतः उसने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी ।यामिनी की अम्मा को क्रिश्चियन वाली बात थोड़ी अखरी थी पर अंततः उसे भी ससुर, पति और बेटी के साथ चलने में ही भलाई दिखाई दी ।मोहन के परिवार के साथ बातचीत के बाद तय हुआ कि फाइनल सैशन की समाप्ति के बाद 21 जून को यानि लगभग 4 महीने के बाद त्रिवेन्द्रम के चर्च में पहले शादी होगी फिर 23 जून को वहीं किसी वैडिंग पौइन्ट पर पर हिंदू रीति के अनुसार शादी की सभी रस्में होंगी , वहाँ तो गिनती के आदमी ही जा पाएंगे , अतः हैदराबाद में 25 जून को रिसैप्शन दिया जाएगा ।
धीरे धीरे एक वर्ष का समय व्यतीत हो गया यामिनी के फाइनल सैशन की समाप्ति अब चंद सप्ताह के फासले पर थी। उसके बाद जून मे त्रिवेन्द्रम में यामिनी की शादी थी ।
दादा जी लगभग 86 वर्ष के हो गए थे, पहले से काफी कमजोर हो गए थे।
यामिनी फाइनल परीक्षा देकर आ चुकी थी । शादी की खरीदारी शुरू हो गई थी। समय बीतता जा रहा था ।अंततः जून भी आ गया । 20 जून को यामिनी , दादा जी उसके अम्मा पापा, दोनों बुवाएं व उनका परिवार साथ में विनोद के दो घनिष्ठ मित्रों का काफिला त्रिवेन्द्रम पहुंच गया ।
मोहन के माता पिता ने शहर के एक प्रतिष्ठित पाँच सि्तारा होटल में उनके ठहरने का प्रबंध किया था और उन्हे स्पष्ट कर दिया था कि वह लोग उनके मेहमान है अतः यहाँ के प्रवास के खर्च के बारे मे उन्हे सोचना भी नही है न मन मे किसी प्रकार का बोझ रखना है ।बड़ी विचित्र सी स्थिति मे थे वह लोग , बारातियों जैसी आवभगत हो रही थी ।21 जून को सुबह 10 बजे उन्हे पास के ऐन्ड्रुज चर्च में ले जाया गया और क्रिश्चियन विधि से पादरी ने शादी संपन्न करवाई । 22 जून को मोह्न के माता पिता ने उन सबको तथा अपने सभी रिश्तेदारों को रिसैप्शन पर बुलाया था ।
23 जून को पास ही के एक वैडींग पाईन्ट पोइन्ट पर हिंदू पद्धति से शादी संपन्न हुई जिसमें मोहन की ओर से उनके सभी रिश्तेदारों ने यमिनी
के पिताजी के विशेष अनुरोध पर भाग लिया ।वैसे वह सभी इ्सके लिए बहुत उत्सुक और उत्साहित लग रहे थे । दादा जी इसके बाद अवश्य थके थके और निढाल से लग रहे थे ।खाँसी भी थी।
24जून को मोहन समेत सभी हैदराबाद लौट आए ।25को वहाँ रिसैप्शन है । मोहन के माता पिता तो विशेष अतिथि थे ही ।किंतु उन्होने 25 जून को ही शाम को हैदराबाद आने का कार्यक्रम बनाया था।
दादा जी और टीम को हैदराबाद पहुंचते हुए शाम के लगभग 4 बज गए थे ।
घर आते ही दादा जी को सीने मे बहुत जोर से दर्द उठा। बिना वक्त खोए विनोद उन्हे पास के संजीवनी अस्पताल मे ले गया । डाक्टर्स ने आई सी यू में तुरंत भरती कर लिया और जाँच शुरु हो गई ।डाक्टर ने उन्हें बताया," दिल का दौरा पडा है । इलाज शुरु कर दिया है इंजैक्शन दिया है ।48घन्टे के बाद ही हालत के बारे मे कुछ निर्णायक कहा जा सकता है ।"
उधर घर में यामिनी के आँसू थम नहीं रहे थे ।उसे लग रहा था जैसे उसने अपनी खुशी के लिए, अपना जीवन संवारने के लिए दादा जी के जीवन को संकट मे डाल दिया हो ।अगले दिन यामिनी ने जिद की कि वह अस्पताल से दादा जी को रिसैप्शन में लेकर आएगी ,उनका आशीर्वाद लेना है ।
शाम 6 बजे यामिनी अस्पताल पहुंची ।विनोद और मोहन भी साथ थे ।माँ और बुआ जी पहले सॆ ही अस्पताल के लाउन्ज में बैठे हुए थे ।विशेष प्रार्थना पर उसे कुछ देर के लिए ICCU में जाने की अनुमति मिली, वहाँ बोलने की मनाही थी। दादा जी के मुंह नाक पर नलियाँ लगी थी , उसे लगा कि वह वैन्टीलेटर पर हैं ।यामिनी ने जैसे ही उनके हाथ का स्पर्श किया ऐसा लगा मानो उन्होंने उसे पहचान लिया । एक हल्की सी चमक उनकी आँखो मे दिखाई दी , हाथ उठाने का उपक्रम किया , मानो यामिनी को आशीर्वाद देना चाह रहे हों और अगले ही क्षण निढाल हो गए ।नर्स ने फौरन डाक्टर को बुलाया , उसने जाँच के बाद उन्हे मॄत घोषित कर दिया ।उधर विनोद के पास फोन पर फोन आरहे थे । सभी दादा जी जी का हाल और उनके अस्पताल से रिसैपशन में आने का समय जानना चाहते थे ।विनोद अत्यंत दुविधा और असमंजस की स्थिति मे था । तभी मोहन ने विनोद के पास आकर धीमे से कुछ कहने की चेष्टा की ," पापा मैं जानता हूं,आप के लिए और हम सब के लिए यह बहुत कठिन वक्त है , आप कृपया मुझे गलत न समझें, मैं आपसे यह अर्ज करना चाहता हूं कि दादा जी भी यह कभी नही चाहते कि उनके कारण उनकी बेटी इतने लोगों के आशीष से वंचित हो जाए और सब भूखे घर जाएं । मेर विचार है कि हम बाडी को मौर्चरी मे रखवा देते हैं और अभी यह बात हम लोगों के अतिरिक्त और लोगों तक नहीं पहुंचनी चाहिए । आप अ्म्मा जी और बुआ जी को भी समझा दीजिए कि खुद पर काबू रख्खें । दादा जी ने इस कार्य को इस मुकाम तक पहुंचाया है उनका पूरा आशीर्वाद तभी मिलेगा जब रिसैप्शन की रस्म भी संपन्न हो जाए। तभी उनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी । आप या मै यहां रुक कर बाडी मौर्चरी मॆं रखवा कर आते हैं } शे्ष लोग तुरंत रिसैप्श्न के लिए रवाना हो जाएं । सभी प्रतीक्षारत हैं । अगर देर होगी तो कुछ लोग यहाँ आ सकते हैं ।"
" कहते तो ठीक ही हो बेटा । मैं यहाँ का काम करके आता हूं ।तुम इन सबको ले जाओ । यामिनी को भी संभालना होगा ।तो आप लोग चलो अब ।"
अम्मा , बुआ, यामिनी मोहन शीघ्र ही रिसैपश्न स्थल के लिए रवाना हो गए । रास्ते भर मोहन उनको संयमित रहने के लिए कहता रहा ।" सभी समझदार थे तथा मौके की गंभीरता समझते थे।" सबके चेहरे पर मायूसी के भाव थे । वह रिसैप्शन स्थल पहुंच गए ।वहाँ मोहन के माता पिता बुआएं आदि सभी त्रिवेन्द्रम से पहुंच चुके थे तथा वहीं रेसैप्शन पर घर के लोगों की तरह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे। यामिनी ने उनके पैर छुए दादा जी के बारे में बात हुई और फ़िर मायूस सा चेहरा लिए यामिनी और मोहन अपने लिए लगी कुर्सियों पर विराज गए ।लोग शगुन और आशीर्वाद देने के लिए आने शुरू हो गए । विनोद ने अपने निमंत्रण पत्र में उपहार और लिफाफे न लाने का अनुरोध किया था जिस पर कायम रहते हुए यामिनी ने किसी तरह का कोई तोहफा क्षमा याचना के साथ स्वीकार नहीं किया ।लगभग रात्रि 11.30 बजे तक सब लोग घर लौट आए ।
सुबह 7 बजे विनोद और यामिनि के फूफा जी दादा जी का शव लेकर घर आ गए । मोहन के माता पिता भी होटल से घर पहुंच गए थे ,मोहन ने शायद उन्हें सब बता दिया था।अब यह बात सबको पता चल ही चुकी थी । घीरे धीरे लोग आने शुरु हो गए । 10 बजे दादाजी की शव यात्रा चेतना मोक्षधाम के लिए रवाना हुई ।
यामिनी में ही उनके प्राण बसते थे ।
यामिनी के ससुराल जाने से पूर्व ही दादा जी विदा ले चुके थे ।
(अखिल भारतीय डा. कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता के लिये 6/11/2017 को sahityasamarth@gmail.com को प्रेषित )
पंडित त्रिभुवन जुयाल का एक ही पुत्र था-विनोद । पंड़ित जी अध्यापक रहे , अब सेवा निवृत हैं । उनका पुत्र विनोद हैदराबाद की एक आई टी कम्पनी में कार्यरत है । पंडित जी पहाडों से उतर कर यहां कैसे आ बसे , इस विषय में वह बताते हैं कि उनके पिता देहरादून में सर्वे आफ इन्डिया में थे और बाद में स्थानन्तरित होकर हैदराबाद पहुंच गए ।पंड़ित जी को साँस की पुरानी बीमारी थी पर हैदराबाद की जलवायु उनके लिए बेहद माकूल रही और वह यहाँ इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा गए। शुरू शुरू में परेशान शाकाहारी पंड़ित जी ने हैदराबादी मछली वाला इलाज भी किया और समय के साथ काबू में आती बीमारी से उन्हें यह विश्वास हो गया की सब मछली की करामात है । पर एक बार उन्हें जब लम्बे समय के लिए सर्दियों में देहरा दून जाना पड़ा तब उनको वहाँ इस बीमारी ने फिर गिरफ्त में ले लिया । हैदराबाद आकर वह कुछ दिनों मे काफी हद तक ठीक हो गए । उसके बाद भारी मन से उन्होंने देहरादून परिवार जनॊं के साथ बसने का विचार त्याग कर साथियों के सुझाव पर वहीं बंजारा हिल्स के पास कुछ जमीन लेकर तीन चार साल में छोटा दो मंजिला मकान बना लिया । तब तक वह सेवा निवृत भी हो चुके थे । आज तो यह जगह हैदराबाद के पोश इलाकों मे से है ।विनोद की शादी भी उन्होंने यहीं से की पर बहू उनकी अपनी बिरादरी की थी -उत्तरकाशी से ।विनोदकी एक ही संतान थी -यामिनी ।
समय धीरे धीरे बीतता गया । विनोद तो पढ़ने मे औसत ही रहा था पर यामिनी बड़ी कुशाग्र थी ।सीबीऐसई से 12 वीं करने के बाद उसका जेईई आईआईटी में 552वाँ रैंक आया और उसे चेन्नई आईआईटी में दाखिला मिल गया। पंडित जी के पिता जी तो खैर कभी के स्वर्ग वासी हो चुके थे वह स्वयं भी बुढ़ापे में प्रवेश कर चुके थे ।यामिनी से उन्हें बेहद प्यार था । एक वही थी जिसे दादा जी के पास बैठकर उनसे उनके बचपन और जवानी के किस्सों को सुनने मे मजा आता था । अपनी भी हर बात वह दादा जी को सुनाती थी । अब उसके चेन्नई चले जाने से उनकी जिंदगी उदास सी हो गई थी हाँ यामिनी शनिवार के दिन नियम से फोन पर दादा जी से लम्बी बात करती थी । दादा जी को भी शनिवार रात्रि साढ़े नौ बजे का इंतजार रहता था ।विनोद तॊ वैसे ही कम बोलते थे फिर उनकॆ पास समय का भी अभाव रहता था। यामिनी की माँ तो घर कार्य में व्यस्त रह्ती थी वैसे वह भी बोलने मे कंजूस थी । पर नेक हॄदय और सच्ची महिला थी ।
दादा जी को आज यामिनी की फिर बहुत याद आ रही थी । कल ही तो उसने लम्बी बात की थी । जब वह यहाँ होती थी तो अकसर जिद करती थी ,’दादा जी करीम चाचा वाला किस्सा सुनाओ न? ’ दादा जी न जाने कितनी बर वह किस्सा सुना सुना कर थक चुके थे पर यामिनी की जिद वह टाल नहीं सकते थे उसे न जाने इसमें क्या मजा आता था } अकसर सुनती थी और उसकी कोई सहेली आ जाए तो उसे भी सुनवाती थी } दादा जी कुछ शर्माकर हल्की सी मुस्कराहट के साथ शुरु हो जाते थे ।
" करींम मेरा हम उम्र ही रहा होगा ।आज तो इस दुनियाँ मे नहीं है ’ इतना कहकर दादा जी की आँखे नम हो गई । ’खैर जहाँ भी हो खुश रहे,उस वक्त हम लोग टिहरी मे थे मैं सातवीं या आठवी में रहा हुंगा ।करीम ने स्कूल छोड़ दिया था। घर के करोबार में पिता की मदद करने लगा था ।अब करोबार भी क्या था ? गली गली रूई पिनने और रजाई भरने की फेरी लगाते थे । गाँव में उसके दोस्त कम थे पर मुझे वह बड़ा अच्छा लगता था } जिंदा दिल इंसान था ।उसे भी मेरा साथ पसंद था और कभी फुरसत के वक्त मेरे पास आ जाता था उसका कमाल अंग्रेजी बोलने में था ।‘उसे अंग्रेजी का A भी नहीं आता था ,पर धारा प्रवाह उट पटाँग अंग्रेजी ऐसे लहजे में बोलता था कि एक बार को तो अंग्रेज भी चकरा जाएं और उसमें कुछ अर्थ ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश करने लगें । दादा जी जब उसकी नकल करते थे तो अंदाज हो जाता था कि मूल स्वरूप यानि करीम चाचा वाला कै्सा रहा होगा । यामिनी जाने क्यों सुनकर लोट पोट हो जाती थी। दादा जी सुना सुना कर उब जाते थे पर यामिनी की जिद के सामन विवश हो जाते थे। एक आध बार उन्होंने यामिनी को प्यार से समझाया भी," बॆटा तुम्हे इस किस्से में मजा आता होगा पर औरों को क्यों बोर करती हो ?" पर यामिनी कहाँ मानने वाली थी।दादा जी ने एक सुझाव भी दिया, "बेटा तू अपने मोबाइल पर इसका विडियो बना ले , फिर जब चाहे सुनती रह और सुनाती रह ।"
दादा जी के सुझाव पर कुछ विशेष उत्साहित न होकर यामिनी ने विडियो तो बना लिया, पर देखने के बाद बोली ," दादा जी आप कैमरे के आगे कुछ नरवस हो गए, उतना मजा नहीं आया। अब आप जब सामने होगे तब तो मैं आप से ही सुनुगी, हाँ आपकी अनुपस्थिति में इसका उपयोग अर लिया करूंगी ।दादा जी समझ गए कि पीछा छुडाना मुश्किल है ।अतः चुप हो गए ।
विनोद कुछ गंभीर किस्म का बापनुमा आदमी था ,जो अपनी मान्यता अनुसार छॊटों को ज्यादा मुँह नहीं लगाता था ।यामिनी की दादी थी नहीं ,माँ अकसर गृहकार्यों मे व्यस्त रहती थी अधिक पढ़ी लिखी नहीं थी ।यामिनी की माँ से तो बस काम की ही बातें होती थी ।गप मारना माँ के स्वभाव में नहीं था। यामिनी को यह गुण शायद दादा जी से विरासत में मिला । खूब छनती थी जब दोनों मिलते थे घन्टों बातों का सिलसिला चलता था । हैदराबाद मे यामिनी की एक दो प्रिय सहेली थी । पढ़ती तो वह भी हैदराबाद के बाहर ही थी पर छुट्टिया अकसर साथ हो जाती थी । किसी सहेली के होने पर दादा जी से गप का समय कुछ घट जाता था जो उन्हें कतई नहीं भाता था ।
इस बार छठे सैमेस्टर की समाप्ति पर यामिनी जब हैदराबाद आई तो कुछ बदली बदली सी थी । दादा जी के सामने भी कुच असहज सी पेश आ रही थी मानो किसी तनाव में हो ।दादा जी को लगा कि सब कुछ शायद सामान्य नही है , उसने अब तक करीम चाचा वाला प्रसंग सुनाने की फरमाईश भी नही की । दादा जी ने एक दिन उसे पास बैठ कर पूछ ही लिया,"यामिनी बेटा , मुझे लग रहा है तुम कुछ तनाव में हो। शायद कुछ कहना चाहती हॊ पर कह नही पा रही हो । कोई बात है तो निःसंकोच बोल दो ।"सुनते ही यामिनी को मानो जीवन दान मिल गया हो। कुछ संयत होकर बोली ।
"आप ठीक कह रहे हो दादा जी।सोचकर आई थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले आप को बता दूंगी । पर हिम्मत ही नहीं हुई। पापा को भनक लगेगी तो शायद मुझ्रे खा ही न जाएं ।"
"कोई लड़का पसंद कर लिया है क्या?" दादा जी ने पूछ लिया। यामिनी कुछ और नारमल होते हुए तपाक से बोली " दादाजी , आपकी इस बात से तो मुझे फ़िल्म ’जब वी मैट ’ के दादाजी का डायलाग याद आ गया जब वह कहते है कि ’हमारी उम्र में यह सब ताड़ने में देर नहीं लगती’ । आप ठीक कह रहे हैं ।"
" अरे , सचमुच ! यह तो गंभीर विषय है। तेरी जिंदगी का सवाल है। कौन लड़का है? कहाँ रहता है? तेरे कौलेज का ही है न ? क्या कर रहा है? फोटो है तेरे पास? सब कुछ बता न विस्तार से।"
"दादा जी सबकुछ बताऊंगी ,पर आप पापा को संभाल लेना प्लीज "
" अरे पहले मुझे तो कुछ पता चले"
"दादा जी, वह भी चैन्नई आई आई टी मे है । होशियार है उसका JEE में 252 वा रैंक था ।लम्बा है , स्मार्ट है पर बड़ा सिंपल । घर उसका त्रिवेन्द्रम में है, अब जो तिरुवनंतपुरम कहलाता है।
" त्रिवेन्द्रम में ?’ दा्दा जी चौंक पड़े । "यानि केरल से है? नाम क्या है ?
"उसका नाम है मोहन थौमस ।" यामिनी ने थौमस पर कुछ जोर डालकर बताया जिससे बात पहले ही साफ हो जाए।
"यह तो क्रिश्चियन नाम है। मैं इसमें अपनी क्या राय दूंगा ? विनोद तो भडक जाएगा। "
" दादा जी...ई...ई...ई प्लीईईज ।ऐसा मत कहिए। सब कुछ आपके हाथ में है । आप ही पापा को समझा सकते हैं "
" मैं तो खुद कुछ नहीं समझा तो उसे कैसे समझाउंगा। नहीं , नहीं , इस काम के लिए तो तू मुझे बख्श ही दे ।"
"दादा जी अगर मैं उसे आप से मिलवा दूं तब तो आप अपनी राय देंगे न? या फिर धर्म, जात पात ही हावी रहेगी आपके उपर ।"
"इतना ही कह सकता हूं कि अगर मैं उससे मिलता हूं तो उसके बारे में मैं अपनी राय मैं केवल उसके गुणों के आधार पर बनाऊंगा। पर तुम कब और कैसे मिलवा सकोगी उससे?"
"परसों मिलवा सकती हूं दादा जी । वह भी छुट्टियों में त्रिवेन्द्रम में है । एक दिन उसे तैयारी में लगेगा । परसॊं शाम तक आ्पसे मिलने आ जाएगा ।वह अपने माँ बाप का इकलौता लड़का है । उसके पापा का बिजनैस है काजू एक्सपोर्ट करते हैं, चाहते हैं वह अब बिजनैस देखे । उसकी शादी भी जल्दी करना चाहते हैं उसके पीछे पडे है। बडॆ दबाव में है ।इसीलिए वह भी पहले हमारे परिवार का रुख देखकर यहाँ की स्वीकॄति चाहता है जिससे सबकुछ पटरी पर आ जाए और वह तनावमुक्त हो सके। मुझे यकीन है वह परसों जरूर आ पाएगा। बाकी तो मुझे कुछ नही कहना है आप परखियेगा"
"ठीक है ठीक है ।" दादा जी ने कहा " "लगता है तुमने ही पटकथा लिखी है, विनोद और अपनी माँ को क्या बताओगी कि कौन आया है?"
"आप उसकी चिंता न करें दादा जी, वह सब तो मैं संभाल लूंगी।आपको तो बस उसे शत प्रतिशत अंक देकर पास करना है।" यामिनी हंसकर बोली।
दादा जी बोले, " बेटा , सिफारिश इसमें बिल्कुल नहीं चलेगी । फकत योग्यता के आधार पर फैसला होगा।"
"मुझे आपकी पारखी नज़र पर भरोसा है ,दादा जी।पापा अम्मा को तो कह दूंगी मेरी सहेली का भाई आ रहा है। सहेली ने कुछ नोट्स भिजवाए हैं ।एक आध घंटा बैठकर अपने दोस्त के यहाँ चला जाएगा।" यामिनी बोलते हुए कुछ उत्साहित सी लगी।
" ठीक है तुम उससे बात करके सब तय करो।" दादा जी ने कहा ।
यामिनी को लगा कि उसने पहला कदम तो सही ले लिया है।कुछ रिलैक्स होकर वह सीधे अपने कमरे में आई और मोहन को फोन करने लगी ।
" येस यामिनी , हाउ आर यू ? " उधर से मोहन की आवाज आई।
"ठीक ही हूं " यामिनी ने उत्तर दिया।
"’ही’ मीन्स ?"मोहन ने सवाल किया।
" अब मुझे तो तुमने इतना मुश्किल काम सौंप दिया और खुद छुट्टियों का मजा ले रहे हो । अच्छा सुनो ,मैंने दादा जी को तुम्हारे बारे में बता दिया है। क्या तुम कल आ सकते हो दादा जी से मिलने, वह तुमसे मिलना चाहते हैं ।"‘
" कल तो नहीं , परसों शाम को तुम्हारे घर पहुंच सकता हूं । तुम घर का पूरा पता , लैन्ड मार्क्स के साथ व्हाट्स एप कर देना। ठीक है न ?" मोहन ने कहा।
यामिनी के मन की बात हो गई थी । वह तो परसों का ही चाह रही थी । "ठीक है । पता वगैरह तो मैं सब विस्तार से बता ही दूंगी ।पर एक बात सुनो , दादा जी के अतिरिक्त अभी तुम्हारी असलियत अन्य किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। मै पापा,अम्मा से कह दूंगी कि सहेली का भाई आ रहा है । उसने कुछ नोट्स भिजवाए हैं । ठीक न?"
"अब वह सब तुम जानो। मुझे तो बस ओर्डर मानना है " मोहन की आवाज आई ।
" तो परसों शाम पक्का 06.30 बजे, दादा जी को इमप्रैस करने की तैय्यारी करके आना ।" यामिनी ने चकते हुए हिदायत दी
" अरे ,जब तुम्हे कर दिया । तो बुढऊ सारी ,सारी, दादा जी क्या चीज हैं ।" मोहन ने चुटकी ली ।
"अच्छा ज्यादा उड़ो मत , व्हाट्स एप पर अपना प्रोग्राम और मूवमैन्ट्स बताते रहना । बाय "
और फिर यामिनी उछलती हुई दादा जी के कमरे की तरफ भागी ।
"दादा जी मोहन परसों शाम आ रहा है । अब इतनी दूर से आ रहा है आप खयाल रखना ।" यामिनी ने दादा जी से अनुनय के लहजे मे कहा ।
" मुझे अपना काम पता है बेटा, तुम बाकी चीजें संभालो ।" दादा जी बोले ।
आज बुधवार है । मोहन को आना है ।आज ड्राईग रुम की साफ सफाई यामिनी कामवाली बाई से अपनी देख रेख में करवा रही है } पर सावधान भी है कि उसका यह उत्साह माँ न पढ ले । विनोद तो खैर आफिस जा चुका है ।
अम्मा ने अभी आकर उसे बताया कि तेरे पापा को शाम को खँडूरी जी के लड़के की शादी में जाना है ।
यामिनी को लगा कि सब कुछ अपने आप ही ठीक हो रहा है । दिन शुभ है ।
" अम्मा खन्डूरी अंकल आन्टी हम लोगों को कितना मानते हैं पिछले साल दादा जी की बीमारी के दौरान अंकल ने कितने चक्कर लगाए थे और दौड़ भाग की थी ।पापा अकेले क्यॊं जा रहे हैं ? आप को भी जाना चाहिए ।"
" अरे मैं जाकर क्या करूंगी । घर का काम बिखर जाता है सारा । फिर शाम को तेरी सहेली का भाई भी आ रहा है ।"
"अरे वह कौन सा अफलातून है । मै चाय बनाकर पिला दूंगी । थोड़ी देर ही तो बैठेगा । अम्मा आप अवश्य जाइए ।आप किसी रिश्ते को अहमियत क्यों नहीं देती ।इतने अच्छे लोग हैं ,बिरादरी के हैं । हमारा कितना खयाल रखते हैं । आप को बस जाना ही है ।" यामिनी बोली । बिरादरी वाली बात कहकर वह खुद ही सकुचा गई ।
" अरे बेटी, रिश्तों को खूब अहमियत दूंगी । जरा हो तो जाए तेरा रिश्ता ।" अम्मा ने कहा।
यामिनी सुनकर कुछ सिहर सी गई । कहीं अम्मा को कुच भनक तो नहीं लग गई ।
फिर सहज होकर अधिकार के स्वर में बोली," और अम्मा , वह हरी वाली साडी पहनना।"
"ठीक है देखती हूं अब तो तूने मेरा श्रॄंगार भी कर दिया है ।"
यामिनी अपनी योजना पर मन ही मन बहुत खुश थी । अपने कमरे में जाकर तुरंत मोहन से संपर्क किया और कहा, " मोहन तुम मेरा संदेश मिलने पर ही आना । शाम के सात बजे के आसपास।"
"ठीक है ,मुझे भी यही टाइम सूट करता है।" वह बोला ।
शाम को जब यामिनी के अम्मा पापा तैय्यार हो गए तो उसने मोह्न को आने का संदेश दिया। मोहन पहले ही हैदराबाद के होटल पहुंच गया था और तरोताजा होकर यामिनी के संदेश की प्रतीक्षा कर रहा था।
इधर यामिनी के अम्मा पाप शादी के लिए घर से निकले और उधर घर के बाहर मोहन की टैक्सी आकर रूकी ।घर में दादा जी और यामिनी के अतिरिक्त अब कोई नहीं था ।यामिनी ने उसे ड्राइंग रुम मे बैठाया और हाल चाल जानने के बाद दादा जी को उसके आने की सूचना दी ।
दादा जी धीरे धीरे ड्राईंग रूम में आए और मोहन को देखते ही क्षण भर को हर्षमिश्रित आश्चर्य के साथ ठिठक से गए । उन्होंने अपने मन में मलयाली लड़के की जो छवि संजोई थी उससे हटकर उनके सामने एक गोरा छरहरे बदन का सुन्दर लड़का था, जो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया और उनके चरणों मे झुक गया ।उसकी हाईट भी छः फ़ीट से शायद एक आध इंच ही कम होगी ।
दादा जी ने मोहन से मुखातिब होकर कहा ,’उम्मीद है तुम आराम से यहाँ पहुंच गए हो , घर ढूंढ़ने में कोई परेशानी तो नहीं हुई न ?"
"जी नही दादा जी ,यामिनी ने ठीक से गाइड़ कर दिया था।"
"वह तो मुझे पता था। खैर, अब हम बिना तकल्लुफ किए और समय को बरबाद न करते हुए सीधे काम की बात पर आ जाते हैं । मुझे पता चला है कि तुम लोग एक दूसरे को पसंद करते हो। पहले तो मै तुमसे यह जानना चाहता हूं कि तुमने यामिनी में ऐसा क्या देखा?"
