Tuesday, November 25, 2014

जीवन

-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी  खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल

Tuesday, November 11, 2014

क्या करें ?

ओंम प्रकाश नौटियाल

प्रश्न यही गूंजता है क्या करें,
काम नहीं सूझता है क्या करें,
राम भरोसे भला कब तक रहें
आज युवा पूछता है क्या करें !
--ओंम प्रकाश नौटियाल

 
 

Sunday, November 9, 2014

गंगा कैसे सा्फ़ हो


गंगा कैसे सा्फ़ हो

-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे  सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है  खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल