Tuesday, December 29, 2015
Monday, December 28, 2015
Saturday, December 26, 2015
Friday, December 25, 2015
Wednesday, December 23, 2015
Monday, December 21, 2015
Thursday, December 10, 2015
Wednesday, December 2, 2015
Tuesday, November 24, 2015
दशा देश की
पलायन चाहते हो
रखते हो विश्व के किसी भी कोने में
बस सकने की सामर्थ्य,
कहाँ से पाई
किसने दी तुम्हे यह अदम्य शक्ति ?
असीमित पूंजी ?
और आजादी -
छिछलापन यूं सरेआम
छलकाने की ?
रामादीन त्तो इस बार भी
दीपावली पर
शहर से गाँव जाने का
किराया नहीं जुटा पाया
मा जुदाई न सह सकी
दीप ज्योत निहारती
माटी हो गई
असहिष्णु जो थी !!!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, November 23, 2015
वादों ने मारे है
कभी सावन के तरसे हैं, कभी भादों के मारे हैं
कभी भाषण ने भरमाए ,कभी वादों ने मारे है
हैं ’ओंम ’ रावण सरमाए हमारे भाग्य के देखो
पापियों के ही ढलकाए कीच , गादों के मारे हैं
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कभी भाषण ने भरमाए ,कभी वादों ने मारे है
हैं ’ओंम ’ रावण सरमाए हमारे भाग्य के देखो
पापियों के ही ढलकाए कीच , गादों के मारे हैं
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, November 20, 2015
मिले जो ऐसा बाप
-
कर्म हों पूर्व जन्म के , तभी मिले वह बाप
गद्दी सौंप पुत्रों को , राज सँभाले आप,
राज सँभाले आप , सिसकता रहे कानून
लोकतंत्र का नाम , हो और उसी का खून ,
कहें ’ओंम ’ कविराय , दी बेच बची सब शर्म
देश करें निर्माण , पर नींव अनैतिक कर्म !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कर्म हों पूर्व जन्म के , तभी मिले वह बाप
गद्दी सौंप पुत्रों को , राज सँभाले आप,
राज सँभाले आप , सिसकता रहे कानून
लोकतंत्र का नाम , हो और उसी का खून ,
कहें ’ओंम ’ कविराय , दी बेच बची सब शर्म
देश करें निर्माण , पर नींव अनैतिक कर्म !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, November 18, 2015
चले पाप की ओर
दया , प्रेम प्रधान धर्म, भूले हैं कुछ लोग
लेकर इसकी आड़ पर , करें घातक प्रयोग,
करें घातक प्रयोग , मूल में जिनकी सत्ता
अतिशय नर संहार , काँपता पत्ता पत्ता ,
कहें ’ओंम’ कविराय, छोडी प्रभु प्रदत्त हया
चले पाप की ओर, तज भाईचारा , दया !-ओंम प्रकाश नौटियाल
लेकर इसकी आड़ पर , करें घातक प्रयोग,
करें घातक प्रयोग , मूल में जिनकी सत्ता
अतिशय नर संहार , काँपता पत्ता पत्ता ,
कहें ’ओंम’ कविराय, छोडी प्रभु प्रदत्त हया
चले पाप की ओर, तज भाईचारा , दया !-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, November 17, 2015
एक मुक्तक :अहं की तलवार
जब सर पर अहं की तलवार होगी ,
किस अरि की फिर भला दरकार होगी ?
प्राण ले लेगी हर चैतन्य शह के
’जिंदगी धिक्कार औ’ धिक्कार होगी ! -ओंम प्रकाश नौटियाल
किस अरि की फिर भला दरकार होगी ?
प्राण ले लेगी हर चैतन्य शह के
’जिंदगी धिक्कार औ’ धिक्कार होगी ! -ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 14, 2015
क्रांति संचार की
क्रांति हुई संचार की , कुंद हो गए पैर ,
मित्र मिलन को पर्व में, शब्द करें बस सैर !-ओंम प्रकाश नौटियाल
मित्र मिलन को पर्व में, शब्द करें बस सैर !-ओंम प्रकाश नौटियाल
माटी का दिया
खुश हो माटी का दिया , करने लगा बखान
तम अमावसी रात का , पीकर बढता मान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
तम अमावसी रात का , पीकर बढता मान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, November 13, 2015
अनवरत दीप जलें !
दीप दीप्त रहें और अनवरत जलते रहें ,
बातियों में स्वाह अज्ञान तम बहते रहें ,
’ओंम ’ रोम रोम बसी निर्मल स्निग्ध ज्योत हो ,
निर्बाध उजियार में हम सदा फलते रहें !!! \
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बातियों में स्वाह अज्ञान तम बहते रहें ,
’ओंम ’ रोम रोम बसी निर्मल स्निग्ध ज्योत हो ,
निर्बाध उजियार में हम सदा फलते रहें !!! \
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Tuesday, November 10, 2015
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।
तिमिर दंभ का छाया ,जो अपने दिमागों में ,
समूल नष्ट हो सब, यही विनती चिरागों से , उजियारा हो स्थायी , ’ओंम’ मेरे भारत में
रहें मन सदा झंकृत , पावन दीप रागों से !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
समूल नष्ट हो सब, यही विनती चिरागों से , उजियारा हो स्थायी , ’ओंम’ मेरे भारत में
रहें मन सदा झंकृत , पावन दीप रागों से !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, October 8, 2015
अनपढ़ ज्ञानी
कहानी- ऒंम प्रकाश नौटियाल
[यह कहानी "अनपढ़ ज्ञानी’ तथा अर्चना नौटिय़ाल जी की कहानी "जाखू वाली माया " त्रैमासिक पत्रिका साहित्य सरोज में प्रकाशनार्थ २२.४.१५ को भेजी थी । "जाखू वाली माया" अर्चना जी ने अलग से मेल की थी ।प्रत्युत्तर में अखण्ड गहमरी जी का निम्न संदेश २ जून २०१५ को प्राप्त हुआ
"प्रणाम इंस अंक में आन्टी जी की रचना प्रकाशित हो गई है पुस्तक 6 जून से उपलब्ध होगी गुरूवर।
आपकी रचना को अगस्त-सितम्बर के लिए रोक लिया गया "
बाद में अगस्त सितम्बर किन्ही कारणों से प्रकाशित नहीं हुआ ।
अर्चना की कहानी वाला अंक जुलाई में यहाँ प्राप्त हो गया था ।]
[यह कहानी "अनपढ़ ज्ञानी’ तथा अर्चना नौटिय़ाल जी की कहानी "जाखू वाली माया " त्रैमासिक पत्रिका साहित्य सरोज में प्रकाशनार्थ २२.४.१५ को भेजी थी । "जाखू वाली माया" अर्चना जी ने अलग से मेल की थी ।प्रत्युत्तर में अखण्ड गहमरी जी का निम्न संदेश २ जून २०१५ को प्राप्त हुआ
"प्रणाम इंस अंक में आन्टी जी की रचना प्रकाशित हो गई है पुस्तक 6 जून से उपलब्ध होगी गुरूवर।
आपकी रचना को अगस्त-सितम्बर के लिए रोक लिया गया "
बाद में अगस्त सितम्बर किन्ही कारणों से प्रकाशित नहीं हुआ ।
अर्चना की कहानी वाला अंक जुलाई में यहाँ प्राप्त हो गया था ।]
अनपढ ज्ञानी ( एक लघु कथा ) -ओंम प्रकाश नौटियाल
(बडौदा, गुजरात , मोबा. 9427345810)
माँगे लाल पिछले बीस साल से गाँव प्रधान थे । प्रधानी में भी अब बडा पैसा हो गया है सो उन्होंने भी खूब बटोरा । दबंगी से कई जमीनों पर भी कब्जा किया यानि अब वह अच्छी खासी हैसियत के मालिक, इज्जतदार आदमी बन गये थे । रमेश नाम का एक ही लडका
था उसे पढाने की उन्होंने जरूरत नहीं समझी । किसलिए समय बरबाद करवाना है , खेलेगा, कूदेगा , साथ रहेगा तो कई तरह के हथकण्डे और हुनर सीखेगा जो असल जिंदगी में काम आएंगे आखिर इतनी जमीन जायदाद , बाग , बगीचे उसे ही तो देखने हैं ।
पच्चीस साल का होने पर उन्होंने उसकी शादी दस बारह कि. मी. दूर के एक गाँव में तय कर दी ।
सुन्दर , ग्रेजुएट कन्या थी । कन्या वाले पैसों की हैसीयत में मागेंलाल के सामने नहीं ठहरते थे किंतु शादी इतने बडे घर में होने पर वह
बहुत खुश थे फिर उन्हें बताया गया था कि लडका भी बी ए है ।
शादी इसी महीने की सत्ताइस तारीख को थी यानि दो सप्ताह से भी कम का समय रह गया था ।
आज सुबह माँगे लाल जब गाँव का चक्कर लगा कर आए तो कुछ परेशान लग रहे थे , दरअसल बिरजू ठेकेदार ने उन्हें एक खबर सुनाई थी कि कानपुर के एक गाँव में एक लडकी ने बारात लौटा दी और शादी करने से मना कर दिया क्यों कि उसे पता लगा कि लडका निपट अनपढ है । यह बात उससे छुपाई गई थी पर बारात आने के बाद किसी सूत्र से यह बात लडकी के कानों तक पहुंच गई , उसने यह बात अपनी बहनो और सहेलियों से साझा की । लडकियों ने फेरों से ठीक पहले मंडप में बैठे दुल्हे से पूछ लिया कि बताइए पंद्रह और छः का योग क्या होता है। दुल्हे ने तत्परता से उत्तर दिया कि सत्रह । फिर क्या था लडकी ने फेरे लेने से मना कर दिया । दुल्हे के पिता और बरातियों की मान मनुहार के बाद भी लडकी टस से मस नहीं हुई , लिहाजा बारात बैरंग लौट गई ।
माँगे लाल को एक तो यह डर सता रहा था कि कहीं बिरजू ने यह खबर जानबूझ कर उसे डराने या ब्लैक मेल करने के उद्देश्य से तो नहीं सुनाई । वह वैसे भी उनसे ईर्ष्या करता था प्रधानपद के पिछले दो चुनाव से वह माँगेलाल से हार रहा था ।
कहीं अब यह जाकर लडकी वालों के कान तो नहीं भर देगा । लडके से बात करना फिजूल था कहीं घबराकर शादी से ही मना न कर दे । इसी पशोपेश में उन्होंने ’ देखा जाएगा’ की नीति अपनाते हुए सब कुछ भाग्य पर छोड़ दिया ।
दिन गुजरते गए और विवाह तिथि भी आ गई । बारात नियत समय पर पहुंच गई । कई पारम्परिक रस्में निबाहने के बाद फेरों का वक्त आ गया और दुल्हा ,बाराती मुहुर्त के समय रात 11 बजे मण्डप में पहुंच गए । अब तक कुछ नहीं हुआ , माँगे लाल कुछ निश्चिंत दिखाई दिए , बस थोडा समय और ऐसे ही बीत जाए , फेरे पड़ जाएं , फिर सब ठीक हो जाएगा ।
किंतु माँगे लाल की बदकिस्मती से लडके के अनपढ होने की बात फेरों से ठीक पहले लडकी तक पहुंच चुकी थी । बिरजू शायद पूरी बिरादरी के सामने उन्हें नीचा दिखाने की सोच चुका था । लडकी इस खबर से अत्यंत व्यथित हो गई और उसने भी इस बात की तसल्ली के लिए कानपुर वाले गाँव का तरीका ,जिसे सभी अखबारों ने तब बड़ी प्रमुखता से छापा था, अपनाने के लिए अपनी छोटी बहन और तीन सहेलियों को फेरों से ठीक पहले यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंप दी । चारों लडकियाँ मंडप में पहुंची और सीधे दुल्हे को संबोधित कर बोली , " दुल्हे राजा पहले यह बताइए कि ग्यारह और आठ मिलकर कितने होते हैं ।" दुल्हे मिंयाँ इस अचानक हुए हमले से थोडे असंयत हुए फिर यह सोचकर कि सालिय़ाँ मजाक कर रही हैं, बोले , " वाह जी , बडा मजेदार मजाक है । " लडकियाँ कुछ तेज स्वर में बोली , " दुल्हे राजा, हम एक दम गंभीर है , अगर फेरे डालने हैं तो आपको इसका सही जवाब तुरंत देना होगा ।" दुल्हे मिय़ाँ भीतर तक हिल गये । यह क्या मुसीबत आ गई है । रमेश के दिमाग में तीन संभावित उत्तर कौंध रहे थे किंतु वह गलत बोलने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था । उसने अपने को मजबूत किया और चेहरे पर भयंकर क्रोध का आवरण ओढ कर आवेश के साथ एक कुशल अभिनेता की तरह अपने संवाद कुछ यूं बोले , " यह कैसा मजाक है ? मुझे क्या मूर्ख समझा है ? पहली कक्षा का सवाल मुझसे पूछ कर आपलोगों ने मेरा भरे मंडप में घोर अपमान किया है और मेरी शिक्षा का मजाक बनाया है , मुझे भी ऐसे घर से नाता नहीं जोडना है जहाँ ऐसे छिछोरे लोग हों ।" यह कहते ही वह उठ खडा हुआ और द्वार की ओर मुडने लगा । तभी लडकी के पिता लडके के पैरों में गिर पडे ," नही , नहीं बेटा , यह बच्चियाँ है , इन्हे समझ नहीं है मैं क्षमा माँगता हूं । मुहूर्त का समय हो रहा है , देर मत करो।" और फिर दुल्हे और बारातियों की मनुहार के साथ शादी संपन्न हुई ।
बारात विदाई के समय माँगे लाल ने रमेश के कान में कहा , " वाह बेटा , तू तो मेरा भी बाप हो गया है, मान गया तुझे । मैं तो पहले ही जानता था कि जिंदगी में किताबी ज्ञान से ज्यादा जरुरी है कूटनीति सीखना । यही हर मुसीबत की खेवन हार है । शाबास जीते रहो , तेरे अंदर खानदानी नेतागिरि कूट कूट कर भरी है , तू बहुत तरक्की करेगा । आज तूने मेरी सभी शंकाएं निर्मूल साबित कर दी "
उधर लडकी वाले मन ही मन लडकी के भाग्य़ पर प्रसन्न हो रहे थे किंतु बिटिया की बिदाई पर सबका मन भारी भी हो रहा था । बैन्ड़ वाले बजा रहे थे
"बाबुल की दुआएं लेती जा ........"
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(बडौदा, गुजरात , मोबा. 9427345810)
कहानी
Sunday, October 4, 2015
Sunday, September 27, 2015
राजनेता
कुछ राजनेता टिकट के बँटवारे के समय ही ईमानदार , बहादुर और बगावती क्यों हो जाते हैं ? आगे पीछे तो उन्हें पार्टी मे कोई बुराई नज़र नहीं आती ।
Thursday, September 24, 2015
ईद मुबारक !!!
त्याग और बलिदान का, पर्व आज बकरीद
प्रेम, स्नेह ,सद्भाव की, लेकर नव उम्मीद !
-ओम प्रकाश नौटियाल
प्रेम, स्नेह ,सद्भाव की, लेकर नव उम्मीद !
-ओम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, September 23, 2015
Monday, September 21, 2015
Wednesday, September 16, 2015
Monday, September 14, 2015
Thursday, September 10, 2015
विश्व हिंदी सम्मेलन
भारत के भोपाल शहर में आज प्रारंभ हुए दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी का उद्घाटन भाषण प्रभावशाली और रोचक था :
हिंदी का स्वागत हुआ , गर्वित है भोपाल
गले लगाया विश्व ने , उन्नत भारत भाल !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 6, 2015
Saturday, September 5, 2015
छुट्टी जन्माष्टमी की !!
कल अवकाश होने से, ना अख़बार आया आज
खबरों की दुनियाँ में , एक रविवार आया आज,
घटी कल जो घटनाएं, मयस्सर अब न हों शायद
टी वी की डींग पर , नही एतबार आया आज !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
खबरों की दुनियाँ में , एक रविवार आया आज,
घटी कल जो घटनाएं, मयस्सर अब न हों शायद
टी वी की डींग पर , नही एतबार आया आज !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, September 4, 2015
Wednesday, September 2, 2015
Wednesday, August 26, 2015
Tuesday, August 25, 2015
Thursday, August 20, 2015
Wednesday, August 19, 2015
Sunday, August 16, 2015
Friday, August 14, 2015
Wednesday, August 12, 2015
Friday, August 7, 2015
Saturday, August 1, 2015
Monday, July 27, 2015
Sunday, July 26, 2015
कब आओगे मीत
गया कभी न आया है , यही जगत की रीत
किस मुँह फिर तुमसे कहूँ , कब आओगे मीत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
किस मुँह फिर तुमसे कहूँ , कब आओगे मीत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, July 25, 2015
Monday, July 13, 2015
अपनी होली ईद !