मोहन ने दादा जी के इस प्रश्न पर चेहरे पर बिना कोई विशेष भाव लाए हुए संयत स्वर में उत्तर दिया," दादा जी मुझे उसका सबसे मीठे स्वर में बात करना और मित्रवत स्वभाव बहुत पसंद आया , दूसरे दुखियों और बेसहारों की समस्याओं के प्रति वह बेहद संवेदनशील है । जिसकी मैं सराहना करता हूं और पक्षधर भी हूं ।और हाँ सबसे बड़ी बात जिसने मुझे उसके इन गुणों को जानने और परखने की जरूरत महसूस करवाई वह है उसके व्यक्तित्व का आकर्षण । आपसे क्षमा चाहता हूं पर मेरे खयाल से इन सभी बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है ।"
" तुम्हारी हिंदी इतनी अच्छी कैसे है? खैर यह तो मैं तुमसे बाद में पूछूंगा । पहले यह बताओ कि कल्चर में अंतर होने के कारण क्या तुम सोचते हो कि यामिनी का पूरे परिवार में एड्जटमैन्ट संभव है ? इस बात पर तुमने विचार किया है कभी ?" दादा जी ने पूछा।
" दादा जी इन सब विषयों पर मैंने बहुत गहराई से विचार किया है । हमारा काजू एक्स्पोर्ट का बिजनैस है ।पिताजी इस सिलसिले में बहुत से लोगों के संपर्क में आते हैं । इसलिए वह बिल्कुल खुले है इस मामले में ।और उन्होने शादी के बारे में भी पसंद वगैरह का काम मुझ पर छोड़ दिया है।
"मेरी दोनों बुआओं कि शादी भी उत्तर भारतीयों में हुई है जो दिल्ली में पढाई के दौरान उनकॆ संपर्क में आई ।मैं बचपन में बड़ी बुआ के पास दो साल दिल्ली रहकर पढ़ा भी हूं । अकसर छुट्टियों में लम्बे समय के लिए दिल्ली जाना होता रहा है । मेरी अच्छी हिंदी में दिल्ली, बुआ, फूफा,और उनके परिवार जनों का बड़ा हाथ है ।बुआओं ने वहाँ बडी अच्छी तरह एड्जस्ट किया हुआ है ।पिताजी हमेशा कहते हैं अगर इंसान का स्वभाव अच्छा है संवेदनशील है तो उसके लिए कहीं भी एडजस्ट कर पाना कोई मुश्किल नही है । मैं इकलौता लड़का हूं , शादी करने का दबाव है । इसीलिए मैंने इस बारे में सभी पहलुओं से सोचने का प्रयास किया है ।आप लोगों की सहमति आवश्यक है जिससे मैं घर में अपनी पसंद बता सकूं ।" मोहन ने विस्तार से अपनी बात रखने की कोशिश की ।
दादा जी ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे एक एक शब्द तोल रहे थे।’ और हाँ, एक बात बताओ बेटा , शादी के बारे में तुम्हारे परिवार के क्या विचार है ? कब, कहाँ और कै्सी शादी चाहते हैं?"
"दादा जी , अभी तो मैंने उन्हे अपनी पसंद बताई नहीं थी । वह लोग रोज ही एक दो प्रस्तावों पर मेरी राय माँग लेते हैं ।कितु मैं यह कह सकता हूं कि पसंद बताते ही वह तुरंत शादी करना चाहेंगे । मैं शादी को एक साल और यानि फाइनल वर्ष तक टालने का प्रयास कर सकता हूं । पता नहीं वह लोग मानेंगे कि नहीं?"
"अरे यामिनी चाय वगैरह तो ले आओ"
"जी दादा जी" कहकर यामिनी उठ्कर चली गई।
"हाँ मोहन तुम अपनी बात पूरी कर लो ।" दादाजी बोले।
"जी दादा जी ,जैसा कि आप जानते ही होंगे शादी वहीं पर हमारे पारिवारिक चर्च में होगी ।उसके बाद आप भी अपनी रीति के अनुसार वहाँ अथवा यहाँ शादी की रस्म कर सकते हैं ।"
" अरे बेटा , हम शायद बहुत आगे बढ़ गए हैं , अभी तो मुझे इसके अम्मा, पापा से बात करनी होगी।"
"ठीक है दादा जी, मुझे भरोसा है आप सबकुछ सुलझा लेंगे।"
कुछ देर में यामिनी चाय लेकर आ गई । चाय के साथ घर परिवार और पढ़ाई अदि के विषय में बातें चलती रही ।
चाय पीकर मोहन ने जाने की इजाजत ली ।"
" ठीक है मैं तुम्हे और नहीं रोकूंगा। इसके अम्मा पापा भी आने वाले होंगे । उनसे तो तुम्हे तभी मिलवाएंगे जब मैं उन्हे सब बातें पहले बता दूंगा।"
’अच्छा दादा जी ,आशा है आप मुझे A+ ग्रेड देंगे और आगे के लिए भी यह केस अपने हाथों में ले लेंगे।"
दादा जी उसकी बात पर मुस्कराए और यामिनी से बोले,"जा बेटी, बाहर तक छोड़ दे ।"
यामिनी और मोहन बाहर टैक्सी की तरफ जा ही रहे थे कि पापा और अम्मा आ गए सामने से।"
" अरे आप लोग तो बड़ी जल्दी आ गए। और हाँ यह मेरी सहेली का भाई है।" फिर मोहन से बोली "मेरे अम्मा पापा हैं ।"
अम्मा बोली ,"जा रहे हो क्या ? "
"जी हाँ अब चलता हूं । देर हो रही है ।"
यामिनी मन ही मन खुश थी कि चलो अम्मा पापा ने भी देख लिया ।
मोहन को विदा कर यामिनी सीधे दादा जी के कमरे में गई और दादा जी के कान में फुसफुसाई ,"दादा जी अपनी राय बताइये न ।"
"सच कहूं , मैंने जैसा सोचा था उससे कई गुना अच्छा लगा । 100 में से 200 अंक तो बनते हैं, भला लडका है, सुन्दर और समझदार है ,बिल्कुल तुम्हारी जोड़ी का है।"
"ओह दादा जी आप कितने अच्छे हैं ।"
" पर अब विनोद को संभालने की चिंता है ।" दादा जी बोले।
" वह तो आप कर ही लोगे दादा जी , बाप हो आप पापा के, पर आप आज बात मत करना ,दो तीन दिन बाद करना ।" यामिनी ने सुझाया।
" इतनी जल्दी भला क्यों करूंगा ? " दादा जी बोले।
दादा जी की आशा के विपरीत विनोद को मनाने में कोई विशेष दिक्कत नहीं हुई थी । दादा जी ने विनोद से कहा था," लड़का मैंने देखा है, उससे बातचीत की है। सुन्दर,सौम्य , सुशील है ।पढ़ने में भी हमारी यामिनी से कम होशियार नहीं है। अकेला लडका है पिता का जमा जमाया बिजनैस है । फिर सबसे अच्छी बात यह है कि वह विदेश बसने में बिल्कुल इच्छुक नहीं है ।अंततः उसे पिता का बिजनैस ही संभालना है। मेरे खयाल से जाति धर्म की बात अगर भूल जाएं तो इससे अच्छा रिश्ता नहीं मिलेगा ।तुम अच्छी तरह विचार कर लो। और हाँ एक बात और,खुशी खुशी आशीर्वाद दोगे तो अच्छा है , वरन अगर ब्च्चों ने शादी की सोच ही ली है तो व्यर्थ की नाराजगी और ऐंठ से कोई लाभ नहीं है । बच्चे बहुत समझदार हैं , भला बुरा समझते हैं ।"
