वर्षों भक्तों ने पढ़ा , क्या क्या स्याह सफेद
इम्तिहान की थी घड़ी , खुले तभी सब भेद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
इम्तिहान की थी घड़ी , खुले तभी सब भेद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मैं चुप रहा तो और गलतफ़हमियाँ बढी , वो भी सुना है उसने, जो मैने कहा नहीं । -----डा. बशीर बद्र