घृणा गाद को फेंक कर , मैत्री सुधा खरीद
तभी मनेगी हृदय से , अपनी होली ईद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
तभी मनेगी हृदय से , अपनी होली ईद !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, July 12, 2015
गुरु गुगल
गुरु गुगल की शरण पूर्व , रहे निपट अनजान
मिला ज्ञान उनसे हुई, हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मिला ज्ञान उनसे हुई, हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, July 11, 2015
, चूस लिए सारे घाट
घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान ,
हर मुश्किल आसान , फ़कत बस पैसा खाया
खूब मचायी लूट , रहे पुश्तों तक साया
कहें ’ओंम ’ कविराय , दिया धन से सभी पाट
खूब निचोडा माल , चूस लिए सारे घाट
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान ,
हर मुश्किल आसान , फ़कत बस पैसा खाया
खूब मचायी लूट , रहे पुश्तों तक साया
कहें ’ओंम ’ कविराय , दिया धन से सभी पाट
खूब निचोडा माल , चूस लिए सारे घाट
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घाट घाट पानी पिया
घाट घाट पानी पिया , घट घट तक मदपान
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
घुस घोटालों में करी , हर मुश्किल आसान !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, July 10, 2015
व्यापम
सोच रहे थे लोग जब , घपले रहे न शेष
ताल भोपाली पीटता, व्यापम करे प्रवेश,
व्यापम करे प्रवेश , हुआ तब धूम धडक्का
देख दैत्य का रूप , देश था हक्का बक्का,
नन्हों का आहार , बडों को न तनिक खरोंच
समझदार यह दैत्य , धन्य है राजसी सोच !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ताल भोपाली पीटता, व्यापम करे प्रवेश,
व्यापम करे प्रवेश , हुआ तब धूम धडक्का
देख दैत्य का रूप , देश था हक्का बक्का,
नन्हों का आहार , बडों को न तनिक खरोंच
समझदार यह दैत्य , धन्य है राजसी सोच !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, July 9, 2015
हार्दिक बधाई !!
दिन विशेष है आज का , महकें सुमन सरोज
अति प्रसन्न हैं मात पित , चन्दर और मनोज,
चन्न्दर और मनोज , पुत्र का जन्म दिवस है
बरसता शुभाशीष , उमडे आनंद रस है ,
करो देश का नाम , ’विभोर’ जियो दिन अनगिन
फैले ज्ञान प्रकाश , करो सुरभित तुम हर दिन !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अति प्रसन्न हैं मात पित , चन्दर और मनोज,
चन्न्दर और मनोज , पुत्र का जन्म दिवस है
बरसता शुभाशीष , उमडे आनंद रस है ,
करो देश का नाम , ’विभोर’ जियो दिन अनगिन
फैले ज्ञान प्रकाश , करो सुरभित तुम हर दिन !!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ससुराल में !!!
अवसर पाकर ’ओंम’ हैं , शिमला में ससुराल
यहाँ न कोई कर सके , बाँका अपना बाल,
बाँका अपना बाल , कवच हैं साले साली
घटिया भी हो छंद , मिले दाद और ताली,
कहें ’ओंम’ कविराय , सैर करो बनठन कर
साल में एक बार , मिले आने का अवसर
-ओंम प्रकाश नौटियाल
यहाँ न कोई कर सके , बाँका अपना बाल,
बाँका अपना बाल , कवच हैं साले साली
घटिया भी हो छंद , मिले दाद और ताली,
कहें ’ओंम’ कविराय , सैर करो बनठन कर
साल में एक बार , मिले आने का अवसर
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, July 6, 2015
Friday, July 3, 2015
Thursday, July 2, 2015
Friday, June 19, 2015
Tuesday, June 16, 2015
Saturday, June 13, 2015
Wednesday, June 10, 2015
Monday, June 8, 2015
Thursday, June 4, 2015
Wednesday, June 3, 2015
Tuesday, June 2, 2015
Monday, June 1, 2015
भोजन "दो जून" का
करें सभी "दो जून" का, पूर्ण पेट आहार
ईश दया का आपकी , लाख लाख आभार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
ईश दया का आपकी , लाख लाख आभार !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 28, 2015
Wednesday, May 27, 2015
Tuesday, May 26, 2015
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
26.05.2015
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
एक समाचार :
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने बयान दिया है कि राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति और कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों का समाधान बगैर 370 सीटें मिले नहीं हो सकता ।
चक्कर " तीन सौ सत्तर " का
हों तीन सौ सत्तर तब , निर्मित मंदिर राम
रहे न तीन सौ सत्तर , जे के बने सुधाम !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, May 23, 2015
चलते चलते
छूमंतर हों मुश्किले , बनें लोग खुशहाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
देश विदेश एक किया , दौडे पूरे साल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, May 21, 2015
Wednesday, May 20, 2015
Friday, May 15, 2015
Tuesday, May 12, 2015
Friday, May 8, 2015
Thursday, May 7, 2015
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