दादा जी की बातों पर विनोद ने संजीदगी से गौर किया । उसे अपनी बेटी के चयन और पिताजी की सूक्ष्म द्दष्टि पर पूरा भरोसा था अतः उसने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी ।यामिनी की अम्मा को क्रिश्चियन वाली बात थोड़ी अखरी थी पर अंततः उसे भी ससुर, पति और बेटी के साथ चलने में ही भलाई दिखाई दी ।मोहन के परिवार के साथ बातचीत के बाद तय हुआ कि फाइनल सैशन की समाप्ति के बाद 21 जून को यानि लगभग 4 महीने के बाद त्रिवेन्द्रम के चर्च में पहले शादी होगी फिर 23 जून को वहीं किसी वैडिंग पौइन्ट पर पर हिंदू रीति के अनुसार शादी की सभी रस्में होंगी , वहाँ तो गिनती के आदमी ही जा पाएंगे , अतः हैदराबाद में 25 जून को रिसैप्शन दिया जाएगा ।
धीरे धीरे एक वर्ष का समय व्यतीत हो गया यामिनी के फाइनल सैशन की समाप्ति अब चंद सप्ताह के फासले पर थी। उसके बाद जून मे त्रिवेन्द्रम में यामिनी की शादी थी ।
दादा जी लगभग 86 वर्ष के हो गए थे, पहले से काफी कमजोर हो गए थे।
यामिनी फाइनल परीक्षा देकर आ चुकी थी । शादी की खरीदारी शुरू हो गई थी। समय बीतता जा रहा था ।अंततः जून भी आ गया । 20 जून को यामिनी , दादा जी उसके अम्मा पापा, दोनों बुवाएं व उनका परिवार साथ में विनोद के दो घनिष्ठ मित्रों का काफिला त्रिवेन्द्रम पहुंच गया ।
मोहन के माता पिता ने शहर के एक प्रतिष्ठित पाँच सि्तारा होटल में उनके ठहरने का प्रबंध किया था और उन्हे स्पष्ट कर दिया था कि वह लोग उनके मेहमान है अतः यहाँ के प्रवास के खर्च के बारे मे उन्हे सोचना भी नही है न मन मे किसी प्रकार का बोझ रखना है ।बड़ी विचित्र सी स्थिति मे थे वह लोग , बारातियों जैसी आवभगत हो रही थी ।21 जून को सुबह 10 बजे उन्हे पास के ऐन्ड्रुज चर्च में ले जाया गया और क्रिश्चियन विधि से पादरी ने शादी संपन्न करवाई । 22 जून को मोह्न के माता पिता ने उन सबको तथा अपने सभी रिश्तेदारों को रिसैप्शन पर बुलाया था ।
23 जून को पास ही के एक वैडींग पाईन्ट पोइन्ट पर हिंदू पद्धति से शादी संपन्न हुई जिसमें मोहन की ओर से उनके सभी रिश्तेदारों ने यमिनी
के पिताजी के विशेष अनुरोध पर भाग लिया ।वैसे वह सभी इ्सके लिए बहुत उत्सुक और उत्साहित लग रहे थे । दादा जी इसके बाद अवश्य थके थके और निढाल से लग रहे थे ।खाँसी भी थी।
24जून को मोहन समेत सभी हैदराबाद लौट आए ।25को वहाँ रिसैप्शन है । मोहन के माता पिता तो विशेष अतिथि थे ही ।किंतु उन्होने 25 जून को ही शाम को हैदराबाद आने का कार्यक्रम बनाया था।
दादा जी और टीम को हैदराबाद पहुंचते हुए शाम के लगभग 4 बज गए थे ।
घर आते ही दादा जी को सीने मे बहुत जोर से दर्द उठा। बिना वक्त खोए विनोद उन्हे पास के संजीवनी अस्पताल मे ले गया । डाक्टर्स ने आई सी यू में तुरंत भरती कर लिया और जाँच शुरु हो गई ।डाक्टर ने उन्हें बताया," दिल का दौरा पडा है । इलाज शुरु कर दिया है इंजैक्शन दिया है ।48घन्टे के बाद ही हालत के बारे मे कुछ निर्णायक कहा जा सकता है ।"
उधर घर में यामिनी के आँसू थम नहीं रहे थे ।उसे लग रहा था जैसे उसने अपनी खुशी के लिए, अपना जीवन संवारने के लिए दादा जी के जीवन को संकट मे डाल दिया हो ।अगले दिन यामिनी ने जिद की कि वह अस्पताल से दादा जी को रिसैप्शन में लेकर आएगी ,उनका आशीर्वाद लेना है ।
शाम 6 बजे यामिनी अस्पताल पहुंची ।विनोद और मोहन भी साथ थे ।माँ और बुआ जी पहले सॆ ही अस्पताल के लाउन्ज में बैठे हुए थे ।विशेष प्रार्थना पर उसे कुछ देर के लिए ICCU में जाने की अनुमति मिली, वहाँ बोलने की मनाही थी। दादा जी के मुंह नाक पर नलियाँ लगी थी , उसे लगा कि वह वैन्टीलेटर पर हैं ।यामिनी ने जैसे ही उनके हाथ का स्पर्श किया ऐसा लगा मानो उन्होंने उसे पहचान लिया । एक हल्की सी चमक उनकी आँखो मे दिखाई दी , हाथ उठाने का उपक्रम किया , मानो यामिनी को आशीर्वाद देना चाह रहे हों और अगले ही क्षण निढाल हो गए ।नर्स ने फौरन डाक्टर को बुलाया , उसने जाँच के बाद उन्हे मॄत घोषित कर दिया ।उधर विनोद के पास फोन पर फोन आरहे थे । सभी दादा जी जी का हाल और उनके अस्पताल से रिसैपशन में आने का समय जानना चाहते थे ।विनोद अत्यंत दुविधा और असमंजस की स्थिति मे था । तभी मोहन ने विनोद के पास आकर धीमे से कुछ कहने की चेष्टा की ," पापा मैं जानता हूं,आप के लिए और हम सब के लिए यह बहुत कठिन वक्त है , आप कृपया मुझे गलत न समझें, मैं आपसे यह अर्ज करना चाहता हूं कि दादा जी भी यह कभी नही चाहते कि उनके कारण उनकी बेटी इतने लोगों के आशीष से वंचित हो जाए और सब भूखे घर जाएं । मेर विचार है कि हम बाडी को मौर्चरी मे रखवा देते हैं और अभी यह बात हम लोगों के अतिरिक्त और लोगों तक नहीं पहुंचनी चाहिए । आप अ्म्मा जी और बुआ जी को भी समझा दीजिए कि खुद पर काबू रख्खें । दादा जी ने इस कार्य को इस मुकाम तक पहुंचाया है उनका पूरा आशीर्वाद तभी मिलेगा जब रिसैप्शन की रस्म भी संपन्न हो जाए। तभी उनकी आत्मा को शान्ति मिलेगी । आप या मै यहां रुक कर बाडी मौर्चरी मॆं रखवा कर आते हैं } शे्ष लोग तुरंत रिसैप्श्न के लिए रवाना हो जाएं । सभी प्रतीक्षारत हैं । अगर देर होगी तो कुछ लोग यहाँ आ सकते हैं ।"
" कहते तो ठीक ही हो बेटा । मैं यहाँ का काम करके आता हूं ।तुम इन सबको ले जाओ । यामिनी को भी संभालना होगा ।तो आप लोग चलो अब ।"
अम्मा , बुआ, यामिनी मोहन शीघ्र ही रिसैपश्न स्थल के लिए रवाना हो गए । रास्ते भर मोहन उनको संयमित रहने के लिए कहता रहा ।" सभी समझदार थे तथा मौके की गंभीरता समझते थे।" सबके चेहरे पर मायूसी के भाव थे । वह रिसैप्शन स्थल पहुंच गए ।वहाँ मोहन के माता पिता बुआएं आदि सभी त्रिवेन्द्रम से पहुंच चुके थे तथा वहीं रेसैप्शन पर घर के लोगों की तरह मेहमानों की आवभगत कर रहे थे। यामिनी ने उनके पैर छुए दादा जी के बारे में बात हुई और फ़िर मायूस सा चेहरा लिए यामिनी और मोहन अपने लिए लगी कुर्सियों पर विराज गए ।लोग शगुन और आशीर्वाद देने के लिए आने शुरू हो गए । विनोद ने अपने निमंत्रण पत्र में उपहार और लिफाफे न लाने का अनुरोध किया था जिस पर कायम रहते हुए यामिनी ने किसी तरह का कोई तोहफा क्षमा याचना के साथ स्वीकार नहीं किया ।लगभग रात्रि 11.30 बजे तक सब लोग घर लौट आए ।
सुबह 7 बजे विनोद और यामिनि के फूफा जी दादा जी का शव लेकर घर आ गए । मोहन के माता पिता भी होटल से घर पहुंच गए थे ,मोहन ने शायद उन्हें सब बता दिया था।अब यह बात सबको पता चल ही चुकी थी । घीरे धीरे लोग आने शुरु हो गए । 10 बजे दादाजी की शव यात्रा चेतना मोक्षधाम के लिए रवाना हुई ।
यामिनी में ही उनके प्राण बसते थे ।
यामिनी के ससुराल जाने से पूर्व ही दादा जी विदा ले चुके थे ।
गंगा माँ-चंद दोहे
गंगा माँ-चंद दोहे--ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा माँ करती रही , हृदय प्राण संत्राण
ताप मुक्ति कष्ट निवृति, वर्णित वेद पुराण
शुचिता सारी चढ रही, लोभ , मोल की भेंट
शोषक के बस स्वार्थ से, पोषक मटियामेट
संसाधन हैं कम नहीं , चाहत पर अवरुद्ध
वर्षो से हम माँ तुझे ,कर न सके पर शुद्ध
धन व्यय तक सीमित है , गंगा का अभियान
अब तक ना गोचर हुई, क्षणिक तनिक भी जान
संस्कृति के पर्याय हैं , नदी नार औ’ नीर
इनको पहुँचे पीर तो, बात बहुत गंभीर
गंगा से इतिहास है , गंगा से भूगोल
जीवन के हर मूल्य का, इसके जल से तोल
जीव तत्व की बूंद में , माँ तेरा है जोड़
लज्जित हमने कर दिया, गाद कीच की छोड
माँ के तेज प्रताप का, वर्णित है गुणगान
तारण सगर पुत्रों का, कष्ट निवृति निर्वाण
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
गंगा माँ करती रही , हृदय प्राण संत्राण
ताप मुक्ति कष्ट निवृति, वर्णित वेद पुराण
शुचिता सारी चढ रही, लोभ , मोल की भेंट
शोषक के बस स्वार्थ से, पोषक मटियामेट
संसाधन हैं कम नहीं , चाहत पर अवरुद्ध
वर्षो से हम माँ तुझे ,कर न सके पर शुद्ध
धन व्यय तक सीमित है , गंगा का अभियान
अब तक ना गोचर हुई, क्षणिक तनिक भी जान
संस्कृति के पर्याय हैं , नदी नार औ’ नीर
इनको पहुँचे पीर तो, बात बहुत गंभीर
गंगा से इतिहास है , गंगा से भूगोल
जीवन के हर मूल्य का, इसके जल से तोल
जीव तत्व की बूंद में , माँ तेरा है जोड़
लज्जित हमने कर दिया, गाद कीच की छोड
माँ के तेज प्रताप का, वर्णित है गुणगान
तारण सगर पुत्रों का, कष्ट निवृति निर्वाण
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
काठ का है जी
काठ का है जी-ओंम प्रकाश नौटियाल
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी
-1-
वो करेंगे रखवाली
जिनका बदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
-2-
बुढापे में वह जवान
मुँह पर क्रीम की पर्तें
बड़ा दमदार हाजमा
वह क्या क्या नहीं चरते
पर अपना तो बचपन भी
शुरू से साठ का है जी
-3-
उनका धँधा ऐसा है
बस चाँदी बरसती है
हमारी आय देखकर
रोटी भी तरसती है
श्रीमान का पहाड़ा भी
दो दुनी आठ का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
दर्द तनिक नहीं होता
गुजरती ठाठ से है जी
-1-
वो करेंगे रखवाली
जिनका बदन सोने का
नींद उनकी उडती है
जिन्हे डर है खोने का
वह बोतल से पीते हैं
यहाँ जल घाट का है जी
-2-
बुढापे में वह जवान
मुँह पर क्रीम की पर्तें
बड़ा दमदार हाजमा
वह क्या क्या नहीं चरते
पर अपना तो बचपन भी
शुरू से साठ का है जी
-3-
उनका धँधा ऐसा है
बस चाँदी बरसती है
हमारी आय देखकर
रोटी भी तरसती है
श्रीमान का पहाड़ा भी
दो दुनी आठ का है जी
हम तो आम जनता हैं
शरीर काठ का है जी
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810
’आशा’
’’आशा’ तो बंदी हुई , हुआ चित्त निष्काम
होली मे अब फिर नहीं ,रंगी होगी शाम !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
होली मे अब फिर नहीं ,रंगी होगी शाम !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, April 25, 2018
नारी
नारी - ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रबल मोह पाश से
स्नेहसिक्त मिठास से
अर्चना उपवास से
सदभावना विश्वास से
निर्मल पावन मन से,
सृष्टि के उदगम से
नारी ने सबको
अपने पास सदा रक्खा है !
कर्म धर्म जाप हो
क्रंदन, प्रलाप हो
दुख हो विलाप हो
किसी का संताप हो
सर्वहारी नारी ने,
पत्नी महतारी ने,
बेटी , बहन प्यारी ने,
जीवन में सबके
विश्वास जगा रक्खा है,
सृष्टि के प्रारंभ से
अपने पास सदा रक्खा है !
बंधकर कई बंधन में
इस जग प्रांगण में
निष्ठ, शिष्ट आचरण से
द्दढ़ता से प्रण से,
सबके जीवन में
सुवासित सा सुन्दर
पलाश खिला रक्खा है,
नारी ने सदियों से
अपने पास सदा रक्खा है !
-ओम प्रकाश नौटियाल
प्रबल मोह पाश से
स्नेहसिक्त मिठास से
अर्चना उपवास से
सदभावना विश्वास से
निर्मल पावन मन से,
सृष्टि के उदगम से
नारी ने सबको
अपने पास सदा रक्खा है !
कर्म धर्म जाप हो
क्रंदन, प्रलाप हो
दुख हो विलाप हो
किसी का संताप हो
सर्वहारी नारी ने,
पत्नी महतारी ने,
बेटी , बहन प्यारी ने,
जीवन में सबके
विश्वास जगा रक्खा है,
सृष्टि के प्रारंभ से
अपने पास सदा रक्खा है !
बंधकर कई बंधन में
इस जग प्रांगण में
निष्ठ, शिष्ट आचरण से
द्दढ़ता से प्रण से,
सबके जीवन में
सुवासित सा सुन्दर
पलाश खिला रक्खा है,
नारी ने सदियों से
अपने पास सदा रक्खा है !
-ओम प्रकाश नौटियाल
{पुस्तक "पावन धार गंगा है" से }
Tuesday, April 24, 2018
संस्कार ?
होता है जब भी बलात्कार
मन तड़पे रोये बार बार
दुराचार के पाप कुण्ड़ में
क्या डूब गये सभी संस्कार ?
गुण्ड़ई नाचती नंगा जी
कैसे कह दें सब चंगा जी !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मन तड़पे रोये बार बार
दुराचार के पाप कुण्ड़ में
क्या डूब गये सभी संस्कार ?
गुण्ड़ई नाचती नंगा जी
कैसे कह दें सब चंगा जी !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, April 18, 2018
Tuesday, April 17, 2018
ए टी एम
सर्दी में ठिठुरें कभी , धूप नहायें लोग
ए टी एम प्रताप से , सीख रहे है योग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ए टी एम प्रताप से , सीख रहे है योग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कहते रहिये
खड़ा दूर भविष्य झांक रहा
अपनी किस्मत को आँक रहा,
इस वर्तमान की पीड़ा पर
मोती आँसू के टाँक रहा,
खुश रहने का यह फन्ड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
अपनी किस्मत को आँक रहा,
इस वर्तमान की पीड़ा पर
मोती आँसू के टाँक रहा,
खुश रहने का यह फन्ड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Monday, April 16, 2018
सब चंगा जी !!!
क्या कहें देश के बारे में
सब बैठे हैं मन मारे से
था दिया जिन्हे दायित्व सौंप
रख रहे तभी सॆ लारे मॆं
किस किस का फोड़ें भंड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी !!!
सब बैठे हैं मन मारे से
था दिया जिन्हे दायित्व सौंप
रख रहे तभी सॆ लारे मॆं
किस किस का फोड़ें भंड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, April 11, 2018
कानून पर यकीन !!
कुकर्मो पर उनके जब ,थी पुलिस कर्महीन
तब से उनका बढ गया, कानून पर यकीन !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
तब से उनका बढ गया, कानून पर यकीन !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Saturday, April 7, 2018
अब अच्छा नही लगता
हर बात पर बवाल , अब अच्छा नही लगता
रहे देश बदहाल , अब अच्छा नही लगता
चलभाष थाम चलने मे है शान निराली
हो हाथ में रुमाल,अब अच्छा नही लगता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रहे देश बदहाल , अब अच्छा नही लगता
चलभाष थाम चलने मे है शान निराली
हो हाथ में रुमाल,अब अच्छा नही लगता !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, April 2, 2018
बन बैठे सिरमौर !!
छंद छंद में घूम कर , शब्द ढूंढ़ते ठौर
दोहा जब उनको मिला, बन बैठे सिरमौर !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
दोहा जब उनको मिला, बन बैठे सिरमौर !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, March 31, 2018
एप्रिल फूल !!
दिवस आज का मित्रवर , कूल बहुत ही कूल
समझकर अति गर्म इसे, बने न एप्रिल फूल !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
समझकर अति गर्म इसे, बने न एप्रिल फूल !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, March 29, 2018
पेपर लीक !!
सब क्षेत्रों की सुरक्षा, चूम रही जब पीक
बोर्ड़ के तब हो गये, दो दो पेपर लीक !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बोर्ड़ के तब हो गये, दो दो पेपर लीक !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, March 27, 2018
दोहे गर्मी के
किरणे दिखलाने लगी , अपना रूप प्रचंड़
मौसम के आदेश पर , हमें दे रही दंड़ !!
-ओंम प्रकाश नौटियल
मौसम के आदेश पर , हमें दे रही दंड़ !!
-ओंम प्रकाश नौटियल
Thursday, March 8, 2018
Thursday, March 1, 2018
होली
‘प्लेट पकौड़े संग में, हो गिलास में भंग
रंग होली का कर दे ,पुलकित हर इक अंग !!!
होली मय संसार है , क्या धरती क्या व्योम
रंग लगाने आ रहे , चुपके छुपके ’ओम’ !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रंग होली का कर दे ,पुलकित हर इक अंग !!!
होली मय संसार है , क्या धरती क्या व्योम
रंग लगाने आ रहे , चुपके छुपके ’ओम’ !
Thursday, February 15, 2018
भ्रष्ट
भ्रष्ट बचे ना एक भी, बने देश खुशहाल
ढूंढ़ ढूंढ़ कर भ्रष्ट जन , दो मय माल निकाल !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ढूंढ़ ढूंढ़ कर भ्रष्ट जन , दो मय माल निकाल !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, January 21, 2018
डार्विन का सिद्धांत
बंदर रहे बहुत दुखी , बिगड़ गई औलाद
नाच नाच अब दे रहे, नई खोज को दाद !
-ऒंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, January 17, 2018
Monday, January 15, 2018
जनता की फरियाद
सालों तरसे न्याय को, जनता की फरियाद
सुलझे एक दिन में पर, अपने सभी विवाद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
सुलझे एक दिन में पर, अपने सभी विवाद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, January 14, 2018
Friday, January 12, 2018
, न्याय
जनता के हर दर्द का, जिसके पास उपाय
दुखियों के सम्मुख वही, न्याय माँगता न्याय !
जिनको हम समझे सदा, दुख का मात्र उपाय
जनता के सम्मुख वही, न्याय माँगता न्याय !
-ओम प्रकाश नौटियाल
दुखियों के सम्मुख वही, न्याय माँगता न्याय !
जिनको हम समझे सदा, दुख का मात्र उपाय
जनता के सम्मुख वही, न्याय माँगता न्याय !
-ओम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, January 9, 2018
विश्व हिंदी दिवस
विश्व हिंदी दिवस की बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं !!
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विश्व हिंदी दिवस मने , दस को पहले मास
यही ध्येय कि हिंदी हो , जग में भाषा खास
भाषा जब अपनी नहीं , फिर कैसे स्वाधीन
निज भाषा को प्यार कर, हुआ कौन कब हीन !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
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विश्व हिंदी दिवस मने , दस को पहले मास
यही ध्येय कि हिंदी हो , जग में भाषा खास
भाषा जब अपनी नहीं , फिर कैसे स्वाधीन
निज भाषा को प्यार कर, हुआ कौन कब हीन !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, January 4, 2018
दुख का अंत !!
दीन हीन का हाल यही , बस जीवन पर्यंत
बड़ा कष्ट आकर करे, छोटे दुख का अंत !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
बड़ा कष्ट आकर करे, छोटे दुख का अंत !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, January 3, 2018
रोकी उसकी राह !
नव वर्ष मे पहले ही दिन , बाधित प्रेम प्रवाह
द्वंद द्वेष की आग ने, रोकी उसकी राह !
-ओम प्रकाश नौटियाल
द्वंद द्वेष की आग ने, रोकी उसकी राह !
-ओम प्रकाश नौटियाल
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